
Municipal corporation public hearing in satna
सतना/ नगर निगम में पार्षदों की भी नहीं सुनी जा रही। जनहित से जुड़े मुद्दों पर अगर पार्षद अपनी बात रखते हैं तो संबंधित अधिकारी ऐसे मामलों को लालफीताशाही में ऐसा उलझाते हैं कि पार्षद चकरघिन्नी बनकर रह जाता है। कुछ ऐसी ही व्यथा से परेशान पार्षद गंगा प्रसाद कुशवाहा ने निगमायुक्त से व्यक्तिगत मुलाकात की अपेक्षा जनसुनवाई में पहुंचना बेहतर समझा। मंगलवार को वे अपनी मांग लेकर जनसुनवाई पहुंच गए। वहां निगमायुक्त को बताया कि आपको दिए गए पत्र जो अग्रिम कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेजे जाते हैं, वहां जाकर दफन हो जाते हैं।
लिहाजा जनसुनवाई को ही उचित माध्यम माना, क्योंकि यहां आपके सामने संबंधित अधिकारी भी होते हैं। हालांकि निगमायुक्त ने पार्षद को जनसुनवाई की बजाय व्यक्तिगत ही मिलने को कहा। साथ ही शीघ्र वार्ड भ्रमण का आश्वासन दिया। पार्षद गंगा प्रसाद कुशवाहा ने बताया, वार्ड की समस्याओं को लेकर निगमायुक्त से उनके चेम्बर में व्यक्तिगत तौर पर कई बार मिला।
बड़े अधिकारी होने के नाते वे उनकी बातें गंभीरता से सुनते भी रहे हैं। लेकिन, जिस विषय पर चर्चा की जाती है उस वक्त संबंधित अधिकारी मौजूद नहीं होते हैं। जब निगमायुक्त द्वारा मेरे पत्रों पर अग्रिम कार्रवाई के लिए सबंधित अधिकारी को भेजा जाता है तो उनके द्वारा निगम कार्यालय में ही पत्रों का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। लिहाजा, अब जनसुनवाई में आना पड़ रहा है।
गिनाई वार्ड की समस्याएं
पार्षद गंगा प्रसाद ने वार्ड की समस्याएं गिनाईं, जिनको लेकर वे पूर्व में कई बार अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं। इनमें सामुदायिक भवन न बनना, दो साल पहले प्रस्तावित 500 मीटर नाली आज तक पूरी नहीं होना, अरविंद नगर में 1 हजार मीटर लंबी नाली आज तक न बनना, अमृत योजना से पानी नहीं मिलना, वार्ड में अभी भी 25 फीसदी शौचालय नहीं बनना शामिल हैं।
Published on:
06 Nov 2019 05:44 pm
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