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चाचा नेहरू के सपनों का भारत कचरे में तलाश रहा “भविष्य”

बाल मजदूरी रोकने सरकार असफल, गरीबी में घुट रहा बचपन

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सतना

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Hitendra Sharma

Nov 14, 2021

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सतना. देशकेप्रथमप्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आज केबच्चेकलका भारतबनाएंगे जिस तरह से हम उन्हें लाएंगे, उससे देश का भविष्य तय होगा। इसी सोच के साथ उन्होंने आइआइटी, एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना की थी। चाचा नेहरू को बच्चों से बहुत प्रेम था। उन्होंने बचपन को सुरक्षित कर भारत का भविष्य बनाने के लिए बाल मजदूरी रोकने कानून बनाया था। बाल शिक्षा अनिवार्य किया। लेकिन, गरीबी एवं लाचारी ने एक बार फिर से बच्चों के हाथ से किताब और पेंसिल छीन उसमें बोरी थमा दी है।

बाल श्रम व बाल मजदूरी रोकने का कानूनफाइलों में कैद होकर रह गया है। शहर की हर गली, हर सड़क पर देश का भविष्य कचरे में रोटी की तलाश में भटक रहा है। आलम यह है कि शिक्षा की गारंटी अधिनियम भी गरीब एवं दलित बच्चों का भविष्य नहीं संवार पाया । आज देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिवस जिलेभर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। बाल दिवस की सार्थकता चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि देने मात्र से पूरी नहीं होगी, उनके सपनों का भारत तभी आकार लेगा, जब बाल मजदूरी, अशिक्षा एवं नशा जैसी बुराइयों का देश एवं समाज से अंत होगा।

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फाइलों में दम तोड़ रहीं बाल संरक्षण योजनाएं
दलित बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए बाल संरक्षण की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। रहीं ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा रहे, उनका सर्वेकर नजदीकी स्कूल में प्रवेश कराने हर साल सर्वे भी होता है, लेकिन तोड़ रहीं बाल योजनाएं प्रशासनिक अनदेखी के चलते सर्वे कागज तक सिमट कर रह गया है। हर दूसरे होटल में बाल मजदूरी करते बच्चे बाल संरक्षण योजनाएं श्रम कानून की पोल खोल रहे हैं। शहर में आज भी दो हजार से अधिक बच्चे हैं जिनका स्कूल से नाता टूट चुका है।

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नशे की गिरफ्त में बचपन
तेजी से फैल रहा नशे का कारोबार बच्चों का भविष्य चौपट कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले के 20 फीसदी बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं। इसमें शहरी बच्चों की संख्या सर्वाधिक है। नशे की गिरफ्त आने से बच्चों का मानसिक और शारीरिक संतुलन बिगड़ रहा है। नशे के कारण जिले में बाल अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। नशे के लिए पैसा जुटाने बच्चे चोरी जैसी वादरातों को अंजाम दे रहे हैं।