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रीवा। शहर में गरीबों को नि:शुल्क मकान देने का आश्वासन देेकर भाजपा नेता पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल उलझते जा रहे हैं। आइएचएसडीपी योजना के तहत बनाए गए मकानों में लोगों ने इसी आश्वासन के चलते कब्जा भी कर रखा है। नगर निगम को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए अब पूर्व मंत्री को जवाबदेह ठहराया गया है।
निगम आयुक्त सभाजीत यादव ने 5.94 करोड़ रुपए वसूली के लिए प्रस्ताव नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा है। चुनावी घोषणा पत्र और भाषणों में दिए गए आश्वासन को इसका आधार बनाया गया है। इसमें योजना से जुड़ी पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।
बीते सात सितंबर को प्रमुख सचिव रीवा आए थे, उनसे हितग्राहियों ने शिकायत दर्ज कराई कि नि:शुल्क मकान देने की बात कही गई और अब रुपए मांगे जा रहे हैं। इसी के चलते मकानों का आवंटन रुका हुआ है। उन्होंने निगम आयुक्त को जांच कर जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया था। जिस पर आयुक्त ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल को ही इसका जिम्मेदार बताते हुए चार करोड़ 94 लाख 52 हजार 975 रुपए वसूली के लिए प्रस्तावित किया है।
साथ ही यह भी कहा है कि चुनाव के दौरान पूर्व मंत्री शुक्ल ने कहा था कि भाजपा की सरकार बनने पर हितग्राहियों की ओर से दिया जाने वाला प्रीमियम सरकार भरेगी। किसी मंत्री द्वारा चुनावी आश्वासन पूरा नहीं करने के चलते अधिकारी द्वारा किया गया यह प्रदेश का पहला मामला माना जा रहा है। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे झूठे आश्वासनों पर नकेल के लिए उठाया गया कदम भी बताया जा रहा है।
248 इडब्ल्यूएस मकानों का हुआ था निर्माण
आइएचएसडीपी योजना के तहत 8.75 करोड़ रुपए की लागत से शहर के रतहरा में 248 मकान बनाए गए थे। जहां पर शहर के रानीतालाब और चूनाभटटी से विस्थापित परिवारों को मकान दिया जाना था। इसमें हितग्राहियों को भी राशि जमा करनी थी, जिस पर कई बार संशोधन हुआ। नगर निगम ने पहले 15 हजार फिर दस हजार फिर आठ हजार रुपए जमा करने के लिए कहा। केवल नौ हितग्राहियों ने राशि जमा की और उन्हें यूनियन बैंक से शेष राशि फाइनेंस कराई गई। इनके द्वारा फाइनेंस की किश्त नहीं दी गई तो अन्य के लिए भी बैंक ने इंकार कर दिया।
अधिकारियों ने करा दिया था कब्जा
निगम आयुक्त ने प्रस्ताव में कहा है कि तत्कालीन प्रभारी आयुक्त शैलेन्द्र शुक्ला के कार्यकाल में आइएचएसडीपी योजना के तहत बने मकानों में कब्जा अधिकारियों ने करा दिया। निर्धारित राशि जमा किए बिना ही अब तक लोग वहां पर रह रहे हैं। शिकायतें हुईं तो तत्कालीन उपयंत्री एसके गर्ग, एसएल दहायत, सुधीर गर्ग आदि ने प्रतिवेदन में कहा था कि कब्जाधारी हटने को तैयार नहीं हैं, उनका तर्क है कि विस्थापन के दौरान उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया गया था। उस दौरान पुलिस को भी मकान खाली कराने के लिए पत्र भेजा गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हितग्राहियों के अंशदान और ब्याज की होगी वसूली
रीवा के वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल से वसूली कराने के लिए जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें आइएचएसडीपी योजना के तहत हितग्राहियों की ओर से दिए जाने वाले अंशदान और उसके ब्याज की राशि की वसूली कराने का प्रस्ताव है। 248 मकानों के हितग्राहियों की ओर से कुल अंशदान 3.71 करोड़ रुपए है। वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक नौ प्रतिशत की दर से 1.53 करोड़ रुपए ब्याज की वसूली के लिए कहा गया है। इस तरह से मकान के हितग्राहियों का अंशदान और चार साल का ब्याज कुल मिलाकर 4.94 करोड़ रुपए की वसूली कराने के लिए प्रस्तावित किया गया है।
योजना पर एक नजर
- आइएचएसडीपी योजना के तहत रतहरा में 156 और रतहरी में 92 मकान बनाए गए।
- कुल 248 मकानों की लागत 8.75 करोड़।
- केन्द्र और रायांश 6.53 करोड़ रुपए।
- नगर निगम का अंशदान 1.78 करोड़ रुपए।
- कुल हितग्राही अंशदान 3.72 करोड़ रुपए।
- प्रति हितग्राही अंशदान 1.50 लाख रुपए।
- अमानत राशि 15 हजार रुपए प्रति हितग्राही को जमा करना है, शेष बैंक फाइनेंस होगा।
- रतहरा में रानीतालाब के विस्थापितों को बसाया गया।
- रतहरी में चूनाभटटी के विस्थापितों को मकान दिया गया।
Published on:
27 Sept 2019 03:37 pm
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