
ct scan machine Destroyed in satna District hospital
सतना। जिला अस्पताल में पीडि़तों की जांच के लिए बुलाई गयी सीटी स्कैन जांच मशीन चार साल तक तालों में कैद रही। मुश्किल से चालू होने के बाद 365 दिन भी नहीं चल पायी। तेरह वर्षों में महज साढ़े तीन से चार हजार पीडि़तों को ही लाभ मिल पाया। बीते दिनों सुधार करने आए इंजीनियर ने मशीन को कंडम घोषित कर दिया। अब अस्पताल प्रबंधन पीपीपी मोड (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) से नयी मशीन स्थापित करने में जुटा है।
दरअसल, संचालनालय स्वास्थ्य सेवा द्वारा वर्ष 2005-06 में 1 करोड़ रुपए लागत की सीटी स्कैन जांच मशीन जिला अस्पताल प्रबंधन को उपलब्ध करायी गयी। जिससे पीडि़तों जांच के लिए दूसरे शहर जाकर भटकाव न झेलना पड़े, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते पांच वर्षों तक मशीन नैदानिक केंद्र के स्टोर में कैद रही। जानबूझकर चालू ही नहीं किया गया। तब तक मशीन का कंपनी द्वारा दिया गया का गारण्टी पीरियड समाप्त हो गया।
मेंटीनेंस में कर दिए लाखों खर्च
2009 में सुधार कार्य कराने के बाद भी मशीन में खराबी आती रही। इंजीनियर को महज विजिट करने का (मेंटीनेंस छोड़कर) हर बार पचास-पचास हजार रुपए भुगतान किया गया। 2009 से 2015 तक मशीन में आधा दर्जन से अधिक बार सुधार कार्य कराया गया, लेकिन हर बार सुधार के बाद खराबी आ जाती। वर्ष 2015 से बंदी पड़ी सीटी स्कैन जांच मशीन को बीते कुछ दिनों पहले आए एक कंपनी के इंजीनियर ने आउट डेट घोषित कर दिया।
13 साल में महज चार हजार को मिली सुविधा
जिला अस्पताल अंत: रोग विभाग और बाह्य रोग विभाग में प्रतिदिन 50 से 100 पीडि़तों को चिकित्सक सीटी स्कैन जांच कराने परामर्श देते हैं, लेकिन बीते तेरह साल (2005 से 2018 तक) में महज चार हजार पीडि़तों को सीटी स्कैन जांच की सुविधा मिल पायी। सुविधा होने के बाद भी मरीजों को निजी चिकित्सा संस्थान जांच के लिए जाना पड़ा।
सुध आई तो टेक्नीशियन को दिलाई ट्रेनिंग
अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदारों को मशीन आने के चार साल बाद सुध आयी। तब 2009 में टेक्नीशियन को प्रशिक्षित करने के बाद इस चालू किया गया। लेकिन लगातार बंद रहने के चलते मशीन में कई खराबी आ चुकी थी। चूहों ने मशीन की बायरिंग काट दिए। कॉल पर आए इंजीनियर मुश्किल से सुधार कर पाए।
दूसरी मशीन की जा रही स्थापित
जिला अस्पताल प्रबंधन अब पीपीपी मोड से नयी मशीन स्थापित करने की तैयारी में जुटा हुआ है। पुरानी मशीन सोमवार को हटायी जा चुकी है। सिद्धार्थ एमआरआई एंड सीटी स्कैन ग्रुप रायपुर की टीम नयी मशीन स्थापित करने की तैयारी में जुटी हुई है। बीपीएल पीडि़तों को निशुल्क और एपीएल वर्ग के पीडि़तों को शुल्क पर सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
लापरवाही भी फाइलों में कैद
संचालनालय स्वास्थ्य सेवा द्वारा वर्ष 2005 में सीटी स्कैन मशीन उपलब्ध करायी गयी। लेकिन प्रबंधन वर्ष 2009 तक इसका उपयोग क्यों नहीं कर पाया। वर्षो तक मशीन स्टोर में क्यो धूल खाती रही। इस लापरवाही की जांच तो दूर पतासाजी करने तक का प्रयास नहीं किया गया। प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा पीडि़तों को भुगतना पड़ रहा है।
Published on:
12 Jun 2018 10:56 am
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