
खेत में बैठा घायल हिरन
बीना. गर्मी के चलते जंगल में मौजूद जलस्रोत सूखने लगे हैं और फसलों की कटाई होने के बाद खेतों के ट्यूबवेल भी बंद हो गए हैं, जिससे जंगली जानवर पानी की तलाश में खेतों में भटक रहे हैं। साथ ही आबादी वाले क्षेत्रों में भी पानी की तलाश में पहुंच जाते हैं।
क्षेत्र में करीब दो हजार हिरनों सहित बंदर, शियार, नील गाय आदि जंगली जानवर हैं। पानी की तलाश में हिरनों के झुंड खेतों में भटकते हैं। जंगल में बने जलस्रोत भी सूख गए हैं और वन विभाग पहले से कोई व्यवस्था भी नहीं करता है। कुछ किसान ट्यूबवेलों से गड्ढों में पानी भर देते हैं, लेकिन हर जगह यह व्यवस्था नहीं हो पाती है। इन जानवरों को ठंड के मौसम में, तो खेतों में चलने वाले ट्यूबवेलों से पानी मिल जाता है, लेकिन गर्मी में परेशानी बढ़ जाती है। पानी के लिए भटक रहे जानवर खेतों में बने बिना मुडेर के सूखे कुओं में गिरकर घायल हो जाते हैं या फिर मौत हो जाती है। वहीं, इस मौसम में शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं और मौका मिलते ही खेतों में घूम रहे हिरनों पर हमला कर देते हैं। कुछ दिनों पहले बेरखेड़ी माफी में एक मादा हिरण प्लाऊ वाले खेत में फंसकर घायल हो गया था।
राजस्व क्षेत्रों जंगली जानवर ज्यादा
जंगली जानवर जंगली क्षेत्र से निकलकर राजस्व क्षेत्र में आ गए हैं, जहां वन विभाग पानी की व्यवस्था नहीं कराता है। यहां पंचायतों को व्यवस्था बनानी होती है। पंचायतों में बने तालाब आदि स्रोतों से जानवरों को पानी मिल सकता है।
हाइवे पर आ जाते हैं जानवर
मालथौन, खुरई हाइवे पर कई बार जंगली जानवर पहुंचने से वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। पिछले वर्षों में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। खुरई रोड पर ऐसे मामले ज्यादा सामने आते हैं।
गड्ढों में भर रहे हैं पानी
जंगल में बने पुराने गड्ढों को साफ कर टैंकरों से पानी डाल रहे हैं, जिससे जंगली जानवरों को पानी मिल सके। राजस्व क्षेत्र में वन विभाग कार्य नहीं कराता है।
ओपी शिल्पी, डिप्टी रेंजर, बीना
Published on:
27 Apr 2025 12:13 pm
बड़ी खबरें
View Allसागर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
