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पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने की हरछठ पूजा, किसानों ने खेतों में नहीं रखा पैर

मंदिरों, घरों में हुई पूजा

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सतना

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Rajesh Sharma

Sep 01, 2018

archat pooja vrat katha in satna

archat pooja vrat katha in satna

सतना। शहर की महिलाओं नें पुत्र और परिवार की सुख समृध्दि के लिए निर्जला उपवास कर कांस, कुसा और झड़बेरी से बनी हरछठ की पूजा की गयी। ज्ञात हो कि महिलाएं सुबह से तैयारी में जुट गई थी। घर में गोबर से लीप कर घर को शुद्ध कर दोपहर पूजा - अर्चना शुरु कर दी थी। हर साल भादो की छठी तिथि को मनाई जाती है। महिलाएं अपने पुत्रों के दीर्घायु होने और उन्हें असामयिक मौत से बचाने के लिए हरछठ की पूजा की गयी ।

सात प्रकार के अनाज की पूजा
जिले के गांव-देहात में यह पूजा वही महिलाओं ने किया जिनके पुत्र हैं। महिलाओं ने एक बेटे पर मिट्टी के एक दर्जन कुंढ़वा में सात प्रकार के भुने अनाज भरकर पूजा की गयी। किंवदंती है कि हरछठ की पूजा कर पुत्र दीर्घायु होते है और उन्हें असामयिक मौत से बचाया जा सकता है, इसी चाह में महिलाएं सदियों से यह पूजा करती आई है। शहर की अधिकतर हिन्दू महिलाओं ने मंदिरों व घरों में पूजा कर बेटे के लम्बी उम्र के लिए व्रत रखा। महिलाओं व्दारा मिट्टी के एक दर्जन कुंढ़वा में सात प्रकार के भुने अनाज भरकर पूजा की गयी ।

किसान परिबार पूजा करने बाद खेत नहीं गए
किसनों ने भी इस पूजा को विशेष रुप से किया। किसान परिवार द्वारा हरछठ बनाने में कांस-कुसा, छूल की डाल और झड़बेरी का इस्तेमाल किया गया। इस पूजा में खास बात यह रही महिलाओं ने दिन भर खेत में पैर नहीं रखा, जहां फ सल पैदा होनी हो और न ही व्रत के बाद किए जाने वाले पारण में अनाज से बना भोजन खाया गया । किसान परिवार में पूजा खत्म होने के बाद घर की माताएं पूजा के लिए बनाए गए तालाब से अमृत रूपी जल से बच्चों का मुंह धुलवाई। उसमें कपड़ा भिगोकर उनकी पीठ पर आशीर्वाद भरा पोता मारा गया। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे स्वस्थ व दीर्घायु होते हैं। धारणा है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस दिन उनके साथ उनके अस्त्र, हल व बैल की भी पूजा की गई थी।