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नेताजी जयंती पर विशेष: मुगलकालीन कंपनी बाग का नाम आज से हुआ ”सुभाष चंद्र गार्डन”

सहारनपुर स्थित मुगल काल के कंपनी बाग का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( Subash chandra bosh ) की जयंती पर बदलकर सुभाष चंद्र गार्डन कर दिया गया है।

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saharanpur company garden

सहारनपुर। यह खबर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सहारनपुर वासियों को गौरवान्वित कर देगी। नेताजी सुभाष चन्द्र ( Neta Ji Subash Chandra Bose ) की जयंती पर सहारनपुर प्रशासन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सहारनपुर ( Saharanpur ) के कंपनी बाग का नाम ''सुभाष चंद्र गार्डन'' कर दिया है। अब सहारनपुर के कंपनी बाग को ''सुभाष चंद्र गार्डन'' के नाम से जाना जाएगा।

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इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी की तर्ज पर इस सुभाष चंद्र गार्डन का भी विकास होगा और यहां कई तरह की सुविधाएं लोगों को मिलेंगी। शहर के बीचोबीच स्थित कंपनी गार्डन सहारनपुर की शान रहा है। मुगलकालीन इस कंपनी बाग में सैकड़ों वर्ष पुराने औषधीय पौधे हैं और यहां पर राजकीय उद्यान परिसर भी है। इस परिसर में लंबे समय से शोध कार्य चल रहे हैं। अलग-अलग तरह के वृक्षों और पौधों पर यहां शोध कार्य होता रहता है।

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हर रोज हजारों की संख्या में शहरवासी कंपनी बाग में घूमने के लिए आते हैं। स्मार्ट सिटी की तर्ज पर अब सुभाष चंद्र गार्डन में 8 करोड रुपए की योजनाओं से विकास कार्य किए जाएंगे। नई सुविधाएं यहां दी जाएंगी। प्रशासन ने नेताजी सुभाष चंद्र बॉस की जयंती पर यह ताेहफा स्मार्ट सिटी के लाेगाें काे दिया है।

सहारनपुर कंपनी बाग के इतिहास पर एक नजर History Of Saharanpur Company Garden

माना जाता है कि सहारनपुर में स्थित कंपनी बाग की स्थापना 1750 में की गई थी और इसके संस्थापक इंतिज मुदाैला थे। पहली बार 1776 में गुलाम कादिर का ध्यान इस उद्यान की ओर गया और उन्होंने इसका जीर्णोद्धार कराते हुए विकास कराया। उस समय 7 गांव से आने वाला टैक्स कंपनी बाग के नाम कर दिया ताकि इसका रखरखाव ठीक तरह से हो सके। मराठा राजाओं ने भी इस कंपनी बाग की देखभाल की बाद में इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के हैंड ऑवर कर दिया गया। यहां औषधीय खेती हाेने लगी। 1817 में यह पूर्ण रूप से अंग्रेजों के आधीन हाे गया।

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