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Once Upon A Time:149 साल से जेल की कैद में है सहारनपुर का रोहिल्ला किला, अब मिलेगी रिहाई

Highlights भारतीय पुरातत्व विभाग से संरक्षित हैं रोहिल्ला किला 150 साल बाद मिलेगी प्राचीन किले को जेल से आजादी

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राेहिल्ला किला

saharanpur fort

सहारनपुर. पत्रिका के विशेष कार्यक्रम once upon a time में आज हम आपको दिखाएंगे सैकड़ों वर्ष पुराना रोहिल्ला किला जाे पिछले करीब 150 साल से जेल की कैद में है।

हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के राेहिल्ला किले की। इस किले को अब सहारनपुर जेल के नाम से जाना जाता है। आज से करीब 149 साल पहले सहारनपुर के रोहिल्ला किले को जेल में तब्दील कर दिया गया था लेकिन अच्छी बात यह है कि पुरातत्व विभाग ने अब इस ऐतिहासिक धरोहर घाेषित कर दिया है। अब 149 साल बाद इस प्राचीन ऐतिहासिक रोहिल्ला किले को जिला जेल की कैद से रिहाई मिलेगी।

सहारनपुर की जेल को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जाएगा और ऐतिहासिक विरासत इस रोहिल्ला किला को संरक्षित करने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को दिया जाएगा। रोहिल्ला किला कभी रोहिल्ला राजाओं का किला रहा है। बाद में इसे जेल बना दिया गया। वर्ष 1920 में इस रोहिल्ला किले काे भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित इमारत घोषित कर दिया था और साथ ही यह नोटिफिकेशन जारी कर दिया था कि इस इमारत में कोई भी निर्माण कार्य सुधार कार्य नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए पहले अनुमति लेनी होगी।

इस ऐतिहासिक किले को प्राचीन इमारत संरक्षण एक्ट 1904 के तहत संरक्षित इमारत घोषित किया गया है और इसके चेतावनी बोर्ड इमारत के चारों ओर लगाए गए हैं। जिन पर साफ अक्षरों में लिखा है कि यह ऐतिहासिक इमारत है राष्ट्रीय धरोहर है और इसको किसी भी तरह का नुकसान करना या इसके मौलिक स्वरूप से किसी भी तरह की छेड़छाड़ करना दंडनीय अपराध है।

यह है चेतावनी

जेल परिसर के बाहर लगे चेतावनी बोर्ड पर साफ लिखा है कि यह स्मारक प्राचीन स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है। यदि कोई भी ऐसी स्मारक को क्षति पहुंचाता है, नष्ट करता है बिलक अथवा परिवर्तित करता है या खतरे में डालता है या फिर इसका दुरुपयोग करते हुए पाया जाता है तो उसे इस अपकृत्य के लिए 2 वर्ष का कारावास या रुपए 100000 का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। जारी की गई अधिसूचना के अंतर्गत सीमा से 100 मीटर के भीतर का क्षेत्र है जिसमें किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं है तथा इससे आगे 200 मीटर तक का क्षेत्र विनियमित घोषित है जहां भवनों की मरम्मत परिवर्तन तथा निर्माण नवनिर्माण सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति से ही किया जा सकता है।