27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चुनाव के बाद सांसद भूल गए अपना वादा, नहीं मिली सतना नगर निगम को क्रेन

शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए पुलिस ने बताई की क्रेन की आवश्यकता

2 min read
Google source verification
MP Ganesh singh forgot his promise after election

MP Ganesh singh forgot his promise after election

सतना. विधानसभा चुनाव 2018 के पहले अगस्त माह की 14 तारीख थी। शहर की सबसे बड़ी समस्या बेलगाम यातायात को पटरी पर लाने के लिए सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में उनके साथ तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह गौर, निगमायुक्त प्रवीण सिंह अढ़ायच, जिपं सीईओ साकेत मालवीय बैठे थे तो ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी, चेम्बर के प्रतिनिधि, आटो चालक संघ के प्रतिनिधि सहित कुछ जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक भी रहे। इसमें पुलिस अधीक्षक ने सड़क के यातायात को अराजक करने वाले वाहनों को उठाने सहित घटना दुर्घटना के दौरान त्वरित कार्रवाई के लिए नगर निगम सहित पुलिस को एक क्रेन देने की आवश्यकता जताई। इस पर सांसद ने कहा कि जल्द ही वे क्रेन उपलब्ध करा देंगे। इसके साथ विधानसभा चुनाव भी हो गए, लोक सभा चुनाव भी हो गए और एक साल से ज्यादा हो गए लेकिन सांसद सतना को एक अदद क्रेन नहीं दिला सके। स्पष्ट है कि शहर की समस्या और जनहित से जुड़ा विषय उनकी किस प्राथमिकता में है।
शायद सांसद को उनके व्यस्त कार्यक्रमों और अन्य व्यस्तताओं के चलते की गई घोषणाएं और वादे याद न रह पाते हों। यह भी हो सकता है कि उनके साथ नियमित चलने वाले असिस्टेंट सांसद की कही बातों को अपनी डायरी के मिनट्स में लिखना भूल जाते हों। इसलिए उन्हें एक बार पूरा घटनाक्रम फिर से याद दिला देते हैं।

इस तरह बैठक में किया था वादा

वर्ष 2018 के अगस्त माह की 14 तारीख थी। सांसद के पत्र पर ही कलेक्टर ने सड़क सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई थी। व्यवस्था के तहत अध्यक्षता भी सांसद ही कर रहे थे और मामला था सड़क के अव्यवस्थित यातायात का। निगमायुक्त प्रवीण सिंह अढ़ायच ने शहर के किनारे पटरी पर खड़े होने वाले वाहनों को इसके लिये सबसे बड़ा बाधक बाताया। ट्रैफिक डीएसपी ने भी इससे सहमत होते हुए कहा कि वे नियमित इस पर कार्रवाई करना चाहते हैं लेकिन न तो पुलिस के पास न ही निगम के पास ऐसी क्रेन या टोइंग वाहन है, जिससे यातायात में बाधक बनने वाले वाहनों को उठा लिया जाए। अभी जब भी कार्रवाई करते हैं तो किराए पर क्रेन मंगानी पड़ती है। इसको देखते हुए तत्कालीन एसपी संतोष ङ्क्षसह गौर ने कहा कि निगम या पुलिस के पास एक क्रेन होनी चाहिए। मामला बजट और मद पर शुरू हुआ। तो तत्कालीन कलेक्टर ने सीएसआर से क्रेन की व्यवस्था की बात करते हुए सांसद की ओर देखा। सांसद ने भी इस दौरान सभी के सामने खुलकर कहा कि वे जल्द ही सतना को क्रेन दिला देंगे। इसके लिए उनकी एलआईसी से बात हो गई है। एक दो माह में क्रेन निगम के पास होगी। इसके बाद अन्य बैठकों में भी सांसद ने क्रेन की बात दोहराई। लेकिन अगस्त से अगस्त तक एक साल हो चुके हैं। सांसद जी की क्रेन अभी तक निगम या पुलिस को नहीं मिल पाई है।

मिनिट्स में दर्ज है मामला

सांसद भले ही अपनी घोषणा भूल गए हैं लेकिन सड़क सुरक्षा समिति के मिनिट्स में उनका यह दावा अभी भी दर्ज है। अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि यह दावा कागजी मिनिट्स में दर्ज होकर रह जाएगा या फिर हकीकत में एक साल बाद ही सही सांसद जी व्यापक जनहित में शहर को क्रेन दिला पाएंगे।