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49 वां दीक्षा दिवस आज: आत्मबल ने 22 की उम्र में बनाया आचार्य श्री

आषाण माह की पंचमी के दिन आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज के शिष्यत्व में उन्होंने दिगम्बर मुनि दीक्षा ली थी। शनिवार को देशभर में आचार्य श्री का 49वां दीक्षा दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा।

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Widush Mishra

Jul 09, 2016

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सागर.जिस उम्र में युवा भविष्य के बारे में सही ढंग से सोच भी नहीं पाते उस उम्र में सदी के महासंत, तपस्वी आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का मुनि का सफर शुरू हो गया था। तपोबल, आत्मबल की पुख्ता नींव के साथ आगे बढ़़े आचार्यश्री ने 22 वर्ष की उम्र में ही मुनि दीक्षा ले ली थी। यहीं से शुरू हुआ विद्याधर से विद्यासागर के रूप में अवतरण का सफर।

आषाण माह की पंचमी के दिन आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज के शिष्यत्व में उन्होंने दिगम्बर मुनि दीक्षा ली थी। शनिवार को देशभर में आचार्य श्री का 49वां दीक्षा दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। सैकड़ों सालों के एक क्रांति का उदय हुआ। पत्रिका ने उनके शिष्य मुनिश्री योगसागर, मुनिश्री संभव सागर और विनम्र सागर से उनके जीवन के ऐतिहासिक पहलु जाना।

इन चीजों का त्याग
-नमक, मीठा, तेल, हरी सब्जी, फल, ड्राए फ्रूट, दूध आदि का आचार्यश्री त्याग किए हैं। आहार में दाल, आटा और बेसन से बना भोजन लेते हैं।

हजारों साल बाद हुआ ऐसा संत
अहिंसा, करुणा और दया के प्रणेता विद्यासागर महाराज ने 22 साल की उम्र में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से दीक्षा ली थी। तब आचार्य ज्ञानसागर जी 78 वर्ष के थे। विद्यासागर जी प्रथम शिष्य थे और उन्हें बाद में उन्होंने आचार्य पद सौंपा। आज आचार्य श्री स्वयं कहते हैं जो भी धर्म की प्रभावना है वो सब गुरु महाराज का आशीर्वाद है। इस बुंदेलखण्ड में आचार्य श्री को बिहार करते हुए 40 साल हो गए हैं। आचार्य श्री ने लगभग 90 मुनिराजों और 165 आर्यिकाओं को दीक्षा दी। पूरा संघ बाल ब्रम्हचारी रहा। हजारों सालों बाद ऐसा हुआ है, जब पूरा संघ बाल ब्रम्हचारी रहा हो।
मुनिश्री योग सागर

हमें मिली प्रेरणा
युग पुरुष आचार्यश्री क्रांति के जनक हैं। सैकडा़ें वर्षों के बाद ऐसा हुआ था जब किसी युवा ने दीक्षा ली थी। इससे पहले 50 वर्ष तक दीक्षा ली जाती थी। आचार्य श्री के दीक्षा लेने के बाद 20 से 30 वर्ष की आयु में दीक्षा ली जाने लगी। उनसे प्रेरणा लेकर युवा आगे आए और दीक्षा ली।
मुनिश्री संभव सागर

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