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खेला ऐसा; पेपर कटिंग मशीन रिपेयर भी करा ली और नई भी खरीदी

लोस चुनाव स्टेशनरी घोटाला: विधानसभा चुनाव में 7 मशीनें खरीदीं, लेकिन रिपेयर करवाने 8 मशीनों का बिल

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सतना। लोकसभा चुनाव में स्टेशनरी गड़बड़झाले की लगातार नई परतें खुलती जा रही हैं। नया मामला ईवीएम कमीशनिंग के दौरान वीवीपीएटी मशीन से निकली पर्चियों को नष्ट करने वाली श्रेडर मशीन का सामने आया है। विधानसभा चुनाव में इन पर्चियों को काट कर नष्ट करने के लिए 7 मशीनें खरीदी गईं थीं, लेकिन 4 माह बाद ही यह सभी मशीनें खराब हो गईं। लिहाजा, इन मशीनों को भारी भरकम राशि देकर सुधरवाया गया। इन मशीनों के सुधार दिए जाने के बाद 2 नई मशीनें भी खरीदी गईं। विधानसभा चुनाव में वीवीपीएटी से निकली मतदाता पर्चियों को काट कर नष्ट करने के लिए लगभग 28 हजार रुपए प्रति की लागत से 7 श्रेडिंग मशीन खरीदी गई थी। इनकी कुल लागत लगभग 1.95 लाख रुपए थी। 6 महीने के अंदर ही लोकसभा चुनाव में फिर से दो श्रेडिंग मशीनें खरीदी गईं।

खेल यह हुआ

लोकसभा चुनाव में कमीशनिंग के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय में रखी श्रेडिंग मशीनों की रिपेयरिंग करवाई गई। चौंकाने वाली बात यह कि विस चुनाव में 7 श्रेडिंग मशीनें खरीदी गई थीं लेकिन रिपेयरिंग 8 श्रेडिंग मशीनों की करवाई गई। 28 हजार लागत वाली मशीनों की रिपेयरिंग की लागत लगभग 71 हजार रुपए आई। प्रति मशीन रिपेयरिंग चार्ज 8970 रुपए बनाया गया। सवाल यह है कि सभी मशीनों में एक ही प्रकार की खराबी आई थी? दूसरा सवाल यह है कि जब 7 मशीन थी तो रिपेयर 8 मशीनें कैसे हुईं? इधर जब 8 मशीनें रिपेयर करवा ली गईं इसके बाद भी लगभग 56 हजार रुपए में दो श्रेडिंग मशीनें खरीदी गईं।

विस चुनाव में हुई थी 55 लाख की फर्जी बिलिंग

इसी तरह का खेल विधानसभा चुनाव में भी खेला गया था। उस वक्त लाइट, टेंट, शामियाना के नाम पर तत्कालीन वेंडर ने 55 लाख रुपए के फर्जी बिल तैयार कर दिए थे। हालात यह थे कि जितने जमीन उपलब्ध नहीं थी उससे ज्यादा में टेंट लगाना दिखा दिया गया था। इसी तरह से एक जनरेटर लगा कर कई जनरेटरों के बिल लगा दिए थे। पत्रिका में मामला उजागर होने के बाद जांच में गड़बड़झाला उजागर हुआ था। इसके बाद संबंधित वेंडर को ब्लैक लिस्टेड करते हुए 50 लाख से ज्यादा की राशि बिल में काट दी गई थी।

तत्कालीन कलेक्टर ने रोका था खेल

तत्कालीन कलेक्टर सतेन्द्र सिंह के कार्यकाल में भी चुनाव के दौरान सामग्री खरीदी का खेल होने वाला था। हालांकि उन्होंने इसे समझ लिया था। लिहाजा चुनाव के पहले स्टाक में मौजूद सामग्री की छंटनी करवाई थी। इसके बाद जो उपयोगी सामग्री थी उसे अलग करवाया था। इसके बाद खरीदी का आर्डर करवाया था। इस तरह से खर्च में काफी कटौती की गई थी।

"हमें जो आर्डर मिलता है हम वही सप्लाई करते हैं। जहां तक मशीनों की रिपेयरिंग की बात है तो यह जिला निर्वाचन कार्यालय के सिद्धार्थ बता पाएंगे कि 8 मशीनें कहां से लाए हैं।" - विनोद तिवारी, वेंडर

"मामले में जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। क्रय की गई सामग्री का स्टार रजिस्टर और स्टोर से सत्यापन कराया जाएगा।" - स्वप्निल वानखेड़े, उप जिला निर्वाचन अधिकारी