
satna hospital
सतना. बुखार से तप रहे 8 वर्षीय बेटे को लेकर किशन जिला अस्पताल पहुंचे। यहां ओपीडी पर्ची के लिए मुसीबत की कतार में एक घंटे तक जद्दोजहद करते रहे। परेशान होकर बिना पर्ची के चिकित्सक कक्ष पहुंचे। जहां से बिना इलाज मासूम को चलता कर दिया गया। जब अस्पताल में इलाज नहीं मिला तो थक-हार कर किशन ने बेटे का मजबूरी में निजी क्लीनिक में इलाज कराया। यह अकेले किशन की समस्या नहीं है। इ-हॉस्पिटल की सुविधा शुरू होने के बाद भी अस्पताल पहुंचने वाले प्रत्येक पीडि़त को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
पर्ची के लिए मशक्कत
पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि ओपीडी पर्ची के लिए मुसीबत की कतार में लगे अधिकांश पीडि़त ग्रामीण अंचल के थे। सभी को इलाज के बाद घर लौटने की जल्दी थी। एेसे में कतार में खड़े सभी पीडि़तों को पर्ची लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही थी।
आेपीडी पर्ची बढ़ा रहा मर्ज
जिला अस्पताल द्वारा बीते दिनों जारी रिपोर्ट की माने तो ओपीडी में रोजाना १२ सौ से डेढ़ हजार मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। तकनीकी जानकारों की मानें तो सौ मरीजों के बीच ओपीडी पर्ची के लिए एक कम्प्यूटर सिस्टम होना चाहिए, लेकिन वेंडर द्वारा ६ से ८ कम्प्यूटरों से काम चलाया जा रहा है। इसका खामियाजा ओपीडी पर्ची लेने वाले पीडि़तों को भुगतना पड़ रहा है।
यूपीएस के बिना चला रहे कम्प्यूटर
इ-हास्पिटल की सुविधा आरंभ हो जाने के बाद ओपीडी पहुंचने वाले मरीजों का ब्यौरा ऑनलाइन दर्ज हो रहा है, लेकिन पर्ची प्रदाता वेंडर द्वारा कम्प्यूटर नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। इसके अलावा यूपीएस के बिना कम्प्यूटर का संचालन किया जा रहा है। एेसे में विद्युत सप्लाई के दौरान ट्रिपिंग होने पर कम्प्यूटर रिस्टार्ट होने में दस से पंद्रह मिनट का समय लेते हैं। तब तक मरीजों की कतार पर्ची के लिए लंबी हो जाती है।
मासूम की मौत के बाद भी नहीं जागे
ओपीडी पर्ची के लिए लगी मुसीबत की कतार में बीते दिवस एक मासूम की बिना इलाज मौत हो गई थी। इसके बाद अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन मासूम की मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदार नहीं चेते हैं। व्यवस्था में सुधार के प्रयास नहीं किए जा रहे हैंं।
Published on:
24 Aug 2018 11:04 am
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