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कभी मिलता था बीना स्टेशन को बेहतर व्यवस्थाओं के लिए इनाम, अब हर तरफ सुधार की जरूरत

दिनोंदिन फैलती जा रही हैं अव्यवस्थाएं, व्यवस्था बनाने की बजाय सफाई देते नजर आते हैं अधिकारी

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Bina station once used to get awards for better arrangements, now there is a need for improvement everywhere

वॉटर कूलर का स्टैंड हो गया जर्जर

बीना. रेलवे का बड़ा जंक्शन होने के कारण निरीक्षण के लिए आए दिन वरिष्ठ अधिकारी आते हैं और सुधार के लिए आदेश भी दिए जाते हैं, लेकिन इनपर कितना अमल होता है, इसकी पड़ताल पत्रिका टीम ने की, तो कई जगहों पर अव्यवस्थाएं मिलीं।
स्टेशन पर जगह-जगह कबाड़ का सामान डला रहता है, इसकी सफाई नहीं कराई जाती है, जो महीनों तक जहां-तहां पड़ा रहता है और अधिकारी के आने पर यह दिखा दिया जाता है कि स्टेशन पर निर्माण कार्य चल रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। दूसरे शहरों से आने वाले यात्री जब यह सब देखते हैं, तो स्टेशन की छवि धूमिल होती है, जबकि सामने दिखाई देने वाली अव्यवस्थाओं को सबसे पहले सुधारा जाना चाहिए। इतना ही नहीं एक नंबर प्लेटफॉर्म से सटकर कचरे का डंप बनाया गया है, जिसमें स्टेशन से निकलने वाले कचरे को डाला जाता है, जिसका उठाव लगातार नहीं किया जाता है। एक समय ऐसा था कि जब बीना स्टेशन को बेहतर व्यवस्थाओं के लिए एक लाख रुपए तक का इनाम मिला था।

टूटी कुर्सियां जिनपर बैठने में लगता है डर
रेलवे स्टेशन पर कई जगहों पर टूटी कुर्सियां लगी हैं, जिनपर बैठने से लोगों को गिरने का डर बना रहता है। सीमेंट से बनी इन कुर्सियों के गिरने से यात्री चोटिल भी हो सकते हैं। इसके बाद भी इसपर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

आदेश के बाद भी एप्रॉन पर गंदगी
स्टेशन के सभी प्लेटफॉर्म पर पानी की सही निकासी न होने के कारण पानी एप्रॉन में ही भरता है। इस गंदगी पर अधिकारियों को फटकार भी मिलती है, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा स्वागत गेट के पास भी कबाड़ जमा होने जैसी स्थिति रहती है, लेकिन वहां पर भी स्थानीय अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता है और बाहर से स्टेशन में प्रवेश करने वाले यात्रियों को सामने से साफ स्वच्छत नहीं दिखती है।

वॉटर स्टैंड हुआ जर्जर
चार व पांच नंबर प्लेटफॉर्म पर स्थित वॉटर स्टैंड लोहे का है, जो पानी के कारण खराब हो चुका है। जहां पर पानी पीते समय यात्रियों को घायल होने का खतरा बना रहता है, लेकिन इसपर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।