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धर्म का पालन करने वाला मनुष्य सुख और परम पद को प्राप्त कर लेता है-शंकराचार्य

शोभायात्रा और धर्मसभा का हुआ आयोजन, हजारों श्रद्धालु हुए शामिल

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Procession and religious meeting organized, thousands of devotees participated

धर्मसभा को संबोधित करते हुए शंकराचार्य

बीना/खुरई. द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज का स्वागत नगर के मुख्य मार्गों से भव्य शोभायात्रा निकालकर किया गया। इसके बाद किला परिसर में धर्मसभा आयोजित हुई।
शोभायात्रा शनि मंदिर के पास से शुरू होकर परसा चौराहा, झंडा चौक, पठार होते हुए किला परिसर पहुंची। शोभायात्रा में जगतगुरु रथ में सवार थे और लोगों ने जगह-जगह स्वागत किया। किला परिसर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म में दो ही तत्व प्रधान होते हैं एक धर्म और दूसरा ईश्वर है। धर्म साधन है और ईश्वर साध्य हैं। स्वार्थ, सिद्धी और किसी वस्तु को प्राप्त करने के लिए धर्म करने पर उसके प्राप्त होते ही धर्म का फल स्वत: नष्ट हो जाता है। निष्काम भाव से किए गए धर्म का फल नष्ट नहीं होता। धर्म के फल से हमें ईश्वर या ईश्वर की कृपा चाहिए। ईश्वर प्राप्त न हो सकें, तो ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त हो जाए यही धर्म का फल है। उन्होंने कहा कि धर्म लौकिक और अलौकिक होता है। लौकिक धर्म से स्वार्थ की सिद्धी करते हैं और अलौकिक धर्म का फल बिना साधन के मिलता है। धर्म का पालन सभी को करना चाहिए, धर्म को समझाने के लिए शास्त्र और गुरू हैं। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं के कारण राजनीति दूषित हो गई है, जबकि राजनीति में नीति है, जिसका अर्थ है धर्म। यदि नेता धार्मिक होगा तो प्रजा धार्मिक हो जाएगी। मनुष्य चाहता है सुख कभी न जाए, दु:ख वापस न आए और छोटे-छोटे सुख पाने बड़े कष्ट उठाता है। सुख पाने परिवार, नगर छोड़ देते हैं, फिर भी दु:खी रहते हैं। सुख कहां से प्राप्त होगा यह नहीं जानते, अपने आप को नहीं जानते। सुख धर्म के पालन से ही प्राप्त होगा। धर्म का पालन करने वाला मनुष्य सुख प्राप्त कर परम पद को प्राप्त कर लेता है। ईश्वर की आराधना से चित्त की शुद्धि होगी। पुण्य करने पर ही भारत भूमि में मनुष्य के रूप में जन्म मिला है। मृत्यु लोक की बड़ी महिमा है और लोक, परलोक बनाने मनुष्य शरीर मिला है। उन्होंने कहा कि तप, बल की रक्षा करना ब्राह्मण का कर्तव्य है। सभी धर्म को पालन करना चाहिए, तभी हिन्दुओं में एकता आएगी। महाकुंभ एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मरने के बाद सिर्फ धर्म, सत्कर्म, अच्छे कार्य, माता-पिता और गुरु की सेवा का फल ही जाता है। धन या अन्य सामग्री साथ नहीं जाती है। अपने बच्चों के मन में भी धर्म का भाव जगाना होगा। श्रीरामनाम सिद्ध पीठ बीना से पहुंचे श्रीरामनाम महाराज ने शंकराचार्य का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे, ब्राह्मण समाज अध्यक्ष राजेश मिश्रा, युवा अध्यक्ष मनोज चौबे सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।