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रेलवे के पंप हाउस की टनल सूखी, नदी में रखने पड़े चार पंप, तब हो पा रही सप्लाई

नदी के गिरते जलस्तर ने बढ़ा दी है रेलवे की चिंता, यात्रियों और कर्मचारियों की प्यास बुझाने करनी पड़ रही मशक्कत, नए जलस्रोत तलाशने में जुटे हैं अधिकारी, लेकिन स्टेशन पर नहीं रुक रही पानी की बर्बादी।

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Tunnel of railway pump house dried up

बीना नदी पर लगाए गए चार पंप

बीना. तेजी से गिरते बीना नदी के जलस्तर ने भीषण जल संकट की आहट दे दी है। रेल यात्रियों और कॉलोनी में रहने वाले रेल कर्मचारियों की प्यास बुझाने रेलवे को पानी लिफ्ट करना पड़ रहा है। रेलवे पंप हाउस की कैनाल सूखने के कारण नदी में चार पंप लगाकर पानी पंप हाउस तक पहुंचाया जा रहा है। हालत यह है कि आने वाले 20 से 25 दिनों में और ज्यादा जल संकट गहराने की आशंका है। इसे देखते हुए रेलवे ने वैकल्पिक जल स्रोत तैयार करने पर मंथन शुरू कर दिया है।
दरअसल रेलवे स्टेशन, पूर्वी और पश्चिमी रेलवे कॉलोनी में रोज करीब 40 लाख लीटर पानी की खपत होती है। जरूरत का पानी रेलवे को बीना नदी से मिलता है। इस बार नदी का जलस्तर तेजी से गिरने के कारण अभी से जल संकट गहरा गया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रेलवे को जरूरत के मुताबकि पानी लेने नदी में 20-20 हार्स पावर के चार पंप लगाने पड़े हैं। कर्मचारी 24 घंटे मेहनत कर पंप हाउस पर बने कुआं में पानी स्टोर कर सप्लाई कर रहे हैं। अधिकारियों का यह प्रयास भी ज्यादा दिनों तक काम आने वाला नहीं है, क्योंकि अन्य वर्षों के मुकाबले बीना नदी का जलस्तर इस साल तेजी से गिर रहा है। आने वाले दिनों में भीषण जल संकट की आहट को देखते हुए रेलवे ने वैकल्पिक जल स्रोत तैयार करने पर मंथन शुरू कर दिया है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक यदि बीना नदी से जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिलेगा, तो पश्चिमी रेलवे कॉलोनी में बोर किए जाएंगे। विभागीय स्तर पर इसकी पूरी रूपरेख बना ली गई है, पंप हाउस के पास पानी का जलस्तर घटते ही बोर खनन का काम शुरू कर दिया जाएगा।

पानी की बर्बादी पर लगनी होगी रोक
तपती धूप में नदी से पानी पंप हाउस तक पहुंचाने में लगे रेल कर्मचारियों का कहना है कि यात्रियों और रेल कर्मचारियों की प्यास बुझाने वह 15 दिन से पसीना बहा रहे हैं, लेकिन रेलवे स्टेशन पर पानी बर्बाद करने वालों को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं है कि पानी की एक-एक बूंद बहुमूल्य है। वह सामान्य दिनों की तरह पानी बर्बाद कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि पानी बेकार बहाने वालों पर तगड़ा जुर्माना लगना चाहिए, तभी जल संकट से निपट सकते हैं।