
जहरीली शराब
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सहारनपुर (Saharanpur) जहरीली शराब ने एक बार फिर कई जिंदगियां उजाड़ दी। अलीगढ़ की घटना के बाद कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। जांच बैठाई गई है और कार्रवाई भी होगी लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक लोग इस जहरीली शराब से मरते रहेंगे ? सवाल यह भी है कि ये जहरीली शराब बनती कैसे है और इसे बनाया क्यों जाता है ? इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए जब हमने पड़ताल की तो कुछ हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए।
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दरअसल यह पूरा खेल मिथाइल अल्कोहल और इथाइल अल्कोहल का है। इथाइल अल्कोहल नैचुरल प्रक्रिया ( सड़ने ) से तैयार होता है जिससे शराब बनती है जबकि मिथाइल अल्कोहल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री का वेस्ट होता है जो मानव शरीर के लिए बेहद घातक है। एक रिपोर्ट के अनुसार केवल दस एमएल मिथाइल अल्कोहल से ही व्यक्ति अंधा हो सकता है और उसकी जान भी जा सकती है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि मिथाइल अल्कोहल और इथाइल अल्कोहल दोनों ही देखने में एक जैसे हैं। इनकी गंध भी एक जैसी है और नेचर भी एक जैसा है। बिना लैब जांच के दोनों की पहचान करना मुश्किल है और शायद यही सबसे बड़ी वजह है कि शराब बनाने वाले इथाइल अल्कोहल सोचकर मिथाइल अल्कोहल से जहरीली शराब बना बैठते हैं। एक दूसरी वजह यह भी है कि मिथाइल अल्कोहल इंडस्ट्री का वेस्ट होने की वजह से महज छह रुपये लीटर ही मिल जाता है जबकि इथाइल अल्कोहल 40 से 45 रुपये लीटर मिलता है। ऐसे में इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ लोग केवल मुनाफा ( profit ) के चक्कर में लोगों की जान पर दांव लगा बैठते हैं और जहरीली शराब ( poisonous liquor ) बना देते हैं।
गुजरात से होती है सप्लाई
जिला आबकारी अधिकारी वरुण कुमार बताते हैं कि मिथाइल अल्कोहल की सबसे अधिक सप्लाई सबसे अधिक गुजरात से होती है। यह केमिकल थिनर और पेंट बनाने में इस्तेमाल होता है। गुजरात से बड़े-बड़े टैंकरों में भरकर इस केमिकल को अलग-अलग राज्यों में लाया जाता है। आशंका है कि रास्ते में ट्रक चालक इसे शराब की कसीदगी करने वालों और कथित ठेकेदारों को सस्ते दाम में बेच देते हैं। यहीं से जहरीली शराब बनाए जाने का खेल शुरू हो जाता है। पूर्व में पकड़े गए कुछ लोगों ने पुलिस पूछताछ में यह खुलासे किए हैं।
कड़का कांड के बाद बदल गए थे नियम
वर्ष 2009 में हुए कड़का और बुलंदशहर कांड के बाद मिथाइल अल्कोहल की ट्रांसपोर्टेशन के नियम बदल गए थे। इसका ट्रांसपोर्ट्रेशन सैंट्रल एक्साइज की निगरानी में होने लगा था। अब सैंट्रल एक्साईज की सील लगने के बाद यह टैंकर फैक्ट्री से निकलते हैं और जिस फैक्ट्री में जाते हैं वहां भी सैंट्रल एक्साइज के इंस्पेक्टर की निगरानी में सील खोली जाती है लेकिन इसके बाद बावजूद ट्रक चालक बीच रास्ते में हेरा-फेरी कर देते हैं। कुछ मामलों में ऐसा भी हुआ जब कथित ठेकरेदारों ने फैक्ट्री से ही मिथाइल अल्कोहल खरीद लिया।
Updated on:
28 May 2021 07:03 pm
Published on:
28 May 2021 06:59 pm
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