सतना

satna: कलेक्ट्रेट में फटा डर्टी बम, बचाव के लिए पहुंची एनडीआरएफ की टीम

रासायनिक, जैविक, विकिरणकीय और नाभिकीय आपातकालीन स्थिति की हुई मॉक ड्रिल

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Dec 25, 2022
Dirty bomb explodes in collectorate, NDRF team arrives for rescue

सतना. ठंड के मौसम में दोपहर बाद गुनगुनी धूप से मौसम खुशनुमा सा था। संयुक्त कलेक्ट्रेट में भी आम दिनों की तरह ही चहल पहल थी। खनिज भवन के पास खाली मैदान में अपेक्षाकृत भीड़ भाड़ ज्यादा थी। तभी एक विस्फोट होता है। इसके बाद यहां भगदड की स्थिति बन जाती है। पता चलता है कि यहां डर्टी बम (रेडियोलॉजिक डिस्पर्सन डिवाइस) का विस्फोट हुआ है। मामला पेचीदा और संवेदनशील बन चुका था। पता चलता है कुछ कर्मचारी रेडियोएक्टिव मटेरियल के संपर्क आ गये हैं। आनन फानन में सूचना एनडीआरएफ को दी जाती है। इसके बाद एनडीआरएफ की टीम सक्रिय होती है। इंसीडेंट कमांडरजिला मजिस्ट्रेट अनुराग वर्मा से एनडीआरएफ के ऑपरेशन कमांडर पंकज सिंह घटना की गंभीरता बताते हुए रेस्क्यु आपरेशन प्रारंभ करने की अनुमति लेते हैं। इसके बाद रेडियोएक्टिव न्युक्लियर आपदा से बचाव का अभियान चलता है। घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। इस दौरान जिला और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से एक्टिव रहा। कलेक्ट्रेट में हुआ यह हादसा असली नहीं था बल्कि एनडीआरएफ वाराणसी की टीम ने रासायनिक, जैविक, विकिरणीय व नाभिकीय हमले का मॉक ड्रिल किया। इस दौरान यहां एक नकली विस्फोट किया गया और इस विस्फोट से किस तरह की स्थितियां बनती है उसका प्रदर्शन किया गया। इन हालातों में क्या किया जाना चाहिए और कैसे रेस्क्यू आपरेशन चलाया जाता है इसका जीवंत प्रदर्शन किया गया। जब तय यह मॉक ड्रिल चलती रही लोग हतप्रभ इस ड्रिल को देखते नजर आए। इस मौके पर कलेक्टर अनुराग वर्मा, एसपी आशुतोष गुप्ता, अपर कलेक्टर संस्कृति जैन, सिटी एसडीएम नीरज खरे, संयुक्त कलेक्टर सुरेश जादव, डिस्ट्रिक कमांडेंट आईके उपनारे सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

इसलिए आयोजित हो रही मॉक ड्रिल

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जब कभी भी रासायनिक, जैविक, विकिरणकीय और नाभिकीय (सीबीआरएन) हमला होता है तो सामान्य जनों सहित प्रशासन और अन्य स्थानीय सुरक्षा एजेंसियां इससे अनभिज्ञ होती है। लिहाजा अगर कभी ऐसी आपदा आए तो उस वक्त इसके जोखिम को न्युनतम करने कैसे रेस्क्यू किया जाए, कैसे घायल और प्रभावितों की पहचान की जाए इसके लिए एनडीआरएफ वाराणसी की टीमे विभिन्न एजेंसियों के साथ संयुक्त मॉक ड्रिल कर रही हैं। इसका दिशा निर्देशन कमांडेट मनोज कुमार शर्मा कर रहे हैं। ड्रिल का पूरा परिदृश्य रामभवन सिंह यादव (उप कमांडेंट) के पर्यवेक्षण और इंस्पेक्टर पंकज कुमार सिंह की अगुवाई में चलाया जा रहा है।

इस तरह का बनाया गया घटनाक्रम

मॉक ड्रिल में आरडीडी (रेडियोलॉजिक डिस्पर्सन डिवाइस) जिसे डर्टी बम भी कहा जाता है, के फटने का परिदृश्य तैयार किया गया था। जिसमें कुछ कर्मचारी रेडियोएक्टिव मटेरियल के संपर्क आ गये थे। जिससे फंसे हुए पीडि़तों को निकालने विशेष प्रतिक्रिया के लिए एनडीआरएफ टीम को बुलाया गया। सबसे पहले एनडीआरएफ की टीम ने जानकारी जुटाकर स्थिति का आंकलन किया। इसके साथ ही ऑपरेशन बेस, मेडिकल पोस्ट और कम्युनिकेशन पोस्ट तैयार किया। इसके बाद टीम ने खतरे की जांच कर ऑपरेशन शुरू किया। बचाव दल ने सीबीआरएन सूट और एससीबीए सेट की मदद से गंभीर रूप से फंसे हुए पीडि़तों को निकाला और तत्पश्चात अग्रिम उपचार के लिए अस्पताल भिजवाया गया। रेडियोएक्टिव मटेरियल को टीम द्वारा उपकरणों की मदद से पहचाना गया और उसे निष्प्रभावी किया गया। विक्टिम को प्राथमिक उपचार देने के बाद हॉस्पिटल भेजा गया। इस पूरे प्रदर्शन में इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम के दिशा-निर्देशों की बारीकियां बताई गई और इस आपदा के दौरान किये जाने वाले आचरण के संबंध में जानकारी दी गई।

ताकि लोग सचेत रहें

उप कमांडेंट ने बताया कि इस मॉक अभ्यास का मुख्य उद्देश्य किसी भी केमिकल, बायोलोजिकल, रेडियोलॉजिकल एवं न्यूक्लियर आपदा के दौरान प्रभावित हुए व्यक्तियों के जीवन की रक्षा और हानि को कम करना है। इससे लोगों को बताया जा रहा है कि ऐसी घटना होने पर क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। जिससे नुकसान कम हो। इस मॉक अभ्यास में जिला प्रशासन, अग्नि शमन विभाग, स्थानीय पुलिस, एसडीईआरएफ, होमगार्ड, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, मीडियाकर्मियों एवं अन्य हितधारकों ने भाग लिया।

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Published on:
25 Dec 2022 02:57 pm
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