25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गैंगवार में 50 हजार का इनामी डकैत छोटू कोल ढेर, MP-UP के इन क्षेत्रों में बना रखी थी धमक

50 हजार के इनामी डकैत की गैंगवार में मौत, पुलिस ने जंगल से बरामद किया शव

2 min read
Google source verification
50 thousand prize money dacoit chhotu kol murder in chitrakoot

50 thousand prize money dacoit chhotu kol murder in chitrakoot

सतना। 50 हजार का इनामी डकैत छोटू कोल मारा गया। उसके साथियों ने ही किसी विवाद पर गोली मारकर हत्या की है। उसका शव जंगल में मंगलवार को लावारिस हालत में मिला है। पुलिस ने शव की शिनाख्त कराते हुए परिजनों को पोस्टमार्टम के बाद शव सौंप दिया है। अब इस बात की जांच की जा रही कि इनामी डकैत की हत्या किन परिस्थितियों में हुई है।

उप्र पुलिस के अनुसार, थाना मऊ अंतर्गत ग्राम देउरा गांव से लगे जंगल में बरदहा नाले के पास एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद हुआ था। खबर पाते ही पुलिस अधीक्षक समेत कई आला अफसर मौके पर पहुंचे। जांच में पता चला कि मृतक शातिर बदमाश छोटू कोल पुत्र नंदा कोल निवासी चमरौंहा थाना मानिकपुर है। इस पर उसके परिजनों को पहचान के लिए बुलाया गया।

पिंटू कोल को उसके साथियों ने ही मार दिया

शिनाख्त होने पर शव पोस्टमार्टम के लिए भेजते हुए जंगल में आसपास सर्चिंग की गई। उस पर पुलिस महानिदेशक उप्र ने 19 जून 2013 को 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। पुलिस की प्राथमिक जांच में यह बात साने आई है कि छोटू कोल उर्फ पिंटू कोल को उसके साथियों ने ही मार दिया है।

ये है मामला
छोटू उर्फ पिंटू कोल उप्र पुलिस के रेकॉर्ड में दर्ज डी-11 राजू कोल गैंग का सक्रिय सदस्य रहा है। 22 मई 2010 को डी-11 के गैंग लीडर राजू कोल पुत्र शिवधारी कोल की हत्या हो जाने के बाद छोटू ने अपना अलग गिरोह बना लिया और अपराध करने लगा। वर्ष 2012 में कर्वी न्यायालय से पेशी के बाद बांदा जेल ले जाया जा रहा था तभी पुलिसकर्मियों को चकमा देकर भाग गया था।

अभी भी कई सवाल बरकरार
50 हजार के इनामी डाकू छोटू कोल के मारे जाने की पुष्टि के बाद से कई सवाल अभी भी सामने हैं। उसके हाथ में अनिल हिंदी व अंग्रेजी से गुदा था, जबकि उसका इस नाम से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। उसके पिता नंदा कोल ने बताया कि छोटू का विवाह नहीं हुआ था। उसके किसी दोस्त का नाम भी अनिल नहीं है। उसके एक हाथ की उंगली टेढ़ी थी, लेकिन बरामद शव के हाथ की सभी उंगलियां सीधी थीं। इसके सहारे परिजनों ने शुरू में पहचान नहीं की थी। आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक दिन बाद परिजनों ने पुलिस के सामने आकर उसकी शिनाख्त कर दी। हालांकि यूपी पुलिस संभावना जताती है कि डाकू ने दूसरों को धोखा देने के लिए अनिल नाम गुदवाया हो। उंगली टेढी होने के मामले में कोई जवाब नहीं दिया।

मप्र में अपराध नहीं
डकैत छोटू सीमाई इलाकों में रहकर गैंग संचालित कर रहा था। लेकिन उसने मप्र के इलाकों में कोई घटना नहीं की। छोटू के खिलाफ जीआरपी मानिकपुर, कोतवाली ललितपुर, थाना बरगढ़, नाका हिडोला लखनऊ, बांदा के थाना अर्तरा में कई संगीन अपराध कायम थे।

गैंगवार की आशंका
जिस तरह से छोटू को गोली मारी गई है उसे देखकर लगता है कि गैंगवार हुआ है। उसके चेहरे को निशाना बनाकर गोली मारी गई है। वहीं कई दिन पुरानी लाश होने के कारण चेहरा काला पड़ गया था। इससे पहचान करना भी मुश्किल हो रहा था।

नदी किनारे अंतिम संस्कार
पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया। परिजनों ने शव का जिला मुख्यालय के ही नदी किनारे घाट अंतिम संस्कार कर दिया। इस दौरान बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात रहा।

मजदूरी तक किया
डकैत छोटू तराई के कई बड़े गैंग में रह चुका था। कुछ माह पूर्व मुंबई भागकर गया था और वहीं मजदूरी करता था। इसकी भनक पुलिस को लग चुकी थी। लेकिन, पुलिस कोई कार्रवाई करती।