
सहारनपुर/देवबन्द। केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को रामपुर के बागेश्वर मंदिर में वैदिक मंत्रों के साथ भगवान शंकर की आरती और जलाभिषेक किया। मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उनहोंने देश के अमन और शांति के लिए भगवान शिव की आराधना पूजा की है। मुख्तार अब्बास नकवी के इस तरह भगवान शिव की पूजा करने के बाद देवबंद के उलेमाओं ने मुख्तार अब्बास नकवी को नसीहत दे डाली।
दारूलउलूम अशरफिया के मोहतमिम सालिम अशरफ कासमी ने कहा कि हिंदुस्तान में अलग-अलग मजहब और तहजीबों के लोग रहते हैं। इसी के मुताबिक हर एक की धारणाएं और मजहबी दायरे भी अलग-अलग हैं। एक दूसरे के मजहबी दायरे में शामिल होकर कोई भी काम करना गलत है चाहे वो हिंदू करे या मुसलमान हो। अगर कोई हिन्दू आदमी मस्जिद में आकर नमाज पड़ेगा तो हिंदू समाज उसे अधर्मी कहता है। अब जहां तक मुख्तार अब्बास नकवी का मामला है, मुख्तार अब्बास नकवी और इस तरह के लोग अपने इस तरह के कामों से यह साबित करना चाहते हैं कि ऐसा करने से हिंदुस्तान में हिंदू-मुस्लिम में मोहब्बत बढ़ेगी तो यह तरीका मोहब्बत और अमन बढ़ाने वाला बिल्कुल नहीं है। हिंदू-मुस्लिम भाइयों में मोहब्बत बढ़ाने का तरीका एक दूसरे के साथ हमदर्दी रखना है और व्यवहार ठीक रखना है।
धर्म को बीच में लाए बगैर हर एक के साथ अच्छा सलूक करना है। दिल में कुछ और हो और चेहरे पर कुछ और हो इससे कभी मोहब्बत नहीं बढ़ सकती। इस तरह की बातें हमारे इस्लाम धर्म के खिलाफ हैं और सिस्टम के भी खिलाफ हैं। मुख्तार अब्बास नकवी जैसे लोगों के लिए सही बात तो यह है कि हमारे नबी ने कहा है कि अगर कोई किसी दूसरे की परंपरा को अपनाएगा तो उसी कौम में वह शुमार होगा। अब मुख्तार अब्बास नकवी अपने दिल पर हाथ रख कर बताएं कि इस काम को करने के बाद कल वह अल्लाह को क्या जवाब देंगे।
Published on:
13 Feb 2018 12:00 am
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