
इस स्थिति पहुंच गईं हैं फसलें
बीना. बेतवा नदी के उफान पर आने से फसलें 36 घंटे से ज्यादा पानी में डूबी रहीं और जब गुरुवार की सुबह खेतों का पानी कम हुआ, तो फसलें काली पड़ चुकी थीं। फसलें खराब होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। साथ ही घरों में पानी भरने से गृहस्थी का सामान भी खराब हुआ है, तो कुछ कच्चे मकान धराशायी हो गए।
नदी का जलस्तर बढऩे से मंगलवार की रात से ही नदी किनारे वाले खेतों में पानी भरने लगा था और बुधवार की सुबह तक पानी गांवों के अंदर तक पहुंचा गया था। 36 घंटे बाद गुरुवार की सुबह से पानी कम होना शुरू हुआ और शाम तक खेत खाली हो सके। खेतों से पानी तो निकल गया, लेकिन उससे फसलों को हुए नुकसान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फसलें काली पडकऱ खराब हो गई हैं, जिससे अब किसानों के हाथ कुछ नहीं आएगा और लागत भी पानी में चली गई। किसान फसलों की स्थिति देखकर चिंतित हैं कि अगली फसल की बोवनी कैसे होगी। किसान फसलों का सर्वे कराने की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि नदी किनारे वाले गांवों की करीब दो हजार एकड़ की फसल खराब हुई है।
घरों में भरा रहा पानी, सामान हुआ खराब
हांसलखेड़ी, ढिमरौली, हांसुआ, धरमपुर सहित नदी किनारे के अन्य गांवों के मकानों में पानी भर गया था, जिससे गृहस्थी का सामान खराब हुआ है। साथ ही हांसलखेड़ी में संतोष पिता रामसिंह का मकान पानी में डूबने से गृहस्थी का सामान खराब होने के साथ ही एक दीवार भी गिर गई है। गांव में करीब तीन और मकानों में पानी भरा रहा है। बारिश के कारण पटकुई गांव में तीन कच्चे मकान गिर गए हैं। इसी तरह अन्य गांवों में पानी भरने से नुकसान हुआ है, जिसका पटवारी सर्वे कर रहे हैं।
मकानों का करा रहे हैं सर्वे
बाढ़, बारिश से जो भी मकान गिरे हैं या पानी भरने से गृहस्थी का सामान खराब हुआ है, उसका पटवारियों से सर्वे कराया जा रहा है। साथ ही फसलों का सर्वे शासन से आदेश आने पर शुरू किया जाएगा। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक करीब दो सौ मकानों में पानी भरने के आवेदन या सूचना आई है।
अंबर पंथी, तहसीलदार, बीना
Published on:
01 Aug 2025 11:51 am
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