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विवादित फैसला- मंत्री के पत्र पर हरकत में विभाग

- शारदा मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने के निर्देश

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सतना

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Deepesh Tiwari

Apr 19, 2023

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सतना। शासन के नियमों के तहत विधानसभा से गठित मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति से कर्मचारियों को सिर्फ इसलिए हटाया जाएगा, क्योंकि वे मुस्लिम हैं। इस आशय का निर्देश धर्मस्व मंत्री ऊषा ठाकुर ने विहिप और बजरंग दल के जिला संयोजक भानुप्रताप सिंह के एक मांग पत्र को संज्ञान में लेते हुए जारी किया है।

मंत्री ने धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिख कर कहा था कि मैहर मंदिर की प्रबंधक समिति में तैनात मुस्लिम कर्मचारियों को हटाया जाए। मंत्री ने यह पत्र 1 मार्च को लिखा था। डेढ़ माह में इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं होने पर अब धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के उप सचिव पुष्पा कुलेश ने कलेक्टर को पुराने पत्र का संदर्भ देते हुए कार्रवाई करने को कहा है।

फैसले पर श्संविधान में सबका हक जिला हज कमेटी्य के अध्यक्ष मौलाना नफीस अकबर ने कहा, सरकारी सेवाओं को मजाक बनाया जा रहा है। संविधान में सबको बराबर का हक है। धर्म के आधार पर पदस्थापना संविधान की भावना के विपरीत है।

बैठक में रखेंगे प्रस्ताव
मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक व एसडीएम धर्मेन्द्र मिश्रा ने कहा कि पत्र संज्ञान में है। समिति में अभी एक मुस्लिम कर्मचारी है। हालांकि उसकी नियुक्ति 80 के दशक से है, फिर भी मामला समिति के समक्ष रखा जाएगा।

ज्ञात हो कि मैहर में शारदा मां का प्रसिद्ध मन्दिर नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के मध्य 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है। यह पीठ सतयुग के प्रमुख अवतार नृसिंह भगवान के नाम पर नरसिंह पीठ के नाम से भी विख्यात है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर आल्हखण्ड के नायक आल्हा व ऊदल दोनों भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा आज भी विद्यमान है। यहाँ प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी आते हैं किंतु वर्ष में दोनों नवरात्रों में यहां मेला लगता है जिसमें लाखों यात्री मैहर आते हैं। मां शारदा के बगल में प्रतिष्ठापित नरसिंहदेव जी की पाषाण मूर्ति आज से लगभग 1500 वर्ष पूर्व की है। देवी शारदा का यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थल देश के लाखों भक्तों के आस्था का केंद्र है माता का यह मंदिर धार्मिक तथा ऐतिहासिक है।

उत्पत्ति: मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी के पुत्र दक्ष प्रजापति का विवाह स्वायम्भुव मनु की पुत्री प्रसूति से हुआ था। प्रसूति ने सोलह कन्याओं को जन्म दिया जिनमें से स्वाहा नामक एक कन्या का अग्नि देव के साथ, स्वधा नामक एक कन्या का पितृगण के साथ, सती नामक एक कन्या का भगवान शंकर के साथ और शेष तेरह कन्याओं का धर्म के साथ विवाह हुआ। धर्म की पत्नियों के नाम थे. श्रद्धा, मैत्री, दया, शान्ति, तुष्टि, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, तितिक्षा, ह्री और मूर्ति।