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मैहर करेंसी पेपर मामला: आरोपी बालक दास ने फर्जी पता लिखाकर जमा कराया था बैग

रेलवे स्टाफ की सामने आई बड़ी लापरवाही, बालक दास ने क्लाक रूम में फर्जी पता दर्ज करा कर जमा कराया था बैग

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Currency Paper Case: GRP Investigation Started on Maihar Clock Room

Currency Paper Case: GRP Investigation Started on Maihar Clock Room

सतना/ मैहर रेलवे स्टेशन के क्लॉक रूम में बैग से करेंसी पेपर जैसे मिले कागजों का मामला उलझता जा रहा है। चार दिन बाद भी जांच एजेंसी जीआरपी के हाथ खाली है। यह खुलासा जरूर हुआ कि बैग का कथित मालिक बालकदास ने अमानती गृह में जो पता लिखाया था वह फर्जी है। रेलवे स्टाफ की भी लापरवाही सामने आई है। इन्होंने स्थाई पते के पहचान संबंधी कोई दस्तावेज जमा नहीं कराए थे। इससे आरोपी की पतासाजी नहीं हो पा रही है।

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दरअसल, रेलवे स्टेशन मैहर के क्लॉक रूम में तीन माह से रखे बैग में नोटों के आकार के कागज के सीलबंद बंडल मिलने पर आरोपी बालकदास की तलाश जीआरपी ने शुरू कर दी है। अमानती गृह में दर्ज पते की तलाश में जीआरपी टीम जब संबंधित पते पर खंडवा पहुंची तो पाया कि संबंधित नाम का कोई व्यक्ति नहीं। टीम आसपास के क्षेत्रों में बालकदास की तलाश कर रही है। बता दें कि अमानती गृह में बैग में करेंसी पेपर की तरह के कागज के बंडल मिले थे।

टीम को कोई सफलता नहीं मिली
जीआरपी टीआई कटनी डीपी चढ़ार ने बताया, आरोपी की तस्दीक में जुटी टीम को कोई सफलता नहीं मिली है। इससे स्पष्ट है कि आरोपी ने जानबूझकर गलत पता लिखाया था। करेंसी पेपर की तरह दिख रहे कागजों के पैकेट को जांच के लिए होशंगाबाद पेपर सिक्योरिटी मिल भेजा जाएगा। बंडल में सेंट्रल ट्रेजरी की तरह पर्ची लगी है, साथ ही केंद्रीय सत्यमेव जयते की सील, सिंगनेचर ऑफ ट्रेजरी ऑफिसर व खजाने में इस्तेमाल करने के लिए जैसे वाक्य लिखे हुए हैं। इस आधार पर अब जीआरपी अब सेंट्रल ट्रेजरी से भी जानकारी जुटाएगी।

दोषी स्टाफ पर कार्रवाई को लेकर चुप्पी
मामले में रेलवे स्टाफ की लापरवाही सामने आई। यात्री से आइडी कार्ड या परिचय संबंधी कोई भी दस्तावेज जमा नहीं कराए गए थे। प्रोटोकॉल के विपरीत आरोपी ने जो पता बताया उसको दर्ज कर रसीद दे दी गई। उसके बताए पते का मूल दस्तावेजों से मिलान भी नहीं किया गया, न ही बैग खुलवा कर चेक किया कि कहीं इसमें कोई आपत्तिजनक वस्तु तो नहीं है। इस कारण जांच टीम को आरोपी की पतासाजी में परेशानी हो रही। मोबाइल नंबर भी ऐसा दर्ज किया गया, जिसमें संपर्क नहीं हो पा रहा। गंभीर लापरवाही सामने आने के बाद भी रेलवे के जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। किसी के खिलाफ कार्रवाई तो दूर जवाब तक नहीं मांगा गया।