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चार दिन की जंगल गस्त में अफसरों को चढ़ा बुखार

पहली बार की सर्चिंग में कई पड़े बीमार, नए अफसरों को समझना होगी एबीसीडी, किसान के छूटते ही जंगल से पुलिस ने किया किनारा

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Officers get fever in four days of jungle patrol

Officers get fever in four days of jungle patrol

सतना. दस्यु प्रभावित धारकुण्डी इलाके के हरसेड़ गांव से फिरौती के लिए किसान का अपहरण होने के बाद जंगल में उतरे जांबाज पुलिस अफसरों को बुखार आ गया है। चार दिन की जंगल सर्चिंग में किसी के घुटने छिल गए तो किसी की कमर जकड़ गई। शहर के थानों की हवा खा चुके इन अफसरों ने पकड़ छूटते ही जंगल से किनारा कर लिया है। हालात यह हैं कि सभी खुद को ठीक करने के लिए देसी विदेशी इलाज ले रहे हैं। अब वही अफसर इन जंगलों की खाक छान रहे हैं जो पहले से जमे हैं। तराई के जानकार बताते हैं कि मप्र और उप्र के बियावान जंगलों में डकैतों के खुफिया ठिकाने तलाशना आसान काम नहीं हैं। एक बार जंगल में दाखिल होने के बाद यह ठिकाना भी नहीं रहता कि वापसी कब और किस रास्ते से होगी। जिसे यहां के पग पग की खबर है वही पाठा के इन जंगलों में काम कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, डकैतों की चुनौती स्वीकार करने के बाद पुलिस कप्तान रियाज इकबाल, एडिशनल एसपी गौतम सोलंकी के साथ शहरी इलाके के अफसर और पुलिस जवान तराई में उतरे थे। जब डकैतों ने किसान को नहीं छोड़ा तो पुलिस को जंगल के उन हिस्सों में धमक देनी पड़ी जहां तक पहुंचना हर किसी के वश में नहीं है। इन पथरीले रास्तों में चलने से अफसरों का पुर्जा पुर्जा ढीला हो गया। लेकिन जंगल की इस सर्चिंग के बाद यही अफसर जान चुके हैं कि दस्यु प्रभावित इलाके में मेहनत का काम है और यहां काम करना उतना आसान नहीं जितना एसी कमरों में बैठकर सोचा जाता है।
मुंह नहीं खोल रहा परिवार
फिरौती के लिए अपहरण की इस वारदात के बाद किसान अवधेश नारायण द्विवेदी का परिवार पुलिस से कुछ भी बताने से परहेज कर रहा है। पुलिस ने अपने स्तर से जो जानकारी जुटाई है उसमें वहीं लोग संदेह के दायरे में बने हुए हैं जो किसान के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। एेसे कई लोग पुलिस की निगरानी में बने हैं। अब पुलिस यह पता लगा रही है कि अपहृत को छुड़ाने डकैतों से किसने किस तरह संपर्क साधा था।
छुटभैया नेता हुए हावी
वारदात के बाद हरसेड़ गांव से खेम्मू, फूलचंद, लुल्ली को पुलिस ने पकड़ा था। जब लुल्ली के भाई लाली पर पुलिस ने हाथ डाला तो इस इलाके के छुटभैया नेताओं ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। खबर एेसी है कि विधान सभा और लोकसभा स्तर के नेताओं ने भी इन संदेहियों के लिए प्रयास किए थे। एेसे में पुलिस समय पर आगे नहीं बढ़ सकी। सूत्रों का कहना है कि लाली की इस वारदात में संदिग्ध भूमिका रही।
तेज करने होंगे प्रयास
दस्यु प्रभावित इलाकों में काम करने वाले पुलिस अफसर और इनकी टीम का सुपरविजन करने के लिए सक्षम अधिकारी की जरूरत है। जो दस्यु उन्मूलन अभियान के लिए गंभीरता से काम कर सके। खबर तो एेसी भी है कि जंगल छोड़ पुलिसकर्मी थाने से लगे गांव में घूमना ज्यादा पसंद करती है। यही वजह है कि किसी को जंगल के रास्तों का ज्ञान नहीं है। अब एसपी ने जो नए अफसर यहां लगाए हैं उन्हें जंगल की एबीसीडी सीखने में काफी वक्त लगेगा।