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एप्पल के मैनेजर की हत्या के बाद UP पुलिस ने एक बार फिर खौफनाक वारदात को दिया अंजाम

उपकारागार में बंदी रक्षक ने बंदी को पीट-पीटकर किया अधमरा, हालत देखर नाना की भी बिगड़ी सेहत

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Injured Prisioner

एप्पल के मैनेजर की हत्या के बाद UP पुलिस ने एक बार फिर खौफनाक वारदात को दिया अंजाम

देवबंद. लखनऊ में एप्पल के मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकांड में फजीहत होने के बाद भी यूपी पुलिस के जवान सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला देवबंद का है। उपकारागार में हत्या के आरोप में बंद एक कैदी की बंदी रक्षक ने इतनी बेरहमी से पिटाई कर दी कि उसे जेल में भर्ती कराना पड़ा नाती की पिटाई होते देख उसके नाना की भी हालत बिगड़ गई तो आनन-फानन में उसे भी सीएचसी में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। हालांकि, जेलर ने जेल में किसी बंदी के साथ मारपीट की घटना या किसी बंदी को उपचार के लिए सीएचसी में भर्ती कराए जाने से इंकार किया है।

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उपकारागार में मोहल्ला बैरुन कोटला निवासी फैसल और उसके नाना असगर हत्या के आरोप में बीते काफी समय में बंद हैं। आरोप है कि सोमवार को उपकारागार में सलमान के साथ बंदी रक्षकों ने मारपीट की। जिसे देख उसके वृद्ध नाना असगर बेहोश हो गए और हालत बिगड़ने पर उसे उपचार के लिए सीएचसी में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने और दहशत में होने के चलते असगर कुछ भी बताने से इंकार करता रहा। इतना ही नहीं, उसने इतना कहकर बात खत्म करदी कि यदि उसने कुछ बताया तो उसके नातियों पर और अधिक जुल्म किया जाएगा। सीएचसी में डर से कांप रहे असगर ने जहां पहले कुछ भी बताने से इंकार करता रहा। लेकिन मीडिया कर्मियों द्वारा उसे न्याय का आश्वसन दिलवाए जाने के बाद असगर ने बताया कि उपकारागार में एक बंदी रक्षक ने उसके नाती फैसल को बेहरमी से पीटा। जब वह उसे बचाने के लिए गया तो उसके साथ भी अभद्रता की। सलमान को पिटते देख उसकी हालत खराब हो गई।

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उन्होंने बताया कि एक बंदी रक्षक द्वारा सलमान को पीटे जाने से हाथ में चोंट आई है, जिसका उपचार उपकारागार में ही किया जा रह है। हालांकि, असगर के सीएचसी में भर्ती कराए जाने पर उसका हालचाल जानने पहुंचे। परिजनों ने उपकारागार प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी उपकारागार में बंदी रक्षकों द्वारा बंदियों के साथ मारपीट की कई घटनाएं हो चुकी हैं। मारपीट के आरोप में बंदियों ने एक सप्ताह से अधिक समय तक उपकारागर में भूख हड़ताल भी की थी। तब उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बंदियों ने हड़ताल वापिस ले लिया था। उधर, उपकारागार में नियुक्त जेलर ने मामला संज्ञान में होने से इंकार कर दिया। जब सीएचसी में भर्ती असगर और उसके आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मामला संज्ञान में ना होने की बात कहकर फोन काट दिया।