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दरअसल चांद 8 बजकर 35 मिनट पर नजर आया। जिसक के बाद दारुल उलूम में रुइयते हिलाल कमेटी ने देश के बिहार, झारखण्ड, तमिलनाडु समेत देश के विभिन्न कोनों से चांद नजर आने की तस्दीक की। चांद नजर आने के ऐलान के साथ ही मस्जिदों, घरों और बाजारों में रौनक लग गई। लोग घरों से निकल आए और एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हुए सहरी की तैयारियों में जुट गए। यह भी पढ़ें
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आपको बता दें कि रमजान का पहला इफ्तार गुरुवार की शाम छह बजकर 28 मिनट पर पर खोला जायेगा। कमेटी के मुताबिक इस बार 1पहला रोजा 14 घंटे से अधिक का होगा, जबकि सबसे लंबा रोजा 14 जून को 15 घंटे छह मिनट का होगा। रमजान के पूरे एक माह में कुल पांच जुमे पड़ सकते हैं। 15 जून को अलविदा जुमे की नमाज अदा की जायेगी।
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सब्र और तमाम गलत कामों को रोकने और अल्लाह के नजदीक ले जाने वाले इस माह की शुरूआत होते ही रोजेदारों की दिनचर्या बदल जाती है। सूरज के उगने से पहले उठना होता है और सहरी में कुछ खाने के बाद ही रोजा शुरू होता है। इसके बाद शाम को सूरज डूबने के कुछ समय के बाद असर की नमाज के समय खजूर खाकर इफ्तार किया जाता है यानी रोजा खोला जाता है।