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कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच जिला अस्पताल की इमरजेंसी ‘लाइव’

Highlights कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच अस्पताल की इमरजेंसी का हाल लॉक डाउन की वजह से कम हुई अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या

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सहारनपुर। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच जिला अस्पताल की इमरजेंसी का क्या हाल है ? यहां आने वाले राेगियों काे उपचार मिल रहा है या उन्हे यह कहकर टाल दिया जा रहा है कि सिर्फ कोरोना के मरीज ही देखें जाएंगे। यह जानने के लिए हम खूफिया कैमरे के साथ सहारनपुर जिला अस्पताल पहुंचे।

इमरजेंसी लाइव

शाम के करीब 5:30 बजे हैं। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर 2 वार्ड बॉय खड़े हैं। दाेनाें ने मास्क लगाया हुआ है और सिर पर कपड़े की कैप भी पहनी है। पूछने पर इन्होंने बताया कि आजकल बहुत कम मरीज आ रहे हैं। ऐसा सामान्य दिनों में नहीं होता। बताया कि, लड़ाई-झगड़े तो जैसे खत्म ही हो गए हैं। अधिकांश मामले एक्सीडेंट के आते थे लेकिन अब एक्सीडेंट नहीं हो रहे। लड़ाई झगड़े वाले इक्का-दुक्का मरीज जरूर पहुंच रहे हैं। इसी दौरान एक वार्ड बॉय ने हंसते हुए कहा कि, जितने लोग कोरोना से उधर मर रहे हैं उतने ही यहां बच रहे हैं। जब से लॉक डाउन हुआ है कोई भी एक्सीडेंट नहीं हुआ। इनका कहना सही था दरअसल सहारनपुर में हर माह 10 से 15 लाेगाें की माैत सड़क दुर्घटना में हाे जाती है लेकिन लॉक डाउन के बाद काेई एक्सीडेंट नहीं हुआ।

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इनसे बात करने के बाद हम आगे बढ़े तो इमरजेंसी वार्ड के अंदर ईएमओ और फार्मेसिस्ट बैठे हुए हैं। इन्होंने अपनी टेबल के आगे एक रस्सी बांधी हुई है ताकि इमरजेंसी में पहुंचने वाला मरीज सीधे इनके पास तक ना पहुंच पाए और साेशल डिस्टेंस बना रहे। ऐसा भी सामान्य दिनों में नहीं होता। इन्हाेंने भी पूछने पर बताया कि कोरोना जैसे लक्षण लोगों में नहीं हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे जरूर आते हैं जिन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें कोरोना जैसे लक्षण हैं। ऐसे लोगों को उपचार देकर काउंसलिंग की जाती है अगर उनमें काेई भी लक्षण दिखाई दे ताे उन्हे तुरंत क्वारंटाइन कराया जाता है। यह भी बताया कि मारपीट के मामलों के घायल और हार्ट पेशेंट भी आ रहे हैं जिनको तुरंत इलाज दिया जाता है।

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अब शुरू हुआ इएमओ यानी इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर की बताई गई बातों का परीक्षण। अभी हम डॉक्टर से बात कर ही रहे थे कि हमने देखा एक करीब 40 साल का व्यक्ति तेजी से इमरजेंसी की ओर बढ़ रहा है। इसने सीने में तेज दर्द हाेने की बात कही। इसके साथ में आए दूसरे व्यक्ति ने बताया कि सीने में अचानक दर्द हो गया है इस दौरान तुरंत फार्मेसिस्ट इनको एल्कोमीटर लगाते हैं और इनका ब्लड प्रेशर चेक करते हैं। इनका ब्लड प्रेशर 180 है और इनको उपचार दिया जाता है।

अभी इनका उपचार चल ही रहा है कि अचानक एक बच्चे को लेकर दो लोग पहुंचते हैं और बताते हैं कि उनका बच्चा सीढ़ियों से गिर गया है। यह सुनकर इएमओ अपनी कुर्सी से उठ जाते हैं और साइड में बनी मिनी ऑटी में बच्चे को लाने के लिए कहते हैं। यहां पर डॉक्टर बच्चे को चेक करते हैं लेकिन बच्चे को कोई ज्यादा नुकसान नहीं है। इन दोनों से पहले एक महिला इमरजेंसी वार्ड में ही लेटी हुई हैं जिन्होंने पूछने पर बताया कि गांव में झगड़ा हुआ था और झगड़े में उनको गुम चोट आई। उन्हें पीएचसी से रेफर किया गया है।

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इसके बाद हमने दोबारा इएमओ से बात की तो उन्होंने बताया कि जो पेशेंट आ रहे हैं उनको तुरंत उपचार दिया जा रहा है। जो ज्यादा गंभीर नहीं होते उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद वापस घर भेज दिया जाता है। जिन मामलों में भर्ती करना आवश्यक दिखाई देता है उन्हें भर्ती भी किया जा रहा है।

यह सुनकर हम इमरजेंसी के उस वार्ड में पहुंचे जहां भर्ती मरीजों को रखा जाता है। यहां हमने देखा कि, करीब 10 रोगी भर्ती हैं। इस दौरान पता चल रहा है कि सहारनपुर जिला अस्पताल में केवल कोरोना संबंधी मामलों का ही उपचार नहीं हो रहा बल्कि आकस्मिक विभाग में जो ऐसे रोगी आ रहे हैं जिन्हें तुरंत उपचार की आवश्यकता है उनका भी उपचार हो रहा है।

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कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच ऐसी खबरें आ रही थी कि जिला अस्पताल की एमरजेंसी में सिर्फ कोरोना के मरीजों काे ही देखा जा रहा है बाकी मरीजों काे देखने से मना कर दिया जाता है। इस बात का पता लगाने के लिए हम जिला अस्पताल की एमरेंजी पहुंचे थे लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं था और हर तरह के राेगियाें काे अटेंड किया जा रहा था।