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चित्रकूटः जब प्रधानमंत्री मोदी संत को सहारा देकर मंच तक ले गए

श्रीराम की तपोभूमि में बोले पीएम-यहां अध्यात्म और प्राकृतिक सौंदर्य भी समय संस्कृत को प्रदूषित नहीं कर सका, यह शाश्वत बनी रही: मोदी  

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सतना। चित्रकूट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कितनी भाषाएं आईं और चली गईं, लेकिन हमारी संस्कृत आज भी उतनी ही अक्षुण्ण और अटल है। संस्कृत समय के साथ परिष्कृत तो हुई लेकिन प्रदूषित नहीं हुई। इसका कारण संस्कृत का परिपक्व व्याकरण विज्ञान है। भारत के विकास में संस्कृत का योगदान रहा है। वे यहां स्व अरविंद भाई मफतलाल के शताब्दी जन्म वर्ष समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने अरविंद एन मफतलाल स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। तुलसीपीठ के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जगदगुरु रामभद्राचार्य का हाथ पकड़ कर खुद उन्हें मंच तक लेकर पहुंचे। इस दौरान जगदगुरु रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री को गले लगाया।

संस्कृत भाषा शस्त्र और शास्त्र की जननी

पीएम मोदी ने कहा कि मात्र 14 महेश्वर सूत्रों पर टिकी संस्कृत भाषा शास्त्र और शस्त्र की जननी रही है। इसी भाषा में नाट्य और नृत्य का उपहार मिला। अंतरिक्ष विज्ञान और यु्द्ध कला के ग्रंथ भी लिखे गए। भारत के विकास में संस्कृत के योगदान के दर्शन होते हैं। दुनिया में संस्कृत पर रिसर्च हो रही है, संस्कृत का प्रसार बढ़ रहा है।

भारत को जड़ से उखाड़ने का प्रयास हुआ

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के एक हजार साल के काल खंड में भारत को जड़ से उखाड़ने का प्रयास किया गया। संस्कृत का भी पूरा विनाश करने का प्रयास हुआ। जिन लोगों में गुलामी की मानसिकता नहीं गई वो संस्कृत के प्रति बैर भाव पालते रहे। ऐसे लोग लुप्त भाषा का शिलालेख मिलने पर उसका महिमा मंडन करते हैं, लेकिन हजारों सालों से मौजूद संस्कृत का सम्मान नहीं करते। संस्कृत भाषा जानने को ये लोग पिछड़ेपन की निशानी मानते हैं। इस मानसिकता के लोग एक हजार साल से हारते आ रहे हैं। आगे भी कामयाब नहीं होंगे। संस्कृत हमारी परंपराओं की भाषा भर नहीं है, बल्कि हमारी प्रगति और पहचान की भाषा है। इस दौरान रामभद्राचार्य की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके ज्ञान पर कई यूनिवर्सिटी स्टडी कर सकती हैं। ऐसी मेधा राष्ट्र की धरोहर होती हैं। राममंदिर निर्माण में इनकी भूमिका रही।

पीएम ने चौपाई से बताई चित्रकूट की महिमा

प्रधानमंत्री ने तुलसी पीठ के कार्यक्रम में रामभद्राचार्य की तीन पुस्तकों 'अष्टाध्यायी भाष्य', 'रामानंदाचार्य चरितम' और 'भगवान श्रीकृष्ण की राष्ट्रलीला' का विमोचन किया। इसके पूर्व सद्गुरु ट्रस्ट के कार्यक्रम में बोले कि चित्रकूट के बारे में कहा गया है कि 'कामद भे गिरि राम प्रसादा। अवलोकत अपहरत विषादा' अर्थात चित्रकूट के पर्वत, कामदगिरि, भगवान राम के आशीर्वाद से सारे कष्टों और परेशानियों को हरने वाले हैं। ये महिमा यहां के संतों और ऋषियों के माध्यम से ही अक्षुण्ण बनी हुई है। रणछोड़दास ऐसे ही संत थे। उनके निष्काम कर्मयोग ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। तीर्थ स्थलों के विकास पर जोर दिया जा रहा है। चित्रकूट में आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता भी है। केन-बेतवा लिंक परियोजना, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे और डिफेंस कॉरिडोर की वजह से क्षेत्र में नए अवसर पैदा होंगे। इससे चित्रकूट विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।

लाखों मरीजों को जीवनदान देगी भविष्य की सद्गुरु मेडिसिटी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्योगपति और समाजसेवी अरविंदभाई मफतलाल की जन्म शताब्दी समारोह में शामिल हुए। कहा कि अरविन्द भाई की समाजसेवा अनुकरणीय है। उन्होंने संत रणछोड़दास के आदेश पर 1968 में ट्रस्ट की स्थापना कर चित्रकूट में नेत्र चिकित्सा के लिए काम शुरू किया। संत रणछोड़दास के निष्काम कर्मयोग ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। अरविंद भाई ने मानव सेवा के लिए जो त्याग और समर्पण किया वह स्मरणीय है। उनका जीवन एक तपे हुए संत की तरह रहा। इस अवसर पर उन्होंने अरविंद एन मफतलाल स्मारक डाकटिकट का विमोचन किया। चिकित्सालय के भविष्य के प्रोजेक्ट सद्गुरु मेडिसिटी का स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी पहल निरूपित किया और कहा कि यह लाखों लोगों को जीवनदान देगी। इस दौरान मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई व मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे ।

