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कलेक्टर के पास जाएगी टीचर्स की ‘हाजिरी’ लिस्ट, लिया जाएगा एक्शन

MP News: संभागायुक्त और उच्च शिक्षा के अतिरिक्त संचालक कार्यालय में कई शिकायतें ऐसी आई हैं जिसमें ऐप का दुरुपयोग कर एक मोबाइल से कई की उपस्थिति के वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं।

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रीवा

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Astha Awasthi

Jun 27, 2025

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो सोर्स: AI Image)

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो सोर्स: AI Image)

MP News: उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने लागू सार्थक ऐप अब नई चुनौती बन रहा है। एक ओर विभाग लगातार इस पर उपस्थिति अनिवार्य कर गाइडलाइन भेज रहा है, तो दूसरी ओर अधिकारी-कर्मचारी जुगाड़ तलाश रहे हैं।

हाल के दिनों में संभागायुक्त और उच्च शिक्षा के अतिरिक्त संचालक कार्यालय में कई शिकायतें ऐसी आई हैं जिसमें ऐप का दुरुपयोग कर एक मोबाइल से कई की उपस्थिति के वीडियो अपलोड किए जा रहे हैं। ऐसी शिकायतें प्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी उठी हैं। मुख्यालय से बाहर स्थित कॉलेजों खासकर ग्रामीण अंचलों में संचालित संस्थानों में इस प्रकार की अनियमितता की शिकायतें अधिक संख्या में सामने आई हैं।

परीक्षण कराने के निर्देश

कुछ दिन पहले सीधी जिले के खड्डी कॉलेज से शिकायत सामने आई। इसके बाद रीवा सहित संभाग के अन्य जिलों से भी आरोप सामने आए। अब विभाग ने रीवा सहित प्रदेशभर से सार्थक ऐप पर दर्ज होने पर उपस्थिति का परीक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। शिकायतों में कहा जा रहा है कि कॉलेजों के प्रोफेसर, कर्मचारी एवं अतिथि विद्वान अधिकांशत: एक ही मोबाइल में अन्य शिक्षकों के पुराने वीडियो अपलोड कर रहे हैं।

यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से तो पूरी दिखती है, लेकिन व्यवहार में उपस्थिति प्रमाणित नहीं हो रही। कई कर्मचारी मुख्यालयों में रहते हैं, फिर भी बराबर उपस्थिति दर्ज हो रही है। विभाग ऐप के दुरुपयोग को रोकने जियो-फेसिंग, डिवाइस लॉकिंग और लाइव ट्रैकिंग जैसे विकल्पों पर विचार कर रहा है।

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वास्तविक उपस्थिति के लिए ही ऐप

ज्यादातर स्टाफ को लेकर आरोप रहे हैं कि मुख्यालय के बाहर के कॉलेजों में कक्षाएं नहीं लगतीं। शिक्षक-कर्मचारी कभी-कभार जाते हैं। वास्तविक रूप से उपस्थिति दर्ज हो इसके लिए विभाग ने सार्थक ऐप शुरू किया। ऐप में उपस्थिति के लिए कर्मचारी को लाइव वीडियो रिकॉर्ड कर अपना चेहरा व स्थान दिखाना होता है, जिससे वास्तविक उपस्थिति सुनिश्चित हो। अब इस तकनीक का जुगाड़ू उपयोग इसे कमजोर बना रहा है। कॉलेज परिसर में कई अलग-अलग वीडियो बना लिए जाते हैं जिसमें आंखों ब्लिंक करती दिखें। जब वह कॉलेज नहीं जाते तो उनके किसी दूसरे साथी द्वारा वीडियो अपलोड कर दिया जाता है।

सागर में हो चुकी है कार्रवाई

सार्थक ऐप पर फर्जी उपस्थिति दर्ज करने का मामला हाल ही में सागर जिले के रहली के कॉलेज में पकड़ा गया है। इसकी शिकायत मिलने पर उच्च शिक्षा आयुक्त ने छह अतिथि विद्वानों की सेवाएं समाप्त कर दिया है। ऐसा ही मामला सीधी जिले के खड्डी से भी आया है, जिसकी जांच शुरू कर दी गई है। कॉलेजों की ओर से लगातार तकनीकी कारण बताकर खुद के मोबाइल से उपस्थिति दर्ज नहीं करते हुए दूसरे किसी साथी के मोबाइल से की जा रही है।

कलेक्टर के पास आएगा डाटा

फर्जी तौर पर उपस्थिति दर्ज कराने के मामले में उच्च शिक्षा आयुक्त ने आदेश जारी कर कहा है कि सभी जिलों के कलेक्टर के पास भी सार्थक ऐप की हाजिरी दी जाएगी। जरूरत पडऩे पर वह आकस्मिक रूप से परीक्षण भी करा सकेंगे। हर सप्ताह की उपस्थिति कलेक्टर और संभागायुक्त के पास आएगी। क्षेत्र भ्रमण के दौरान कालेजों में उपस्थिति का भी परीक्षण करने के लिए कहा है ताकि पढ़ाई की व्यवस्था को बेहतर किया जा सके।

नगरीय निकायों में उपस्थिति के लिए फेस रिकाग्रिशन

कार्यालय में उपस्थिति को लेकर अब नगरीय निकायों में भी सतर्कता बढ़ाई जा रही है। नगर निगम में शासन का एक निर्देश आया है कि अधिकारी-कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए फेस रिकाग्निशन अटेंडेंस सिस्टम की व्यवस्था बनाई जाए। इससे कर्मचारियों को डिवाइस के सामने खड़े होकर अपना चेहरा दिखाना होगा।

इसके बाद ही उपस्थिति पूरी मानी जाएगी। ऐसा भी नहीं चलेगा कि एक बार उपस्थिति दर्ज कराने के बाद घर चले जाएं। शाम को वापस लौटते समय भी हाजिरी लगानी होगी। नगर निगम के साथ ही अन्य नगर परिषदों में भी यह व्यवस्था लागू होगी।