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कैकई जैसी मां ही नहीं हुई है और कैकई निंदनीय नहीं वंदनीय हैं-पीठाधीश्वर

श्रीराम कथा

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There has never been a mother like Kaikeyi and Kaikeyi is not condemnable but not venerable - Pithadhishwar

There has never been a mother like Kaikeyi and Kaikeyi is not condemnable but not venerable - Pithadhishwar

बीना. बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने सातवें दिन की श्रीराम कथा में चरणामृत की महिमा और भगवान श्रीराम के वनवास की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि श्रीराम सबसे ज्यादा प्रेम कैकई मां से करते थे। श्रीरामचरित मानस में माताओं में सबसे ज्यादा समर्पण कैकई ने किया है। बाल काल में ही श्रीराम ने कैकई से दो वचन मांगे थे, जिसमें पिता दशरथ से दो भरत को गद्दी और स्वयं को वनवास मांगने के लिए कहा था। श्रीराम ने कहा था कि वनवास नहीं हुआ तो अवतार का कारण पूर्ण नहीं होगा, उन्हें वन में जाकर संतों का दर्शन करना है और रावण का वद्ध करना है। श्रीराम की प्रसन्नता के लिए ही वह राजा दशरथ से दो वर मांगती हैं। कैकई जैसी मां ही नहीं हुई, कैकई निंदनीय नहीं, श्रीरामचरित मानस की कैकई वंदनीय है। क्योंकि कैकई ही हंै जिसने श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाया और वन में भेजकर रावण का वद्ध कर ऋषि मुनियों को बचाया। उन्होंने कहा कि जब भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारी चल रही थी, तभी कैकई कोप भवन में चली गईं और राजा दशरथ के पूछने पर दो वर मांगे, जिसमें भरत को राज और श्रीराम को 14 वर्ष वनवास मांगा। 14 वर्ष का वनवास इसलिए मांगा था, क्योंकि रावण की आयु 14 वर्ष शेष थी। जब श्रीराम अयोध्या छोडक़र जा रहे थे, पूरा नगर उनके साथ जाने तैयार हो गया था। केवट प्रसंग भी सुनाया।
चरणामृत पीने से नहीं होता पुनर्जन्म
पीठाधीश्वर ने कहा कि भगवान के चरणों का चरणामृत पीने वालों का पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता है। प्रतिदिन चरणामृत लेने पर कोई बीमारी नहीं होती। चरणामृत से कल्याण होता है। भगवान, माता-पिता, साधु-संत और गुरू का चरणामृत लेना चाहिए, जिससे बुद्धि निर्मल रहेगी और कृपा बनी रहेगी। चरणामृत अज्ञानी को ज्ञानी बना देता है, भक्ति दृढ़ हो जाती है, नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं, मन और आत्मा को पवित्र कर देता है। भगवान को पाना चाहते हैं, तो चरणामृत लो।
गुरुद्वारे पहुंचे पीठाधीश्वर
शनिवार को पीठाधीश्वर कलगीधर गुरुद्वारे पहुंचे और सिख समुदाय के लोगों को संबोधित किया। गुरुनानाक देव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्राण चले जाएं, लेकिन गुरुदेव भगवान को नहीं छोडऩा है।
बहुत ही धार्मिक नगरी है बीना
कथा सुनाते हुए पीठाधीश्वर ने कहा कि बीना बहुत ही धार्मिक नगरी है, इतनी भीषण गर्मी में भक्त पहुंच रहे हंै और कथा शीतलता दे रही है। खिरिया वार्ड स्थित श्रीरामनाम मंदिर के गुरुजी पं. हरदेव प्रसाद टोंटे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वह अद्भुत संत हैं बीना में, दस अरब श्रीरामनाम लेखन मंदिर में रखा हुआ है और श्रीरामनाम संकीर्तन होता है।