
सहारनपुर।गोरखपुर आैर फूलपुर उपचुनाव के बाद सभी की नजरें पश्चिम उत्तर प्रदेश के कैराना अौर नूरपुर पर है।कैराना लोकसभा आैर नूरपुर विधानसभा से अलग अलग पार्टी से लेकर कर्इ महिला प्रत्याशी नामांकन कर चुकी हैं। हालांकि कैराना उपचुनाव में अभी तक बसपा ने अपने प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है इसकी वजह यह है कि इस सीट पर बसपा सुप्रीमो मायावती को हार का सामना करना पड़ा था। जी हां, इसी कैराना सीट से कांग्रेस के बड़े नेता ने मायावती को चुनाव में शिकस्त दी थी।वहीं अब इस कद्दावर नेता की बहु कैराना उपचुनाव में खड़ी है। जिसके चलते राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बसपा अपना उम्मीदवार न उतारकर सपा को समर्थन दे सकती है।
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रालोद के इस नेता ने मायावती को दी थी शिकस्त
भले ही इस बार कैराना उपचुनाव से बसपा सुप्रीमाे मायावती ने खुद को अलग कर रखा हो। लेकिन वह चाहकर भी कैराना को भुला नहीं सकती हैं। इसकी एक वजह उन्हें अपने पहले ही चुनाव में इस सीट से हार हाथ लगना है। 1984 में मायावती ने अपना पहला चुनाव कैराना सीट से ही लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी अख्तर हसन से वह हार गई थीं। इतना ही नहीं मायावती को चुनाव में भारी वोटों से शिकस्त मिली थी।
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मायावती को हराने वाले कद्दावर नेता की है बहु चुनावी मैदान में
वहीं आपकाें बता दें कि कैराना सीट से मायावती को कद्दावर नेता के जीतने पर हार का मुंह देखना पड़ा था। उसी नेता यानी चौधरी अख्तर हसन की बहु तबस्सुम हसन रालोद की आेर से कैराना लोकसभा उपचुनाव की प्रत्याशी है। वह अपना नामांकन करा चुकी है। वहीं अख्तर हसन के पोते कैराना विधानसभा सीट से विधायक है।
Published on:
12 May 2018 04:00 pm
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