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satna: एनजीटी ने पूछा, क्या मंदाकिनी नदी ‘गंगा एक्शन प्लान’ का हिस्सा है?

एमपी और यूपी प्रदूषSatna, Madhya Pradesh, Indiaण नियंत्रण बोर्ड से तलब किया जवाब

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satna: एनजीटी ने पूछा, क्या मंदाकिनी नदी 'गंगा एक्शन प्लान' का हिस्सा है?

NGT asks, is Mandakini river a part of 'Ganga Action Plan'?

सतना। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंदाकिनी नदी से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह सवाल किया है कि क्या मंदाकिनी नदी को उसकी जल गुणवत्ता में सुधार के लिए 'गंगा एक्शन प्लान' का हिस्सा माना गया है? इसकी जानकारी से एनजीटी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं।

सतना जिले से निकलने वाली मंदाकिनी नदी यमुना नदी की सहायक नदी है। मध्यप्रदेश हिस्से के चित्रकूट स्थित सती अनुसुइया के पास इसका उद्गम है। यहां से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय कर यह उत्तर प्रदेश के राजापुर में यमुना नदी में मिल जाती है। इस नदी के प्रदूषण और अतिक्रमण को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट नित्यानंद मिश्रा ने एनजीटी में याचिका दाखिल की हुई है। 'नित्यानंद मिश्रा बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य' मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी की केन्द्रीय बेंच ने यह सवाल दागा है। इस खंडपीठ में न्यायमूर्ति दलीप सिंह, न्यायिक सदस्य और रंजन चटर्जी, विशेषज्ञ सदस्य शामिल थे। मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।इस मामले में पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता नित्यानंद मिश्रा ने मंदाकिनी नदी में पानी की गुणवत्ता और पानी के बहाव में कमी पर चिंता जताई थी। कहा था कि गर्मियों के महीनों खासकर फरवरी और मार्च के बाद नदी में प्रवाह काफी कम हो जाता है।

एनजीटी को राज्य सरकार ने प्रस्तुत दस्तावेज में बताया है कि मंदाकिनी नदी की सहायक नदी पैसुनी नदी पर स्टॉप डैम के निर्माण के लिए 1.32 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसे एनजीटी ने अपने पूर्व में पारित आदेश के अनुरूप माना है, जिसमें मंदाकिनी नदी में पानी की कमी के दौरान पानी के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने के लिए निर्देश दिए गए थे।

अनाधिकृत निर्माण हटाने के आदेश

खंडपीठ ने पहले स्थानीय अधिकारियों को आदेश दिया था कि चित्रकूट में मंदाकिनी नदी पर अरुणा शुक्ला द्वारा कथित अनधिकृत निर्माण को हटाया जाए। नगर परिषद चित्रकूट ने बुधवार को अरुणा शुक्ला के खिलाफ मंदाकिनी नदी में किया गया अवैध निर्माण और मलबा हटाने में खर्च हुए एक लाख रुपये जमा कराने का निर्देश देने की मांग की। जिस पर ट्रिब्यूनल ने कहा कि हमने अपने पहले के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर शुक्ला द्वारा मलबा नहीं हटाया गया, तो इसे नगरपालिका बोर्ड द्वारा हटा दिया जाएगा और लागत वसूल की जाएगी। एनजीटी ने नगर निगम के अधिकारियों को तीन महीने के भीतर राशि की वसूली करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने सतना के कलेक्टर को इस संबंध में नगरपालिका अधिकारियों की सहायता के लिए एक विशेष अधिकारी की प्रतिनियुक्ति करने का भी निर्देश दिया।