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mp election 2023 बीजेपी छोड़ते ही एक्स में ट्रेंड करने लगे नारायण त्रिपाठी

मैहर के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी के विधायकी से इस्तीफे और भाजपा सेे नाता तोडऩे की जड़ें वर्ष 2020 में ही विकसित हो गई थीं। उस साल कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण राज्य की सत्ता खोनी पड़ी थी। रैगांव विधानसभा उपचुनाव के वक्त भी जिस तरीके का मैहर विधायक का राजनीतिक कदम था, वह भी भाजपा की रीति नीति से मेल नहीं खा रहा था।

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सतना

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deepak deewan

Oct 14, 2023

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भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी के विधायकी से इस्तीफे और भाजपा सेे नाता तोडऩे की जड़ें वर्ष 2020 में ही विकसित

सतना. मैहर के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी के विधायकी से इस्तीफे और भाजपा सेे नाता तोडऩे की जड़ें वर्ष 2020 में ही विकसित हो गई थीं। उस साल कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण राज्य की सत्ता खोनी पड़ी थी। रैगांव विधानसभा उपचुनाव के वक्त भी जिस तरीके का मैहर विधायक का राजनीतिक कदम था, वह भी भाजपा की रीति नीति से मेल नहीं खा रहा था। सांसद गणेश सिंह के खिलाफ भी उन्होंने मोर्चा खोल रखा था। यह सब भाजपा से दूरी बनाने के संकेत थे। खास बात यह है कि बीजेपी छोड़ते ही नारायण त्रिपाठी एक्स यानि ट्विटर में ट्रेंड करने लगे।

मैहर को जिला बनाने की मांग पर मुखर
मैहर को जिला बनाने की मांग और इसे पूरा करने में सरकार की देरी पर भी उन्होंने मुखर रूप अख्तियार कर संकेत दे दिए थे कि भाजपा से उन्हें ज्यादा मोह नहीं रह गया है। इस बीच रही सही कसर उन्होंने पृथक विंध्य प्रदेश की मांग उठाकर कर दी। इस मांग की पूर्ति न होने की सूरत में उन्होंने पूरे प्रदेश में चुनाव लडऩे की चेतावनी का बिगुल भी भाजपा के कानों में फूंक दिया। जब मौजूदा भाजपा सरकार ने मैहर जिले की उनकी मांग पूरी कर ली, उस दिन नारायण त्रिपाठी ने पूरा श्रेय भाजपा को न देकर कांग्रेस के साथ बराबरी पर रखने का जो कदम उठाया, उसके बाद इसमें कोई संशय नहीं रह गया था कि अब भाजपा के साथ उनका साथ लंबा नहीं चलने वाला। इसका आखिरी मुकाम आ भी गया, जब भाजपा ने मैहर सीट से नारायण त्रिपाठी के नाम की घोषणा न कर श्रीकांत चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाया। उसी की परिणति शुक्रवार को नारायण त्रिपाठी के इस्तीफे और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र के रूप में सामने आई।

कांग्रेस में वापसी की अटकलें
नारायण त्रिपाठी की राजनीतिक पारी समाजवादी पार्टी की देन है, लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसी सीट से वे 2013 में कांग्रेस विधायक के रूप में चुने गए थे। पर 2014 के लोकसभा चुनाव आते-आते उन्होंने यह पार्टी छोड़ दी। अब जबकि उन्होंने भाजपा भी छोड़ दी है, तो यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। नारायण ने खुद कुछ नहीं कहा है, लेकिन उनके करीबियों से जिस तरीके के संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार वे 15 को कांग्रेस की सदस्यता ले सकते हैं। कांग्रेस उनके टिकट के लिए भी विचार कर सकती है, क्योंकि नारायण त्रिपाठी में उसे विजयी होने की संभावनाएं दिखती हैं।

भाजपा छोड़ते ही एक्स में ट्रेंड करने लगे नारायण
नारायण त्रिपाठी का भाजपा छोडऩा भले ही तय सा था, फिर भी यह विंध्य क्षेत्र की सबसे बड़ी खबर रही। इसी कारण सोशल मीडिया में बड़ा चर्चित मामला बना। उनका इस्तीफा आते ही वे एक्स (पुराना ट्विटर) में ट्रेंड होने लगे। शाम चार बजे वे 12वें नंबर पर ट्रेंड कर रहे थे। शाम पौने छह बजे तक 13वें नंबर पर ट्रेडिंग में बरकरार रहे। ट्वीट में लोग नारायण के कांग्रेस में जाने और कांग्रेस से ही विधानसभा चुनाव लडऩे का कयास लगाते हुए ट्वीट-रिट्वीट करते रहे।

ऐसा रहा है नारायण का सफर
2003 - सपा से विधायक निर्वाचित
2013 - कांग्रेस से विधायक निर्वाचित
2014 - लोस चुनाव के वक्त कांग्रेस छोड़ी
2016 - उपचुनाव में भाजपा से विधायक निर्वाचित
2018 - भाजपा से विधायक निर्वाचित
2023- विधायकी छोड़ी, भाजपा से भी त्यागपत्र