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रमाशंकर शर्मा @ सतना। समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए शासन के स्पष्ट निर्देश थे कि जो रकबा पंजीयन में बताया गया है उसका मैदानी राजस्व अमले द्वारा सत्यापन किया जाए। सत्यापन मोबाइल ऐप से करना था। लेकिन, स्थित यह है कि गेहूं खरीदी प्रारंभ हो चुकी है और अभी तक किसानों के रकबे का सत्यापन नहीं हो सका है।
अब शासन स्तर पर जब सत्यापन का परीक्षण किया जा रहा तो व्यापक पैमाने पर विसंगतियां सामने आ रही हैं। रीवा संभाग की स्थिति देखें तो सत्यापन के मामले में सतना की स्थिति सबसे खराब मिली है। संभाग में सबसे ज्यादा 22 हजार किसानों का सत्यापन लंबित है।
व्यापक पैमाने पर लापरवाही
दरअसल, जनवरी में शासन ने निर्देश दिए थे कि रबी विपणन वर्ष 2018-19 में किसान पंजीयन में दर्ज रकबे का सत्यापन बोई गई फसल के रकबे से किया जाए। सत्यापन में जो विसंगति सामने आती है उसे इ-उपार्जन पोर्टल पर सुधारकर फीड किया जाए। यह जिम्मेदारी पटवारियों को दी गई थी। अब समीक्षा में सामने आ रहा कि पटवारियों ने इस काम में व्यापक पैमाने पर लापरवाही की है।
रकबा इ-उपार्जन पोर्टल पर दर्ज
अकेले रीवा संभाग में 14,442 किसान ऐसे मिले हैं जिनके भू-अभिलेख में दर्ज जमीन से ज्यादा बोवनी का रकबा इ-उपार्जन पोर्टल पर दर्ज मिला है। सबसे ज्यादा किसान सतना जिले में पाए गए हैं। भू-अभिलेख में खसरे का मिलान न होने वाले अथवा नंबर दर्ज नहीं होने वाले किसानों की भी सर्वाधिक संख्या सतना जिले में है। यह संख्या 22,880 है।
सतना में मिल चुका है बड़ा फर्जीवाड़ा
सतना में धान खरीदी के दौरान इसी तरह की अनदेखी के चलते व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। यहां एक खाते में कई किसानों के नंबर जोड़ कर बाजार की धान खरीदी गई थी। हालांकि बाद में शासन ने इसके जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। अब तो स्थिति यह है कि कुछ स्थानों पर उन्हीं नंबरों में पुन: खरीदी की तैयारी भी है।
संभागायुक्त ने कलेक्टर को दिए निर्देश
शासन द्वारा यह गड़बड़ी पाए जाने के बाद संभागायुक्त ने सभी कलेक्टरों को 20 अप्रैल तक सत्यापन पूरा करने के निर्देश दिए हैं। कहा, पंजीयन में उल्लेखित रकबे और बोई गई फसल के रकबे का सत्यापन कर सही जानकारी इ-उपार्जन पोर्टल पर फीड करें।
नहीं जा पा रहे एसएमएस
इ-उपार्जन पोर्टल पर सत्यापन का कार्य पूरा नहीं होने के कारण किसानों को एसएमएस भी नहीं हो पा रहे हैं। अब शासन ने इस मामले में जमीन के रकबे और बोई गए फसल के रकबे का सत्यापन तेजी से करने के निर्देश दिए हैं। इसकी डेड लाइन 20 अप्रैल तय की गई है।
Published on:
18 Apr 2018 03:03 pm
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