सतना। राज्य स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले में फर्जी शौचालय निर्माण दिखा कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा राशि के गबन का मामला सामने आया है। इसके लिए ग्राम पंचायतों द्वारा बिना कार्य किये ही राशि का आहरण कर लिया गया है। यह खुलासा सीएम से हुई शिकायत के बाद हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय उस समय दुविधा में हो गया जब डॉ. सिद्धार्थ गुप्ता एडवोकेट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्धन नि:शुल्क कानूनी सहायता समिति से एक शिकायत मिली। उसमें स्वच्छता मिशन पर कराए गए समेकित ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर जिले में शौचालय निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
बताया गया कि आदिवासी बाहुल्य मझगवां जनपद की 76 ग्राम पंचायतों में 18316 शौचालय निर्माण के लिए बतौर अनुदान दिया गया। इसमें 6.96 करोड़ से 1.66 करोड़ का दुरुपयोग किया गया। आरोप लगाया गया कि यहां सरपंच-सचिवों ने मिलीभगत कर यह राशि बिना शौचालय निर्माण कराए ही आहरित कर ली। डॉ. सिद्धार्थ ने इस भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय लोकायुक्त जांच के आदेश जनहित में दिये जाने की मांग की।
मांगा तथ्यात्मक प्रतिवेदन
मामले की जानकारी मिलते ही शिकायत को सीएम मॉनिट में लेते हुए इसकी हकीकत राज्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से चाही गई। जिले में स्वच्छ भारत मिशन का प्रिंटिंग घोटाला प्रदेशभर में उछलने और जिला समन्वयक की बर्खास्तगी का मामला अभी पूरी तरह निपटा नहीं और यह मामला सामने आने के बाद राज्य स्वच्छ भारत मिशन में हलचल शुरू हो गई। आनन फानन संयुक्त आयुक्त जीसी दोहर ने जिपं सीईओ से इस मामले का तथ्यात्मक प्रतिवेदन दो दिन के अंदर प्रस्तुत करने के निर्देश जारी कर दिये।
माना गड़बड़ी हुई
राज्य कार्यालय से आए निर्देश के बाद जो तथ्य सामने आए वह काफी चौंकाने वाले रहे। इसमें पाया गया कि जनपद मझगवां की 35 ग्राम पंचायतों में 1.58 करोड़ रुपए ग्राम पंचायतों द्वारा बिना कार्य किये ही राशि आहरित कर ली गई है। हालांकि इस मामले में यह सफाई भी देने की कोशिश की गई कि इसमें से कुछ अधूरे या अपूर्ण शौचालय पर भी राशि आहरित कर ली गई है।