सागर.जिस उम्र में युवा भविष्य के बारे में सही ढंग से सोच भी नहीं पाते उस उम्र में सदी के महासंत, तपस्वी आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का मुनि का सफर शुरू हो गया था। तपोबल, आत्मबल की पुख्ता नींव के साथ आगे बढ़़े आचार्यश्री ने 22 वर्ष की उम्र में ही मुनि दीक्षा ले ली थी। यहीं से शुरू हुआ विद्याधर से विद्यासागर के रूप में अवतरण का सफर।