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आपने देखी नहीं होगी ऐसी लाइब्रेरी, जानिए काैन-काैन सी किताबें हैं इस लाईब्रेरी में

देवबंद दारूल उलूम में एतिहासिक लाईब्रेरी का निर्माण चल रहा है। इसकी पांचवी मंजिल तैयार हाे रही है आैर इस लाईब्रेरी में कई भाषाआें की लाखाें पुस्तकें आ

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Devband library

सुफ़ियान अल्वी/ देवबन्द
इल्म की नगरी देवबंद के दारूल उलूम में बन रही लाइब्रेरी अजूबे से कम नहीं। आपने अभी तक बहुत सी लाइब्रेरी देखी होंगी लेकिन सहारनपुर के देवबंद में बन रही है लाइब्रेरी अपने आप में एक नजीर है इस लाइब्रेरी में भारत की अनेकों भाषाओं की लाखों किताबें हैं और राजा महाराजाओं के हस्तलेख की पुस्तकें भी मौजूद हैं। इस पुस्तकालय की अभी पांचवीं मंजिल निर्माणाधीन है और खास बात यह है कि पुस्तकालय की छत को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि उस पर हैलीकॉप्टर की लैंडिंग भी की जा सके। यानि अगर आप देश के किसी भी हिस्से से इस पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए जाते हैं तो आपको सड़क मार्ग की आवश्यकता नहीं होगी और हैलीकॉप्टर को सीधे लाइब्रेरी की छत पर उतारा जा सकता है। हम कह सकते हैं कि
ऐतिहासिक इमारतों, विश्वस्तरीय उलेमाओं, उच्चकोटि के मुफ्तियों और वक्ताओं के साथ-साथ दारुल उलूम देवबंद ने देश को सर्वश्रेष्ठ पुस्तकालय भी दिया है। खास बात यह भी है कि, यह देश का पहला ऐसा पुस्तकालय है जिसको न तो सरकारी सहायता प्राप्त है और न ही किसी संस्था की ओर से कोई बजट निर्धारित है।

यहां लगभग डेढ़ लाख पुस्तकें मौजूद है, जिनमें अधिक संख्या उन पुस्तकों की है जिनको विभिन्न समुदाय के लोगों ने संस्था को दान स्वरूप भेंट की है। इस पुस्तकालय में 17 भाषाओं में विभिन्न विषयों पर आधारित पुस्तकें उपलब्ध है। इनमें अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, पंजाबी, तेलगू, तमिल, फ्रांसीसी, बंगला, तुर्की, मलयालम, मराठी, सिंधी और बरमी भाषायें शामिल हैं। इस पुस्तकालय में हस्तलिखित पुस्तकों की भी बड़ी संख्या मौजूद है। जो फन्नेखताती (हस्तलिखित कला) का सर्वोच्च उदाहरण है। 800-900 वर्षों पुराने राजा-महाराजाओं, नवाबों और बादशाहों के शासन काल में लिखी गई हस्तलिखित ऐतिहासिक पुस्तकें इस पुस्तकालय की गरिमा बढ़ा रही हैं। प्रमुख मुगल सम्राट औरंगजेब व आलमगीर द्वारा लिखित कुरान शरीफ, कुंदन लाल सिकंदराबादी द्वारा लिखित अमीरनामा और सुल्तान सिंह द्वारा लिखित गुलिस्तां शेख सादी भी यहां मौजूद हैं।

वर्तमान में करीब तीन हजार छात्र यहां निःशुल्क पुस्तक वाचन सुविधा प्राप्त कर रहे है। इसी पुस्तकालय से प्रत्येक छात्र को सत्र के आरंभ में पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं, जो कि सत्र की समाप्ति पर वापिस ले ली जाती हैं। इस पुस्तकालय के महत्व का अंदाजा आप यूं भी लगा सकते है कि अरब देशों, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, अफगानिस्तान सहित विश्व भर के शोधकर्ता इस्लाम धर्म के विषयों पर शोध करने के लिए समय-समय पर पुस्तकालय से अवश्य संपर्क करते है। देश के कोने-कोने से भी शोध करने वालों का तांता यहां लगा रहता है। वर्तमान में यहां केवल कुरान शरीफ के विभिन्न 17 पहलुओं पर हजारों किताबें उपलब्ध है।


देवबंद पुस्तकालय तीन बड़े हाॅल और 12 छोटे-बड़े कमरों में स्थापित है। एक हाॅल में केवल अरबी और एक हाॅल में उर्दू की पुस्तकें सजाई गई हैं। एक अन्य कमरें में अनमोल व नायाब पुस्तकों को सजाया गया है। इसके अतिरिक्त एक कमरे में दारुल उलूम के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों द्वारा विभिन्न विषयों पर लिखी गई पुस्तकों को खूबसूरत अलमारियों में नाम सहित रखा गया है। इन विद्वानों में मौलाना कासिम नानौतवी, अल्लामा अनवर शाह कश्मीरी, मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी, मौलाना अशरफ अली थानवी, अल्लामा शब्बीर अहमद उस्मानी और मौलाना फखरुल हसन गंगोही प्रमुख हैं।

पुस्तकों और अवलोकन के लिए आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दारुल उलूम की सर्वोच्च खंडपीठ मजलिस-ए-शूरा ने कुछ वर्ष पूर्व पुस्तकालय के नये भवन का प्रस्ताव पारित किया जिसके बाद लाईब्रेरी का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है तथा बाब-ए-जाहिर गेट के सामने बनने वाली सात मंजिला आलीशान पुस्तकाल की इमारत के पांच मंजिल तैयार हो चुकी है।