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ये है न्यू इंडिया: मददगार बन बचा रहे लोग जिंदगी

इंदौर से रीवा आई महिला को आया था चक्कर, पड़ गई थी जिंदगी खतरे में

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रीवा

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Dilip Patel

Aug 05, 2018

This is New India: People who help save lives

This is New India: People who help save lives

रीवा। जिंदगी वही जो दूसरों के काम आए...। जी हां नए भारत में अब आए दिन ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जब अंजान जिंदगी को बचाने के लिए लोग दौड़ पड़ते हैं। न कोई रिश्ता न कोई मित्रता, फिर भी मददगार बनने का जज्बा होता है।


शनिवार को रीवा में भी एक ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला। इंदौर से रीवा रिश्तेदार के यहां आई मेघना शरीन की तबियत अचानक बिगड़ गई। निजी अस्पताल लेकर परिजन पहुंचे तो पता चला कि हिमोग्लोबिन स्तर खतरनाक अवस्था में पहुंच गया है। चिकित्सकों ने फौरन रक्त की डिमांड की। ब्लड बैंक में रक्त समूह मौजूद नहीं था ऐसे में रेडक्रॉस पैथालॉजी में पदस्थ टेक्नीशियन मुद्रिका पटेल मददगार के रूप में सामने आए। रक्त देकर महिला की जान बचाने में मदद की और समाज को दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए सदैव तत्पर रहने का संदेश दिया। इस दौरान संजय गांधी अस्पताल के पैथालॉजी विभाग के डॉ. लोकेश त्रिपाठी ने मददगार की भूमिका निभाने वाले मुद्रिका पटेल को सर्टिफिकेट प्रदान किया। कहा कि ऐसी ही सेवाएं भाईचारे का संदेश देती हैं।


सीवर एनीमिया की गिरफ्त मेंं
महिला मरीज धोबिया टंकी के समीप स्थित निजी अस्पताल में शुक्रवार की रात तबियत बिगडऩे पर भर्ती कराई गई थी। चिकित्सकों ने जांच कराई तो उसका हिमोग्लोबिन स्तर 6.5 ग्राम से कम था। स्थित गंभीर हो गई थी। उसे सीवर एनीमिया था। शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण अचानक चक्कर आने के साथ बेहोश हो गई थी।


बी पॉजिटिव की थी दरकार
महिला मरीज को बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की जरूरत थी। संजय गांधी अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में मौजूद नहीं था। निजी अस्पताल से फार्म भरकर पहुंचे मरीज के परिजन के सामने बड़ी चुनौती थी। अंजान शहर में मददगार की तलाश भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के ग्रुप में सूचना से पूरी हुई। इसे लेकर रेडक्रास सोसायटी के चेयरमैन डॉ. एचपी सिंह ने कहा कि यह अच्छी पहल है। दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए टेक्नीशियन ने जिस तत्परता को दिखाया है वह सराहनीय है।