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satna: हेरिटेज होटल की आड़ में 25 लाख में दे दिया 31 करोड़ का माधवगढ़ किला

सामने आई पर्यटन विकास निगम की बड़ी साजिश 4 साल बाद पहले ऑफर से 15 गुना कम मूल्य पर दी लीज

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साजिश: हेरिटेज होटल की आड़ में 25 लाख में दे दिया 31 करोड़ का माधवगढ़ किला

Madhavgarh fort worth 31 crores given for 25 lakhs under the guise of heritage hotel

सतना। माधवगढ़ में लगभग 400 साल पहले बनाया गया ऐतिहासिक किला 10 साल से हेरिटेज होटल में तब्दील होने का इंतजार कर रहा है। मरम्मतीकरण नहीं होने के कारण वह अब जर्जर होने लगा है। इधर, हेरिटेज होटल के नाम पर पर्यटन विकास निगम ने बड़ा खेल कर दिया है। सुनियोजित तरीके से 31 करोड़ के वर्तमान बाजार मूल्य (मार्केट वैल्यू) वाले इस किले को महज 25 लाख रुपए की लीज पर 99 साल के लिए दे दिया गया है। हद तो यह हो गई कि यह लीज निगम द्वारा बुलाई गई पुरानी निविदा 3.90 करोड़ से 15 गुना कम है।
नगर निगम की सीमा पर स्थित माधवगढ़ का ऐतिहासिक किला टमस नदी से लगकर बना हुआ है। इसका निर्माण लगभग 400 साल पहले माधो सिंह ने कराया था। यह ऐतिहासिक किला शहर वासियों के लिए एक पर्यटन स्थल हुआ करता था और पुरातात्विक धरोहर में शामिल था। स्थानीय निवासी आकाश द्विवेदी बताते हैं कि किले को हेरिटेज होटल में बदलने का प्लान 2011 में शुरू हुआ था और तत्कालीन कलेक्टर मोहनलाल मीना के कार्यकाल में इसे हेरिटेज होटल में तब्दील करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। इसके बाद यह किला पर्यटन विकास निगम को हस्तांतरित किया गया। इसके बाद से इसका रखरखाव बुरी तरह से प्रभावित हुआ और किला इसके बाद से जर्जर होता चला गया। निगम की अनदेखी से इस किले की उत्तर साइड की दीवार का एक छोटा हिस्सा भी बारिश में धराशायी हो गया।

2016 में बुलाई गई पहली निविदा

दस्तावेजों के अनुसार माधवगढ़ किले को हेरिटेज होटल में तब्दील करने के लिए 2016 में पर्यटन विकास निगम ने निविदा बुलाई थी। उस वक्त इस हेरिटेज परिसंपत्ति के लिए दो निविदाएं प्राप्त हुई थीं। इसकी उच्चतम निविदा 3.90 करोड़ रुपए की प्राप्त हुई थी। इसके बाद निविदाकार को आवंटन आदेश जारी किया गया, लेकिन निवेशक ने प्रीमियम राशि जमा नहीं की। इस कारण से उनकी निविदा निरस्त कर दी गई। उल्लेखनीय है कि जब यह निविदा बुलाई गई थी तब उसमें सिर्फ किला शामिल था। इससे लगी जमीनें शामिल नहीं थीं।
कमी बताकर दूसरी निविदा की निरस्त
पहली निविदा निरस्त होने के बाद 2017 में फिर से निविदा आमंत्रित की गई। बाद में निगम ने यह कहते हुए यह निविदा निरस्त कर दी कि इसमें भवन (किले) के साथ आवंटित भूमि के खसरे राजस्व रिकार्ड में अंकित नहीं हैं। सामान्य भाषा में समझें तो इसमें किले से लगी जमीनें शामिल नहीं होने से इसे निरस्त कर दिया गया।

2020 में फिर बुलाई निविदा

2017 के बाद 2020 में पर्यटन विकास निगम ने फिर से निविदा बुलाई। इसमें किले के साथ ही इससे लगी लगभग साढ़े 7 एकड़ जमीन भी शामिल कर दी गई। इसकी एकल निविदा मे. अष्ट विनायक सिविकॉन प्रा. लि. सतना की प्राप्त हुई। निविदाकार ने 25,01,101 रुपए का मूल्य ऑफर किया था। पर्यटन विकास निगम ने इस निविदा को स्वीकृत करते हुए 25,01,101 रुपए में 99 साल के लिये लीज पर दे दिया। इसके साथ ही इन्हें 25012 रुपए सालाना लीज रेंट देना होगा। पिछली निविदा के ऑफर से लगभग 15 गुना कम मूल्य पर निविदा स्वीकार करने के पीछे पर्यटन निगम के अधिकारियों का तर्क है कि 2017-18 की भीषण बाढ़ में संपत्ति का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि यह तर्क स्थानीय लोगों के गले नहीं उतरता। इनका कहना है कि बाढ से इतना बड़ा कोई नुकसान नहीं हुआ था। यह जरूर है कि बारिश में इसकी उत्तर दिशा की दीवार का कुछ हिस्सा जरूर गिरा है वह भी निगम के रखरखाव की कमी के कारण।

IMAGE CREDIT: Patrika

पंजीयन विभाग से खुला खेल
पर्यटन विकास निगम ने निविदा मूल्य कम करने के जो भी कारण बताए हों लेकिन इसका खेल पंजीयन विभाग के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट से खुल गया। 2021 को पंजीयन विभाग द्वारा जारी किए गए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में इन परिसंपत्तियों की मार्केट वैल्यू 31,05,00,000 रुपये दिखाई गई है। इससे स्पष्ट हो रहा कि पर्यटन विकास निगम ने हेरिटेज होटल के लिए लीज देने में संपत्तियों के बाजार मूल्य की अनदेखी की। सवाल यह भी है कि जब पहली निविदा खुली थी तो उसमें जमीनें शामिल नहीं थी। लेकिन बाद में जमीन शामिल की गई। ऐसे में दरें तो बढ़नी चाहिए। लेकिन इस तथ्य की भी अनदेखी की गई।