
Chitrakoot forest area will get new identity from Vanvasi Ramlok
सतना। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चित्रकूट में वनवासी राम लोक बनाने की घोषणा के बाद से जनमानस में व्यापक हर्ष व्याप्त है। धार्मिक पर्यटन के लिये विख्यात चित्रकूट के अरण्य क्षेत्र के अब दिन बहुर जाएंगे। इससे न केवल पर्यटन गतिविधियों में इजाफा होगा बल्कि लोगों को रोजगार के साधन भी मिलेंगे। हालांकि वनवासी राम लोक किस तरह का होगा इसकी रूपरेखा अभी तो सामने नहीं आ सकी है लेकिन लोगों का मानना है कि चित्रकूट के जिन क्षेत्रों में वनवासी प्रभु श्रीराम ने भ्रमण किया है और आज वे धर्मक्षेत्र के रूप में जाने जाते हैं उन सबकी अनुकृति वनवासी रामलोक में देखने को मिलेगी। अब लोगों को यह कार्य प्रारंभ होने का बेसब्री से इंतजार है।
बने सर्किट तो बदले किस्मत
चित्रकूट धर्मक्षेत्र के जानकारों और यहां के साधु संतों का मानना है कि चित्रकूट से लगे विभिन्न इलाके प्रभु राम की वजह से धर्मक्षेत्र माने जाते हैं। इसमें सरभंग आश्रम, सुतीक्क्ष्ण आश्रम, राम प्रतिज्ञा स्थल सिद्धा पर्वत जैसे अनेकों धर्म क्षेत्र हैं। इन धर्मक्षेत्रों को लेकर लोगों में काफी आस्था है लेकिन अभी यहां बड़े पैमाने पर अवैध और वैध खनन गतिविधियां संचालित होती है। इस वजह से यहां की धार्मिक अस्मिता को चोट तो पहुंचती ही है साथ ही धर्म क्षेत्रों का स्वरूप भी बदलता जा रहा है। इन क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिये सभी धर्मस्थलों को जोड़ते हुए एक सर्किट बनाकर इनका विकास कर दिया जाए तो यहां के पर्यटन में बढ़ोत्तरी होगी साथ ही यहां के निवासियों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
कई खदानों की निरस्तगी के प्रस्ताव शासन में अटके
सिद्धा पर्वत में खनन अनुमति के बाद मुख्यमंत्री ने सिद्धा सहित ऐसे धर्म क्षेत्रों में खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी। जिसके अनुपालन में जिला प्रशासन ने लगभग एक दर्जन खनन क्षेत्रों की अनुमतियां निरस्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसमें से कई खनन क्षेत्र तो धर्मक्षेत्र में ही चल रही हैं। लेकिन अभी तक इन पर अंतिम निर्णय होना लंबित है।
सरभंगा वन अभयारण्य की सीएम से मांग
सरभंगा आश्रम जो कि वन क्षेत्र में स्थित है साथ ही इसके चारों और बड़ा वन क्षेत्र है। आज की स्थिति में इन अरण्य क्षेत्र में आधिकारिक तौर पर 14 बाघ मौजूद है। जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार इनकी संख्या दो दर्जन के लगभग है। लेकिन खनन सहित अन्य अवैध गतिविधियों के चलते न केवल बाघों पर संकट की स्थिति है बल्कि उनका विचरण क्षेत्र भी घटता जा रहा है। इसे देखते हुए वन विभाग ने राज्य शासन को सरभंगा वन अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। लेकिन अभी तक इस दिशा में मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों की मुख्यमंत्री से मांग है कि इस क्षेत्र को अभयराण्य घोषित कर दिया जाए।यह होगा
अभयारण्य का फायदा
Published on:
25 Jan 2023 10:34 am
बड़ी खबरें
View Allसतना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