1950 के चित्रकूट को याद कर संत रणछोड़दास की महिमा बताई

प्रधानमंत्री ने संत रणछोड़दास के संबंध में बताया कि पूज्य गुरुदेव पहली बार 1945 में चित्रकूट आए थे, और 1950 में उन्होंने यहां पहले नेत्र यज्ञ का आयोजन कराया था। इसमें सैकड़ों मरीजों की सर्जरी हुई थी, उन्हें नई रोशनी मिली थी। आज के समय हमें ये बात सामान्य लगती होगी। लेकिन, 7 दशक पहले, ये स्थान लगभग पूरी तरह से वनक्षेत्र था। यहां न सड़कों की सुविधा थी, न बिजली थी, न जरूरी संसाधन थे। उस समय इस वनक्षेत्र में ऐसे बड़े संकल्प लेने के लिए कितना साहस, कितना आत्मबल और सेवा भाव की क्या पराकाष्ठा होगी तब ये संभव होगा। लेकिन जहां पूज्य रणछोड़दास जी जैसे संत की साधना होती है, वहाँ संकल्पों का सृजन ही सिद्धि के लिए होता है। आज इस तपोभूमि पर हम सेवा के ये जितने बड़े-बड़े प्रकल्प देख रहे हैं, वो उसी ऋषि के संकल्प का परिणाम हैं। उन्होंने यहां श्रीराम संस्कृत विद्यालय की स्थापना की। कुछ ही वर्ष बाद श्रीसद्गुरु सेवासंघ ट्रस्ट का गठन किया। जहां कहीं भी विपदा आती थी, पूज्य गुरुदेव उसके सामने ढाल बनकर खड़े हो जाते थे। भूकंप हो, बाढ़ हो, सूखे से ग्रस्त इलाकों में उनके प्रयासों से, उनके आशीर्वाद से कितने ही गरीबों को नया जीवन मिला।

रघुवीर मंदिर में किया पूजन

श्री सदगुरू सेवा संघ ट्रस्ट के रघुवीर मंदिर में प्रधानमंत्री ने पूजा अर्चना की। इसके बाद सद्गुरु के भविष्य के प्रोजेक्ट सद्गुरु मेडिसिटी के मॉडल का अवलोकन किया। जिसमें ट्रस्ट नेत्र चिकित्सा के अलावा चिल्ड्रन हॉस्पिटल की बुनियाद रखने जा रहा है। इसके बाद सदगुरू परिवार को संबोधित किया। कहा, अरविंद भाई की देश की अर्थ व्यवस्था और कृषि के क्षेत्र में अहम भूमिका रही है। उनके काम को आज भी लोग याद करते हैं। राम की कर्मभूमि में भगवान कामतानाथ को स्मरण करते हुए कहा कि कामतानाथ महाराज सबकी विपत्तियों व संकट को दूर करने वाले है। इनके दर्शन मात्र से सारे कष्टों का विनाश होता है। पूरे कार्यक्रम में अरविन्द भाई के पोते विशद पी मफतलाल प्रधानमंत्री के साथ रहे और उन्हें ट्रस्ट के सेवा भाव और प्रकल्पों से अवगत कराया।

स्वस्थ दृष्टि समृद्ध काशी

प्रधानमंत्री ने अपने लोकसभा क्षेत्र बनारस में ट्रस्ट द्वारा किए गए कार्यों की भी सराहना की। कहा, स्वस्थ दृष्टि समृद्ध काशी अभियान की वजह से काशी के घर घर में नेत्र परीक्षण किया जाना अनोखा अभियान है। इसके तहत साढ़े 6 लाख लोगों का इलाज किया गया तो 6 हजार सर्जरी कर लोगों को नेत्र ज्योति दी गई।

और पैदल चलने का निर्णय

कार्यक्रम स्थल में प्रधानमंत्री को नई विंग तक जाने के लिए कार्ट या कारकेट की व्यवस्था की गई थी। लेकिन प्रधानमंत्री ने इस व्यवस्था को दरकिनार कर पैदल जाने का निर्णय लिया।

जब कुर्सियों से ज्यादा हो गए पास

प्रधानमंत्री के एक कार्यक्रम में सवा 2 सौ कुर्सियां रखी गई थीं। लेकिन यहां पर लोगों को जो पास जारी किए गए थे उनकी संख्या ढाई सौ से ज्यादा हो गई थी। यह देख सुरक्षा में तैनात लोगों ने आनन फानन में व्यवस्था दुरुस्त करवाई।

पीएम को संभाला एसपीजी ने

प्रधानमंत्री जब दर्शन उपरांत जूते पहन कर आगे के लिए बढ़े तो दो मैट को जोड़ने वाली टेप निकल जाने से उनके कदम यहां पर पड़ते ही फंस गए। ऐसे में वे लड़खड़ा गए। लेकिन तुरंत ही एसपीजी के जवान ने उन्हें संभाल लिया।

रामभद्राचार्य का हाथ पकड़ मंच तक ले गए पीएम

तुलसीपीठ के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जगदगुरु रामभद्राचार्य का हाथ पकड़ कर खुद उन्हें मंच तक लेकर पहुंचे। इस दौरान जगदगुरु रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री को गले लगाया।