28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

…जब भगवान बनकर दी 800 ग्राम की बच्ची को नई जिंदगी

चिकित्सा क्षेत्र में रीवा के डॉक्टरों की मिसालें, जिनके बारे में जानना जरूरी है

3 min read
Google source verification

रीवा

image

Dilip Patel

Jul 14, 2018

... when doctor save the 800 grams new baby to life

... when doctor save the 800 grams new baby to life

रीवा।ईश्वर के बाद अगर किसी व्यक्ति को जिंदगी देता है तो वह डॉक्टर ही है। इसीलिए उसे धरती का भगवान कहा जाता है। डॉक्टरी पेशे में कई बार ऐसे पल आते हैंं जब जीवन की उम्मीद लोग छोड़ देते हैं उस वक्त डॉक्टर मौत को मात देकर जिंदगी बचा लेता है। डॉक्टर के यही प्रयास लोगों की जिंदगी में नया सवेरा लाते हैं। ऐसे ही दो प्रकरण प्रस्तुत हैं।

केस-1

मौत के मुंह से लौटी बच्ची
पाण्डेन टोला की शिवांगी सेन कभी भी पहली डिलीवरी नहीं भूलेंगी। महज 800 ग्राम की बच्ची को जब जन्म दिया था तो परिजनों ने उसके जीने की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन डॉक्टर ने पच्चीस दिन के ट्रीटमेंट में बच्ची में जान फूंक दी। अब वह सामान्य जिंदगी जी रही है।
बात नौ मई 2018 की है। प्रसूता शिवांगी सेन को छह महीने एक दिन के गर्भ पर जीएमएच के लेबर रूम में भर्ती किया गया था। पति मनीष सेन और उनके परिजन समय से पूर्व डिलीवरी को लेकर जच्चा-बच्चा के जीवन को लेकर भयभीत हो गए थे। स्त्री रोग विशेषज्ञ जैसे-तैसे नार्मल डिलेवरी कराने में सफल हो गए लेकिन जब नवजात बच्ची 800 ग्राम की जन्मी तो उन्होंने भी आखिरी उम्मीद पर एसएनसीयू में भर्ती करा दिया। परिजनों से कहा गया कि प्री-मेच्योर बच्ची को बचा पाना मुश्किल है। ऐसे में नियोनेटोलॉजी डॉ. सौरभ पटेल के मार्गदर्शन मे इलाज शुरू हुआ। बच्ची के आंखों की रोशनी धुंधली हो गई थी और भी कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं थी। बच्ची को 25 दिन वेंटीलेटर पर रखा गया। इस दौरान उसकी आंखों का आपरेशन लेजर तकनीकी से किया गया। जिससे रोशनी की स्थिति ठीक हो गई। डॉक्टरों को उम्मीद जगी और उसकी देखरेख में जूनियर डॉक्टरों को भी लगा दिया गया। वजन के साथ-साथ शरीर की अन्य गतिविधियों को नार्मल करने की दवाएं शुरू हुई। नतीजा ये रहा कि अब वह बच्ची माता-पिता के गोद में खेल रही है।
केस-2

बंद हार्ट बीट में डाल दी धड़कन
श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में एक वाकया ऐसा भी हुआ जब डॉक्टर के लिए ही डॉक्टर भगवान बन गए। बात एनाटॉमी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. डीसी नाइक की कर रहे हैं। जिनकी हार्ट बीट बंद हो चुकी थी कई डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर लिए थे ऐसे वक्त में डॉ. केडी सिंह उनके लिए साक्षात भगवान का रूप बन गए थे।
डॉ. डीसी नाइक बताते हैं कि 28 नवंबर 2011 की बात है। सुबह 8 बजा था। अचानक सीने में दर्द उठा। हिम्मत कर पड़ोस से डॉ. वीके पूरे को बुलाया। वह आए और नाड़ी देखते ही देखते बेहोश हो गया। उस वक्त हार्ट बीट थम सी गई थी। डॉ. वीके पूरे चिल्लाते हुए डॉक्टरों को आवाज देने लगे। डॉक्टर कॉलोनी के सभी डॉक्टर एकत्र हो गए। डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. केडी सिंह और मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. एमके जैन भी दौड़ते हुए आए। ज्यादातर डॉक्टर उम्मीद छोड़ चुके थे। शरीर में कोई हलचल नहीं थे। पूणे में पत्नी और बच्चों को फोन पर सूचना तक दे दी गई थी। ऐसे वक्त में डॉ. केडी सिंह ने उम्मीद नहीं छोड़ी। इसीजी मशीन और डीसी फिबिलेटर आता तब तक हाथ से ही सीपीआर देना शुरू कर दिया। करीब आधे घंटे की प्रोसेज में धड़कन शुरू हो गई। फौरन डॉ. एमके जैन ने डीसी फिबिलेटर से शरीर में करंट दिया। दो घंटे के उपचार के बाद ऐसा चमत्कार हुआ कि उसे कभी भूलाया नहीं जा सकता है। सांसे चलने लगी तो आइसीयू ले जाया गया। अगले दिन एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा गया और आज सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। डॉ. नाइक बताते हैं कि दोबारा जीवन मिला तो सभी डॉक्टरों को पार्टी दी और उस दिन डॉक्टरी पेशे में आने और एक डॉक्टर की भूमिका सभी ने महसूस की थी।