
Parshad Bhagwati is free from the post, disqualified for election
सतना. नगर निगम के वार्ड 22 के पार्षद भगवती प्रसाद पाण्डेय को वाट्सऐप ग्रुप में तत्कालीन निगमायुक्त पर कमेंट करना महंगा पड़ गया है। पार्षद भगवती को पद से पृथक कर दिया गया है। पदमुक्त किए जाने के साथ ही आगामी 5 साल के लिए चुनाव लड़ने से भी निरर्हित (डिसक्वॉलिफाइड) घोषित कर दिया गया है। यह कार्रवाई संभागायुक्त रीवा संभाग डॉ अशोक भार्गव ने न्यायालयीन प्रकरण के परिप्रेक्ष्य में की है। पार्षद को इस तरह से पद से हटाने का प्रदेश में अपनी तरह का पहला मामला बताया गया है।
दरअसल, ननि के वार्ड 22 के पार्षद भगवती प्रसाद पाण्डेय ने एक वाट्सऐप ग्रुप में (जिसके एडमिन वे स्वयं थे) तत्कालीन निगमायुक्त प्रवीण सिंह अढ़ायच पर अनर्गल आरोप लगाए। पार्षद ने लगातार दूसरे दिन भी एक अन्य वाट्सऐप ग्रुप में इसी तरह का आरोप लगाते हुए निगमायुक्त की छवि धूमिल करने का प्रयास किया था। यह मामला जब तूल पकडऩे लगा तो उन्होंने पोस्ट हटाते हुए साक्ष्य मिटाने का भी प्रयास किया। निगमायुक्त अढ़ाचय ने इसे मनगढ़ंत फर्जी एवं कपोलकल्पित तथ्यों के आधार पर झूठी पोस्ट बताते हुए पार्षद भगवती के विरुद्ध सिटी कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई। साथ ही इसकी प्रतिलिपि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी दी।
लामबंद हो गए थे कर्मचारी
यह मामला ठंडा हुआ भी नहीं था कि नगर निगम के कर्मचारियों ने भी पार्षद भगवती पाण्डेय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस दौरान कामकाज भी ठप रखा गया। इनका आरोप था कि पार्षद भगवती प्रसाद नगर निगम के कर्मचारियों-अधिकारियों पर अनर्गल एवं तथ्यहीन आरोप लगाकर उनमें अस्थिरता और भय का माहौल बनाते हैं। यह भी कहा गया कि पार्षद द्वारा नगर निगम कार्यालय में भय एवं दबाव का माहौल निर्मित करने का प्रयास किया जाता है। इसके बाद अधिकारियों-कर्मचारियों ने कलेक्टर को शिकायती पत्र देते हुए पार्षद भगवती को पद से पृथक किए जाने की मांग की गई थी।
तब कलेक्टर ने संभागायुक्त को भेजा था प्रकरण
निगम के कर्मचारियों द्वारा तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला को दिए गए शिकायती पत्र को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर शुक्ला ने सभी संबंधित पक्षों से जवाब लेने के बाद अपने प्रतिवेदन सहित प्रकरण कार्रवाई के लिए कमिश्रर के पास भेज दिया। इसमें पार्षद भगवती के विरुद्ध म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 19 के तहत कार्रवाई करने का स्पष्ट उल्लेख था।
कमिश्रर ने सुने सभी पक्ष
कलेक्टर के प्रतिवेदन के आधार पर कमिश्रर कोर्ट में इस प्रकरण को दर्ज करते हुए सभी पक्षों को सुना गया और उसका सूक्ष्म परिसीलन किया गया। इसमें जहां पार्षद भगवती ने आरोपों को नकारते हुए वाट्सऐप ग्रुप के संबधित स्क्रीन शॉट को कूटरचित बताया। उधर आयुक्त की ओर से आरोपों के समर्थन में तमाम तथ्य प्रस्तुत किए गए साथ ही उन्होंने अपनी विभिन्न पदस्थापना अवधि में शासन व अन्य उच्च संस्थाओं द्वारा की गई उनके कार्यों की सराहना और प्रशंसा पत्र भी प्रस्तुत किए और इस तरह की पोस्ट को एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि द्वारा छवि विगाडऩे वाला बताया। संभागायुक्त ने सभी तथ्य और तर्कों को देखने और सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया।
यह सुनाया निर्णय
संभागायुक्त डॉ अशोक भार्गव ने निर्णय में टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी निर्वाचित प्राधिकारी के लिए आचरणशील बने रहना आवश्यक है। पार्षद की पोस्ट से निगमायुक्त सतना, अन्य अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ-साथ नगर निगम सतना की छवि धूमिल हुई है। कलेक्टर सतना का प्रस्ताव तथ्यों एवं साक्ष्यों पर आधारित है। लोकहित के मद्देनजर आवश्यक है कि ऐसे पदाधिकारी के विरुद्ध कानूनी प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई की जाए। अनावेदक भगवती का पार्षद के रूप में भविष्य में बने रहना निगम एवं लोकहित में नहीं है। इसलिए म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 19(1)(अ) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भगवती प्रसाद पाण्डेय वार्ड पार्षद ननि सतना वार्ड 22 को पार्षद पद से पदमुक्त करते हुए आगामी 5 साल के लिये चुनाव लड़ने से निरर्हित घोषित किया जाता है।
Updated on:
14 Jun 2019 12:55 am
Published on:
14 Jun 2019 12:43 am
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