
No land owner of 25325 lands in Satna district
सतना. जिले में करीब 25325 जमीनें लावारिस हैं। जमीनों के इन खसरों का कोई भूमि स्वामी नहीं है। सामान्य भाषा में कहें तो जिले के 25325 खसरे ऐसे हैं जिनमें भूमि स्वामी के रूप में किसी का नाम दर्ज नहीं है। अपने आप में यह असंभव होने के बाद भी जिले के संबंधित पटवारियों को नजर नहीं आ रहा है। जबकि सामान्य तौर पर यह सुधार कार्य पटवारियों को अपने आप काफी पहले कर लेना चाहिए। अब जबकि अभिलेख सुधार पखवाड़ा चल रहा है ऐसे में तो इसे प्राथमिकता से करना चाहिए लेकिन सतना जिले के पटवारी इसमें से महज 301 खसरों में ही भूमि स्वामी का नाम दर्ज कर सके हैं। तहसीलवार स्थिति अगर देखें तो रामनगर की 7109 जमीनों के खसरों में कोई भूमि स्वामी नहीं है। अमरपाटन के 3280 खसरे भूमि स्वामी विहीन है, मैहर में 2864 , रामपुर बाघेलान में 2743, कोटर में 2656, नागौद में 2711, उचेहरा में 1443, रघुराजनगर में 1442, मझगवां में 623, कोठी में 244 और बिरसिंहपुर में 210 खसरों में कोई भूमिस्वामी नहीं है।
अभिलेख सुधार में मैदानी अमले की रुचि नहीं
पूरे प्रदेश में भू-अभिलेख शुद्धिकरण पखवाड़ा चल रहा है। लेकिन सतना जिले में राजस्व अभिलेख सुधार को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई दे रही है। हालात यह है कि सतना जिले में ऐसे भी खसरे मौजूद है जिसमें भूमि स्वामी तक मौजूद नहीं है और इनका सुधार तक नहीं हो पा रहा है। इसकी मूल वजह है मैदानी राजस्व अमले की गंभीर अनदेखी या जानबूझ कर त्रुटियों को बनाए रखाजाकर उससे निजी हित साधना। जिले के राजस्व अभिलेखों की त्रुटियों को अगर देखा जाए तो जिन हल्कों को मलाईदार कहा जाता है वहीं की राजस्व अभिलेखों में त्रुटियों ज्यादा है और वहीं सुधार की गति भी धीमी है।
बनती है विवाद की स्थिति
दरअसल त्रुटिपूर्ण राजस्व अभिलेखों से अक्सर राजस्व विवाद की स्थिति बनती है या फिर भूमि स्वामी को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। कई बार वे लोन आदि से भी वंचित रह जाते हैं। राजस्व विभाग के स्पष्ट निर्देश हैं कि राजस्व रिकार्ड में सुधार किया जाना चाहिए। लेकिन पाया जाता है कि अभिलेख त्रुटिपूर्ण होने से राजस्व अमले के निजी हित सधते रहते हैं इसलिये जानबूझकर भी इसे बने रहने दिया जाता है। सतना में लंबित त्रुटियां तो कम से कम यही इशारा कर रही हैं।
बिना क्षेत्रफल के जमीन
अगर किसी जमीन का खसरा है तो उन जमीन का रकवा (क्षेत्रफल) होगा। लेकिन सतना में ऐसे भी अजूबे हैं कि बिना क्षेत्रफल की भी जमीनें हैं अर्थात उन जमीनों का क्षेत्रफल शून्य है। जिले में 17364 खसरों में जमीनों का रकवा शून्य हैक्टेयर है। अब कोई किसान अपनी जमीन पर लोन लेना चाहेगा तो उसे लोन नहीं मिलेगा। जमीन की बिक्री करना चाहेगा तो बिक नहीं सकेगी। जब जमीन का रकवा ही नहीं होगा तो उसे किसी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। कई साल से हल्के के खसरों में यह स्थितियां बनी हुई है लेकिन मैदानी राजस्व अमले ने इस पर चुप्पी साध रखी है। नागौद तहसील में 4209 खसरों में जमीन का एरिया शून्य है। बिरसिंहपुर में 2358 , रघुराजनगर में 2370 , मैहर में 2078 , रामपुर बाघेलान 1858, कोटर 994, अमरपाटन 996, मझगवां 925, रामनगर 904, उचेहरा 355 और कोठी के 317 खसरों में जमीन का रकवा शून्य हैक्टेयर है। इन 17364 खसरों में महज 177 में सुधार हो सका है।
