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OnceUponaTime: हुमायूँ ने सहारनपुर में मिर्जा हमजा अली से बनवाया था लखनाैती का किला, जानिए किले की पूरी कहानी

पानीपत की जंग के बाद यमुना किनारे बस गए थे अमीर मर्दा अमीर मर्दा के बेटे मिर्जा हमजा अली से बनवाया था किला मुगलकालीन किला खुद में समेटे हुए इतिहास

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लखनाैती का किला

सहारनपुर। पत्रिका के प्राेग्राम OnceUponaTime में आज हम जानेंगे हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश से सटे यूपी के अंतिम जिले सहारनपुर में स्थित मुगलकालीन लखनाैती किले की कहानी। यह किला इंजनीयरिंग की नायाब मिसाल है। करीब 25 बीघा क्षेत्र में फैले इस किले काे दिल्ली की गद्दी पर बैठे हुमायूं ने अमीर मर्दा के बेटे मिर्जा हमजा अली से बनवाया था। आज भी इस किले में उनके वंशज रहते हैं।

जानिए इस किले की कहानी

मिर्जा हमजा अली के वशंज मिर्जा नुसरत अली बताते हैं कि, इस किले नीव हुमायूं के समय में रखी गई लेकिन कहानी काे समझने के लिए हमे इतिहास के पिछले पन्ने काे पटलना हाेगा और बाबर से शुरु करना हाेगा। अफगानिस्तान से बाबर ने भारत पर हमला बाेला और दिल्ली पर कब्जा कर लिया। दाे साल बाद ही बाबर की माैत हाे गई और 1540 में शेरशाह शूरी ने बाबर के बेटे हिमायू काे हराकर बाबर की सल्तनत कब्जा ली। इस दाैरान बाबर का बेटा हुमायूं इरान चला गया। इरान में जाकर हिमायूं ने वहां सियाओं से मदद मांगी। करीब पंद्रह साल तक हिमायूं ईरान में रहा।

करीब पंद्रह साल बाद वह इरान से अमीर मर्दा और उनके भाई दाैलत मर्दा काे उनके कबीलाें के साथ लेकर भारत लाैटा। इस तरह हिमायू ने अमीर मर्दा और दाैलत मर्दा के साथ मिलकर 1555 शेरशाह सूरी से पानीपत की जंग जीत ली और हुमायूं काे दाेबारा की गद्दी पर बैठ गया। इस जीत के बाद हुमायूं ने दाेनाें ईरानी भाइयाें काे भारत में ही रुकने काे कहा लेकिन अमीर दाैलत मर्दा वापस इरान लाैट गए। अमीर मर्दा काे भारत अच्छा लगा और वह यमुना के किनारे रुक गए।

बाद में यमुना का का जलस्तर कम हाेने पर अमीर मर्दा यमुना पार करके सहारनपुर के गंगाेह क्षेत्र में आ गए। यहां का पानी उन्हे पसंद आया और वह यही ठहर गए ताे हुमायूं ने अमीर मर्दा काे लखनाैती में कई साै बीघा क्षेत्र दे दिया। इस तरह हिमायूं की ओर से दी गई आर्थिक सहायता से अमीर मर्दा के बेटे मिर्जा हमजा अली ने यह नयाबा किला बनवाया।

जानिए किले की कुछ खास बातें

इस किले में सात ब्रुज हैं जाे वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाए गए हैं। किले की दीवारें इतनी मजबूत हैं कि आज भी जस की तस खड़ी हुई हैं। इस किले के बाहर एक भूल भूलैया भी बनाई गई थी जिसमें आज तक अमीर मर्दा और उनके वशंजाें की कब्र हैं। आज भी इस किले में मिर्जा हमजा अली के वंशज रहे हैं। यह एतिहासिक किला अपने आप में इतिहास की कई शताब्दियाें तक की कहानियाें का गवाह है।

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