मैहर के ज्योतिषाचार्य पं. मोहनलाल के अनुसार, भाद्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि से पितृपक्ष आरंभ हो गया था। श्राद्धपक्ष के दिन पितरों को याद करने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए है। इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती। इस दौरान पितरों की संतुष्टि और प्रसन्नता के लिए इन नियमों का पालन करना शुभ फलदायी माना गया है।
1- ब्रह्मचर्य का पालन करें
श्राद्धपक्ष में महिलाओं और पुरुषओं को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कहते है कि इन दिनों पितर सबके घर में सूक्ष्म रूप से रहते हैं। ये दिन पितरों को याद करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए हैं। इसलिए इन दिनों संबंध से परहेज रखना चाहिए।
श्राद्धपक्ष में महिलाओं और पुरुषओं को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कहते है कि इन दिनों पितर सबके घर में सूक्ष्म रूप से रहते हैं। ये दिन पितरों को याद करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए हैं। इसलिए इन दिनों संबंध से परहेज रखना चाहिए।
2- नहीं कटवाना चाहिए दाढ़ी-मूंछ
पितृपक्ष में पुरुषों को दाढ़ी-मूंछें नहीं कटवानी चाहिए। वैसे यह नियम सभी पर लागू नहींं होता है। जो लोग पितरों की पूजा कर रहे हैं और पिण्डदान कर रहे हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
पितृपक्ष में पुरुषों को दाढ़ी-मूंछें नहीं कटवानी चाहिए। वैसे यह नियम सभी पर लागू नहींं होता है। जो लोग पितरों की पूजा कर रहे हैं और पिण्डदान कर रहे हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
3- पितृपक्ष में है ऐसे भोजन का महत्व
पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। संभव हो सके तो ब्राह्मणों को पत्तल पर भोजन करवाएं और स्वयं भी पत्तल पर भोजन करें।
पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। संभव हो सके तो ब्राह्मणों को पत्तल पर भोजन करवाएं और स्वयं भी पत्तल पर भोजन करें।
4- मिखारी को दे भोजन
पितृपक्ष में घर पर आए अतिथि अथवा मिखारी को भोजन और पानी दिए बिना जाने नहीं देना चाहिए। माना जाता है कि पितर किसी भी रूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं और अन्न-जल मांग सकते हैं।
पितृपक्ष में घर पर आए अतिथि अथवा मिखारी को भोजन और पानी दिए बिना जाने नहीं देना चाहिए। माना जाता है कि पितर किसी भी रूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं और अन्न-जल मांग सकते हैं।
5- पितृगणों को ना करें ऐसे नाराज
पितृपक्ष में पितृगण अपने परिजनों के साथ रहते हैं और उनके व्यवहार को देखते हैं। जिन परिवारों में लोग मिलजुलकर रहते हैं उनके पितृगण प्रसन्न होते हैं और समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाते हैं।
पितृपक्ष में पितृगण अपने परिजनों के साथ रहते हैं और उनके व्यवहार को देखते हैं। जिन परिवारों में लोग मिलजुलकर रहते हैं उनके पितृगण प्रसन्न होते हैं और समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाते हैं।
6- दोपहर में कराएं ब्राह्मणों को भोज
शास्त्रों में काले तिल का महत्व बताया गया है, श्राद्ध या फिर तर्पण कराते समय इन्हीं का प्रयोग करना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि पितरों की संतुष्टि के लिए दोपहर में ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए।
शास्त्रों में काले तिल का महत्व बताया गया है, श्राद्ध या फिर तर्पण कराते समय इन्हीं का प्रयोग करना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि पितरों की संतुष्टि के लिए दोपहर में ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए।
7- नए घर में न करें प्रवेश
पितृपक्ष में नए घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए ऐसी मान्यताएं हैं। असल में नया घर लेने की कोई मनाही नहीं है, दरअसल जिस घर में पितरों की मृत्यु होती है, वह अपने उसी स्थान पर लौटते हैं।
पितृपक्ष में नए घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए ऐसी मान्यताएं हैं। असल में नया घर लेने की कोई मनाही नहीं है, दरअसल जिस घर में पितरों की मृत्यु होती है, वह अपने उसी स्थान पर लौटते हैं।
8- तामसिक भोजन से करें परहेज
पितृपक्ष में जो लोग पितरों का पूजन और पिंडदान करते हैं उन्हें तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा के सेवन से परहेज रखना चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए।
पितृपक्ष में जो लोग पितरों का पूजन और पिंडदान करते हैं उन्हें तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा के सेवन से परहेज रखना चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए।
9- पशु-पक्षियों को दे दाना और पानी
पितृपक्ष में पशु-पक्षियों के लिए दाना और पानी का इंतजाम करना चाहिए। किसी भी जानवर को परेशान नहीं करना चाहिए ऐसा शास्त्रों का मत है। इसके पीछे पुर्नजन्म की मान्यता है।
पितृपक्ष में पशु-पक्षियों के लिए दाना और पानी का इंतजाम करना चाहिए। किसी भी जानवर को परेशान नहीं करना चाहिए ऐसा शास्त्रों का मत है। इसके पीछे पुर्नजन्म की मान्यता है।