
सतना जिला अस्पताल
सतना. एक तरफ जहां कोरोना पीड़ितों के टेस्ट से इलाज तक में जुटे डॉक्टर महीने-महीने भर परिवार से दूर रह कर मरीजों की सेवा कर रहे हैं तो वहीं सामान्य डॉक्टरों को अन्य रोगों के इलाज को आने वाले मरीजों की कोई सुधि ही नहीं है। आलम यह कि मरीज रोजाना अस्पताल में आ रहे हैं, लेकिन ओपीडी में ताला लटक रहा है। ऐसे में वो दिन भर इंतजार करने के बाद लौट जा रहे । इन मरीजों का इलाज कहां और कैसे होगा इसे बताने वाला कोई नहीं।
ये हाल है सतना के जिला अस्पताल का। कहने को यहां 21 अप्रैल से गैर कोरोना रोगों के इलाज के लिए ओपीडी खोल दी गई है। लेकिन ओपीडी में ताला लटक रहा है। एक भी ओपीडी ऐसी नहीं जहां कभी कोई डॉक्टर नजर आए। ऐसे में मरीज अपने तीमारदारों के साथ आते हैं और दिन भर डॉक्टर के आने का इंतजार करते हुए शाम को लौट जाते हैं। इस अस्पताल में यह बताने वाला भी कोई नही कि कोई डॉक्टर आएगा भी कि नहीं। ऐसे में वो लाचार, मरीज और उनके परिजन पूछें भी तो किससे पूछें।
बता दें कि जिला अस्पताल प्रशासन ने नए ओपीडी भवन को फीवर क्लीनिक के रूप में तब्दील कर दिया है। यहां खांसी, सर्दी, जुकाम, बुखार के अलावा बाहर से आने वाले मरीजों को देखा जा रहा है। उनका परीक्षण व उपचार हो रहा है। सामान्य ओपीडी को पुराने भवन में शिफ्ट किया गया है। वहां मेडिसिन विभाग के क्षय रोग, सर्जिकल, पुरानी ओपीडी के दो नंबर कक्ष, अस्थि रोग नैदानिक केंद्र की ओटी, शिशु रोग, पुराने ओपीडी भवन के कक्ष संख्या-4, नाक-कान-गला, जन्म-मृत्यु शाखा के सामने, डेंटल ओपीडी में बैठने का इंतजाम किया गया है। लेकिन इन सभी कमरों में आज तक कोई डॉक्टर दिखाई नहीं दिया। डॉक्टर तो तब दिखे जब ये ओपीडी खुले। ऐसे में मरीजों के सामने इलाज के लिए इधर-उधर भटकने के सिवाय कोई चारा नहीं।
"चार साल से जिला अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। आज ओपीडी में गया तो कोई डॉक्टर नहीं मिला। मजबूरी में इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर को दिखाया।" -रामकेश उरमलिया, निवासी शिवपुर
"पैर में तकलीफ है। इमरजेंसी के डॉक्टर ने हड़्डी रोग विभाग में दिखाने को कहा, वहां गया तो कोई डॉक्टर मिला ही नहीं।" - महेंद्र सिंह, निवासी कोठी
Published on:
03 Jun 2020 04:46 pm
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