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आदिम जाति कल्याण विभाग: शासकीय उत्कृष्ट छात्रावास में दस साल से टीनशेड के नीचे पढ़ रहे अनुसूचित जाति के छात्र

जिले में हर माह लाखों रुपए व्यवस्था पर व्यय होने के बाद भी सरकार की योजनाएं गरीब बच्चों के लिए बेमानी

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रीवा

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Rajesh Patel

Aug 25, 2018

Students under Tennessee for ten years in excellent hostel

Students under Tennessee for ten years in excellent hostel

रीवा. आदिम जाति कल्याण विभाग के उत्कृष्ट छात्रावास में दस साल से दलित परिवारों के बच्चे टीनशेड के नीचे रह रहे हैं। अनुसूचित जाति के छात्रावासों की व्यवस्था पर जिम्मेदार हर माह लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं। बावजूद, इसके गरीब बच्चे परेशानी में गुजारा कर रहे हैं। बारिश के दिनों में कई बार बच्चे रातभर सो नहीं पाते हैं। हैरानी वाली बात तो यह कि आठ साल के पुराने गद्दे से बदबू उठ रही है। छात्रावास में दुर्गंध उठ रही है। अधीक्षक की सूचना के बावजूद जिले के आला अफसर लापरवाह बने हैं।

टीन और तिरपाल के नीचे पढऩे को विवश छात्र
जिला मुख्यलय से 65 किमी दूर मऊगंज में आदिम जाति कल्याण विभाग का उत्कृष्ट अनुसूचित जाति बालक छात्रावास है। जहां दो कमरे में 9वीं के और एक कमरे में 10वीं और १२वीं के छात्र रहते हैं। 10वीं और 12 के बच्चे दस साल से टीनशेड नीचे पढ़ाई कर रहे हैं। अधीक्षक अरुण कुमार मिश्र ने छात्रावास में कमरे नहीं होने पर वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टीनशेड और तिरपाल लगा दिया है।

टीनशेड में बहुत गर्मी लगती

पढऩे और रहने के लिए बेहाल 12वीं कक्षा के छात्रों ने बताया कि टीनशेड में बहुत गर्मी लगती है। खिडक़ी भी पूरी तरह बंद है। बाहर से हवा नहीं आती है। फंखा लगा हुआ है इसके बावजूद शाम ढलते ही यहां पर रहना मुश्किल हो जाता है। जिस कमरे में बच्चों को टीनशेड लगाकर रखा गया है, वहां मवेशी भी नहीं रह पाएंगे। छात्रावास में 34 बच्चे हैं। 6 नए बच्चों का प्रस्ताव आया है, लेकिन अभी तक प्रवेश नहीं हो पाया है।

आठ साल पुराने गद्द, चादर से उठ रही बदबू
छात्रावास की व्यवस्था भी भगवान भरोसे चल रही है। आठ साल पुराने गद्दे फट गए हैं। गद्दों पर बिछी चादर से दुर्गंध उठ रही है। अधीक्षक ने बताया कि गद्दों की मांग मुख्यालय पर भेजी गई है। चादर हर माह धुलाई कराते हैं।

दस साल से नया भवन अधूरा
अनुसूचित जाति छात्रावास का भवन पीडब्ल्यू के अधिकारी निर्माण करा रहा है। दस साल बीतने के बावजूद अभी तक निर्माण अधूरा है। भवन बनकर तैयार हो गया है। अधीक्षक ने बताया कि वर्ष 2012-13 से पदस्त हूं, तब से आज तक खिडक़ी, फर्श नहीं बनाई गई है। भवन अधूरा है।

बच्चे नहीं जानते जिले के कलेक्टर का नाम
छात्रावास परिसर में कुछ बच्चों को छोड़ दे तो ज्यादातर बच्चे जिले के कलेक्टर का नाम नहीं जानते हैं। कुछ बच्चों ने जिले का कलेक्टर राहुल जैन बताया। दरअसल, बच्चों की गलती नहीं है। छात्रावास की दिवार पर कलेक्टर राहुल जैन और एसपी संजय ङ्क्षसह लिखा हुआ है। आप समझ सकते हैं कि छात्रावास के छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता।

क्या कहते हैं जिम्मेदार
दो कमरों में बच्चों की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। इसलिए टीनशेड और तिरपाल लगाकर बच्चों को रखा गया है। पंखा लगा है, हां ये बात जरूर है कि गर्मी में दिक्कत होती है। इसकी जानकारी जिला मुख्यालय पर भेजी गई है।
अरुण कुमार मिश्र, अधीक्षक, छात्रावास

वर्जन...
हमारी जानकारी में किसी भी छात्रावास की छत टीनशेड की नहीं है। अगर ऐसा है तो तत्काल व्यवस्था करायी जाएगी।
राजेन्द्र जाटव, जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग