
key to success
सहारनपुर। इरादा अगर पक्का हो तो शारीरिक अक्षमता भी आड़े नहीं आ सकती। लगातार अभ्यास से आपको सफलता जरूर मिलेगी। सहारनपुर के अमित कश्यप ने यह बात साबित कर दिखाई है।
पत्रिका के प्राेग्राम key to success में आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं जिन्हाेंने अपने पक्के इरादाें से नामुमकिन काे भी मुमकिन कर दिखाया। वह खुद नहीं देख पाते लेकिन हर दिन सैकड़ों लोगों को राह दिखाते हैं। हम बात कर रहे हैं State Bank of India के कर्मचारी अमित कश्यप की।
अमित सहारनपुर के कोर्ट रोड पर स्थित SBI की मेन ब्रांच में बतौर ग्राहक मित्र ड्यूटी करते हैं। वह जन्म से ही ब्लाइंड हैं, देख नहीं सकते लेकिन शाखा का इंक्वायरी काउंटर बड़ी अच्छी तरह से संभालते हैं। बैंक आने वाले ग्राहकों को राह दिखाते हैं। ग्राहकाें की हर समस्या का समाधान अमित के पास रहता है। अगर आप बैंक पहुंचे हैं और आपको यह जानकारी नहीं है कि पासबुक के लिए कौन सा फॉर्म चाहिए ? एटीएम के लिए कौन सा फॉर्म भरना हाेगा ? नगद जमा के लिए कौन सा फॉर्म है और खाते से पैसे निकालने हों तो कौन सा फॉर्म आपको भरना होगा ? यकीन मानिए आपके इन सभी सवालाें के जवाब अमित के पास मिलेंगे। आपको सिर्फ बताना होगा कि आप क्या करना चाहते हैं और अमित आपको उसी कार्य से संबंधित फॉर्म काउंटर से निकालकर देंगे।
बैंक शाखा के कर्मचारी भी अमित की इस कार्यकुशलता को देखकर हैरान रह जाते हैं। अमित देख नहीं सकते लेकिन बैंक में आने वाले ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के मुताबिक ही फॉर्म निकाल कर देते हैं। जब हमने उनसे पूछा कि वह फॉर्म की पहचान कैसे करते हैं? तो अमित ने बताया कि काउंटर में उन्होंने अलग-अलग फॉर्म के अलग-अलग खाने (Sector) बनाए हुए हैं और उन्हें पता है कि कौन सा फॉर्म किस खाने में रखा हुआ है। अमित का यह भी कहना है कि वह साइज से भी समझ लेते हैं कि फॉर्म किस कार्य के लिए है। अमित सिर्फ फॉर्म तक ही सीमित नहीं है। शाखा आने वाली ग्राहक की किसी भी तरह की समस्या का समाधान उनके पास हाेता है क्याेंकि वह ग्राहक मित्र हैं।
सहारनपुर के पुराने शहर रानी बाजार के रहने वाले अमित कश्यप ने बीकॉम तक पढ़ाई की है। बीकॉम तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने एसबीआई में अपनी सेवाएं देना शुरू की और पिछले करीब 8 साल से वह पूरी मेहनत और लगन के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जब हमने अमित के कार्य के बारे में शाखा प्रबंधक से बात की तो उन्होंने बताया कि अमित की कभी कोई शिकायत नहीं आती। जितना उनको काम दिया जाता है वह उससे बेहतर काम करते हैं और हमेशा किसी भी कार्य को इंकार नहीं करते। जब भी उन्हें कोई नई जिम्मेदारी दी जाती है तो वह खुश होकर स्वीकार करते हैं।
अपनी बेटियों को भी पढ़ाते हैं अमित
बैंक से छुट्टी होने के बाद अमित घर पहुंचते हैं ताे वहां भी वह एक कुशल पिता हैं। बैंक से घर पहुंचने के लिए वह रिक्शा का सहारा लेते हैं और घर पहुंचने के बाद अपने घर के कार्य भी निपटाते हैं। अमित ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं वह अपनी बेटियों को भी पढ़ाते हैं राइटिंग का कार्य उनकी पत्नी कराती हैं और बच्चों को नैतिक शिक्षा और थ्याैरी वह करा लेते हैं।
Updated on:
03 Sept 2019 09:32 pm
Published on:
30 Aug 2019 08:53 am
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