
सतना। 16 मई 2015... अभी सोमवती अमावस्या की भगदड़ में 10 लोगों की मौत को एक साल पूरे नहीं हुए थे और चित्रकूट में अगली सोमवती अमावस्या मेले की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन की संयुक्त बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में कमिश्नर और आईजी स्तर के अधिकारी भी थे। तब एक सुझाव उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से आया था कि क्यों न परिक्रमा पथ में होने वाली भीड़ को देखते हुए इस अवसर पर परिक्रमा पथ में लेटी परिक्रमा (दंडवती परिक्रमा) पर रोक लगा दी जाए। लेकिन तब के आईजी पवन श्रीवास्तव ने इस पर सख्त आपत्ति की थी। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि ज्येष्ठ मास की सोमवती अमावस्या में श्रद्धालुओं की आस्था पर दखल नहीं दिया जाएगा। सुरक्षा के साथ श्रद्धालुओं की आस्था का होगा ख्याल रखा जाएगा। और उसके बाद से अब तक न जाने कितने अमावस्या मेले होकर सकुशल निकल गए लेकिन दंडवती परिक्रमा बंद नहीं हुई।
एसपी चित्रकूट (यूपी) ने दिया प्रस्ताव
अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश चित्रकूट की एसपी ने ऐसा ही प्रयास किया है। भाद्र पक्ष मास के 13 से 15 सितंबर तक आयोजित होने वाले अमावस्या मेले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर परिक्रमा पर रोक का प्रस्ताव दिया गया है। सतना पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख कर दंडवती परिक्रमा को श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसके निरस्तीकरण या प्रतिबंधित करने को नितांत आवश्यक बताया है। और ऐसा प्रस्ताव सतना एसपी को भेजा है। हालांकि सतना जिला और पुलिस प्रशासन ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही परिक्रमा पर रोक या निरस्तगी संबंधी कोई निर्देश या आदेश जारी किए हैं।
सनातन काल से चल रही परिक्रमा
मान्यता है कि 'कामदगिरी' चित्रकूट की परिक्रमा सनातन काल से चली आ रही है। इसी स्थान पर भगवान राम, सीता जी और लक्ष्मण जी ने अपने वनवासकाल का सर्वाधिक लगभग ग्यारह वर्ष का समय व्यतीत किया था। जब भगवान श्रीराम यहां से जाने लगे तो चित्रकूट पर्वत ने उनसे कहा, ''प्रभु आपने तो यहां वास किया है इसलिए अब यह भूमि पवित्र हो गई है लेकिन आपके जाने के बाद हमें कौन पूछेगा।'' इस पर श्रीराम ने उन्हें वरदान देते हुए कहा, ''अब आप कामद हो जाएंगे यानी इच्छाओं की पूर्ति करने वाले बन जाएंगे। जो आपकी शरण में आएगा उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और उस पर हमारी भी कृपा बनी रहेगी।'' तब से यही कामदगिरी पर्वत सहित सम्पूर्ण चित्रकूट के प्रमुख देवता हैं। और इनकी परिक्रमा का महात्म्य है। लगभग सभी पवित्र तीर्थ स्थान कामदगिरि परिक्रमा स्थल में स्थित हैं। कामदगिरि पर्वत के चारों ओर का परिक्रमा पथ लगभग 5 किमी लंबा है, जिसमें बड़ी संख्या में मंदिर स्थित हैं। मान्यता है कि इस परिक्रमा को पूरी करने पर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऊषाकाल से शुरू हो जाती है परिक्रमा
कामतानाथ स्वामी की पंचकोषीय परिक्रमा के अलग अलग तरीके हैं। ज्यादातर पैदल परिक्रमा करते हैं तो कुछ लोग एक ही स्थान पर रहकर माला फेरते हुए दंडवत परिक्रमा करते हैं तो काफी संख्या में दंडवत परिक्रमा अर्थात लेट कर परिक्रमा करते हैं। इनमें से कइयों का बिना नागा सप्तवर्षीय परिक्रमा, 108 परिक्रमा, हर अमावस्या परिक्रमा का व्रत होता है। इसके लिए दूर दराज से सैकड़ों हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। ऐसे में अगर यहां परिक्रमा पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो उनका व्रत और संकल्प टूटेगा जो कि आज तक कभी नहीं हुआ। बताया जाता है कि यहां ऊषाकाल से ही जब सूर्यादय नहीं होता है और उसकी तैयारी में आसमान में रोशनी की शुरुआत होने लगती है और आसमान नीली रोशनी से रोशन हो उठता है तभी यहां दंडवती परिक्रमा की श्रद्धालु शुरुआत कर देते हैं।
लाखों खर्च कर बनाया गया था दंडवती परिक्रमा पथ
चित्रकूट भगदड़ में 10 लोगों की मौत के बाद तत्कालीन गृह मंत्री के निर्देश के बाद यहां पृथक से दंडवती परिक्रमा पथ का निर्माण किया गया था। इसमें सीएसआर मद से जिले की तमाम फैक्ट्रियों ने भी मदद की थी। खुद इस कार्य की निगरानी तत्कालीन आईजी पवन श्रीवास्तव कर रहे थे। लेकिन उनके बाद से इस व्यवस्था के इंतजामों की ओर स्थानीय प्रशासन की रुचि कम होती गई और इस परिक्रमा पथ की हालत खराब होती जा रही है।
व्यवस्था न सुधार परिक्रमा रोकना जायज नहीं
इस मामले में चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने कहा है कि परिक्रमा प्रभु राम काल से चली आ रही है। प्रशासन का काम है व्यवस्थाएं सुधारना न कि व्यवस्था के अभाव में परिक्रमा को रोक देना। कामतानाथ और परिक्रमा ही तो चित्रकूट की पहचान है। आस्था से इन दो शीर्षों को बाधित करना कतई उचित नहीं है। यह श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ होगा। प्रशासन अपनी व्यवस्था दुरुस्त करे।
Published on:
12 Sept 2023 10:51 am
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