
Satna District Hospital now has the number one in the target
सतना. रीजनल डायग्नोस्टिक सेंटर नैदानिक केंद्र का हाल इन दिनों बेहाल है। यहां अत्याधुनिक जांच मशीनें लगाई गई हैं, लेकिन मरीजों की दिनोंदिन बढ़ती संख्या के चलते प्रतिदिन क्षमता से अधिक जांचें हो रही हैं। उदाहरण के लिए बायोकेमेस्ट्री जांच करने वाली मशीन की क्षमता एक दिन में अधिकतम 500 जांच की है पर रोजाना 1200 से अधिक जांच हो रही है। ऐसे में स्टाफ के लिए भी प्रतिदिन एक हजार से अधिक जांच करने की बड़ी चुनौती रहती है।
बढ़ रहा भार
संचालनालय स्वास्थ्य सेवा द्वारा जिला अस्पताल में क्षेत्रीय नैदानिक केंद्र की स्थापना कर सीवीसी फुलीऑटोमीटिक, सेमीऑटोमीटिक, बायोकेमेस्ट्री सहित आधा दर्जन से अधिक अत्याधुनिक जांच मशीनें लगाई गई हैं। ताकि सतना सहित आसपास के जिलों के मरीजों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण पैथोलॉजी जांच सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। लेकिन, स्टाफ की कमी और रोगियों के बढ़ते भार के चलते जांच व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
48 प्रकार की जांच सुविधा
जिला अस्पताल में संचालनालय के निर्देशों के मुताबिक 48 प्रकार की जांच सुविधा प्रदान की जा रही है। रिपोर्ट की मानें तो नैदानिक केंद्र में रोजाना दो से ढाई सौ मरीज जांच के लिए पहुंचते हैं। चिकित्सक द्वारा एक पीडि़त को चार से पांच जांच का परामर्श दिया जाता है। इनमें थायराइड, डेंगू, हार्ट से संबंधित कोलेस्ट्रॉल, लिपिड प्रोफ ाइल में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, पीलिया की बिलूरिबन, एसजीओटी, एसजीपीटी, टाइफ ाइड की विडाल, ब्लड सेपरेशन, ब्लड कंपोनेंट सहित अन्य जांचें शामिल होती हैं। एेसे में हर रोज एक से डेढ़ हजार जांच नैदानिक केंद्र में की जाती है।
सुबह जांच, शाम तक रिपोर्ट का इंतजार
नैदानिक केंद्र में स्थापित जांच मशीन सीवीसी फुली ऑटोमीटिक, सेमी ऑटोमीटिक, बायो केमेस्ट्री, सेमी बायोकेमेस्ट्री, इलेक्ट्रोराइड मशीन, बिल्रुबिन मीटर, एलाइजा,थायराइड सहित अन्य मशीनों का क्षमता से दोगुना उपयोग हो रहा है। ओपीडी चालू होने के बाद जांच के लिए मरीजों की सुबह से लम्बी कतार लग जाती है। फुली आटोमेटिक जांच मशीनें होने के बाद भी मरीज की भीड़ अधिक होने से तुरंत रिपोर्ट दे पाना संभव नहीं होता। सुबह सैंपल लेकर पीडि़तों को शाम तक जांच रिपोर्ट दी जाती है। एेसे में ग्रामीण अंचल से आने वाले मरीज को रिपोर्ट के लिए शाम तक इंतजार करना पड़ता है।
स्टाफ की भी कमी
नैदानिक केंद्र स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है। टेक्नीशियन सहित अन्य पद सालों से खाली पड़े हुए हैं। प्रबंधन को मजबूरी में जीएनएम स्टूडेंट से काम लेना पड़ रहा है। पीडि़तों के सैम्पल स्टूडेंट द्वारा ही लिए जाते हैं।
रोगियों के दिनोंदिन बढ़ते भार को देखते हुए सेंट्रल पैथोलॉजी लैब बनाने की प्रक्रिया जारी है। शीघ्र ही अत्याधुनिक जांच मशीनें भी बुलाई जाएंगी।
इकबाल सिंह, प्रशासक, जिला अस्पताल
Published on:
04 Mar 2019 07:54 pm
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