बंटवारे के बाद भी खसरे में मूल जमीन कायम
अगर किसी जमीन का हिस्सा विक्रय किया जाता है या बंटवारा होता है उसके बटांक (बटा नंबर) कायम हो जाते हैं और मूल नंबर विलोपित हो जाता है। सामान्य तरीके से समझे कि आराजी नंबर 40 का बंटवारा होता है तो उसमें एक जमीन 40/1 और दूसरी 40/2 हो जाती है। इस दशा में 40 नंबर विलोपित हो जाता है। लेकिन जिले में बटा नंबर कायम होने के बाद भी 134202 खसरे ऐसे हैं जिनमें बटा नंबर के साथ मूल नंबर भी दिख रहे हैं। अर्थात विभाजन की जमीन का रकवा अलग दिख रहा है और मूल जमीन का रकवा भी अलग दिख रहा है। अभी तक ऐसी गड़बड़ियों में 21040 में सुधार हो सका है।
16 लाख जमीनें नक्शे से गायब
सतना जिले में 1655919 जमीनें नक्शें में असंबंद्ध हैं अर्थात ये जमीनें नक्शे में किस जगह पर हैं दर्ज नहीं है। सामान्य भाषा में कहें तो इन जमीनों की तरमीम नहीं है। अगर कोई मूल नंबर की जमीन बेची या विभाजित की जाती है तो नक्शे में इस विभाजन को दर्ज (रेखांकित) किया जाता है। जिससे यह पता चलता है कि संबंधित बटा नंबर किस दिशा में है। अगर कोई व्यक्ति अपने 5 एकड़ के खेत का ढाई एकड़ पूर्व दिशा का बेचता है तो जो विक्रीत रकवा पूर्व दिशा का बटा नंबर में है वह नक्शे में तरमीम किया जाकर नक्शे में अंकित होगा। जिससे यह पता चलेगा कि फला बटा नंबर पूर्व दिशा में और फलां नंबर पश्चिम दिशा में है। लेकिन जिले में ऐसे 16.55 लाख नंबरों की तरमीम नहीं है। जिससे आए दिन विवाद होते रहते हैं। सुधार की दशा में अभी तक महज 182 नंबरो में यह सुधार हो सका है। सतना जिले में तत्कालीन अपर कलेक्टर अनुराग सक्सेना के कार्यकाल में अभियान के तहत शुरू किया गया था। लेकिन उनके बाद सब ठंडे बस्ते में चला गया।
तरमीम न होने की स्थिति
तहसील - खसरे जिनकी तरमीम नहीं - सुधार
रामपुर बाघेलान - 260290 - 0
रघुराजनगर - 235244 - 43
मैहर - 225840 - 0
नागौद - 192739 - 139
अमरपाटन - 138073 - 0
उचेहरा - 135760 - 0
रामनगर - 124094 - 0
बिरसिंहपुर - 102441 - 0
मझगवां - 90851 - 0
कोटर - 81231 - 0
कोठी - 69726 - 0
योग - 1655919 - 182
न पटवारियों ने काम किया न तहसीलदार ने देखा
दरअसल यह काम पटवारियों के हैं और तहसीलदारों का काम निगरानी का है। लेकिन इस मूल काम में दोनों ने ही ध्यान नहीं दिया। सतना में तो पटवारियों का ज्यादा ध्यान मनचाहे हल्कों में पदस्थापना पाना और इसके लिये तमाम सिफारिशों पर जोर लगाना है। लेकिन इसके पीछे उनकी मंशा राजस्व गड़बडिय़ों से मलाई काटना और जमीनों से अपने हित साधना है। अगर ऐसा नहीं होता और वे अपने काम कर रहे होते तो आज यह स्थिति न होती।
Published on:
15 Nov 2021 10:10 am
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