20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महापंचायत का प्रस्तावः मध्यप्रदेश हिस्से के नर्मदा जल बंटवारे की समय सीमा 2028 की जाए

विन्ध्य के हिस्से का नर्मदा जल समय पर लाने नर्मदा संघर्ष समिति ने भरी हुंकारलॉकडाउन की वजह से जल बंटवारे की समय सीमा बढ़ाने विधानसभा और लोकसभा में संकल्प लाने की मांगहजारों की संख्या में पहुंचे नर्मदा सेनानियों ने नर्मदा जल लाने का लिया संकल्प

5 min read
Google source verification
Sangharsh committee passed proposal to extend the time period of Narmada water sharing

Sangharsh committee passed proposal to extend the time period of Narmada water sharing

सतना. बरगी दायीं तट नहर पर स्लीमनाबाद टनल का प्रोजेक्ट फेल होता देख शासन के वैकल्पिक प्रस्ताव लिफ्ट कैनाल के विरोध में नर्मदा संघर्ष समिति की महापंचायत धवारी स्टेडियम के बगल स्थित मैदान में आयोजित की गई। सर्वदलीय गैरराजनीतिक इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में जिले भर के लोग पहुंचे। इस पंचायत में एक प्रस्ताव लाया गया कि नर्मदा ट्रिब्यून के जल बंटवारे की 2024 में होने वाली बैठक को कोरोना लॉकडाउन की वजह से आगे बढ़ाकर मध्यप्रदेश के हिस्से के जल बंटवारे की समय सीमा बढ़ाकर 2028 की जाए। इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा और लोकसभा में संकल्प लाया जाए। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया गया। इसके साथ ही यहां आए हजारों नर्मदा सेनानियों को नर्मदा जल को बहते हुए पानी के रूप में सतना की धरती में लाने का संकल्प लिया। महापंचायत के संयोजक रामप्रताप सिंह ने कहा कि यह तो एक शुरुआत है और अब नर्मदा जल के सतना आने तक यह लड़ाई जारी रहेगी और यहां आने वाला हर नर्मदा सेनानी इस लड़ाई को आखिरी सांस तक लड़ेगा। इस दौरान तमाम वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे।
विन्ध्य के विलय की कीमत पर मिला था नर्मदा जल
नर्मदा संघर्ष समिति के अगुआ व महापंचायत के संयोजक रामप्रताप सिंह ने बताया कि 11 सिंतंबर 1956 को जवाहर लाल नेहरू सतना आए थे। जवाहर नगर मैदान में अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश गरीब प्रदेश है और यहां सिंचाई के साधन नहीं है। महाकौशल में नर्मदा नदी में बांध बना रहे हैं लेकिन वहां के लोग बांध नहीं बनने दे रहे हैं। ऐसे में अगर विन्ध्य प्रदेश को खत्म करके नया प्रदेश बना देते हैं तो नर्मदा नहीं बांध आसानी से बन जाएगा और तब विन्ध्य में भी नर्मदा का पानी आसानी से आ जाएगा। इस शर्त पर विंध्य का विलय तो हो गया लेकिन लेकिन आज तक विन्ध्य को नर्मदा का पानी नहीं मिला।
इस तरह शुरू हुआ विवाद
रामप्रताप ने बताया कि जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ और नर्मदा पर बांध की तैयारी हुई तो 6 अक्टूबर 1968 को तीन प्रदेश गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान ने आपत्ति कर दी। कहा कि नर्मदा नदी अगर बांध दी जाएगी तो ये राज्य सूखे की चपेट में आ जाएंगे। इस आपत्ति के बाद नर्मदा ट्रिब्यूनल बना। चारों प्रदेशों के मुख्य सचिव सहित संबंधित अधिकारी बुलाए गए। सुनवाई शुरू हुई। 11 साल बाद फैसला 1979 को इसका फैसला आया। तय किया गया कि कुल 28 मिलियन एकड़ फीट पानी है। इसमें से 18.25 मिलियन एकड़ फीट पानी मध्यप्रदेश के हिस्से में आया। गुजरात 9 मिलियन एकड़ फीट, राजस्थान को .25 व महाराष्ट को .50 एमएएफ पानी देना तय किया गया। इसके साथ ही यह भी जोड़ा गया कि 45 साल बाद जिन-जिन प्रदेशों ने अपने हिस्से का पानी उपयोग किया वह उनका और जिन्होंने नहीं किया उस पानी का पुनः बंटवारा होगा। इस आधार पर 2024 में पुनः इस अनुपयोगी जल का बंटवारा होगा।
यह है बड़ा संकट
बताया गया कि मध्यप्रदेश अपने हिस्से का अभी तक 10 एमएएफ पानी का उपयोग कर सका है। 8 मिलियन एकड़ फीट का पानी उपयोग नहीं हो सका है जिसमें सतना जिले के हिस्से का लगभग एक मिलियन एकड़ फीट पानी शामिल है। अगर यह पानी 2024 तक सतना नहीं पहुंचा तो फिर यह पानी अपने हिस्से से छिन जाएगा। लेकिन अभी स्थिति यह है कि सतना पानी पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा स्लीमनाबाद टनल है। जो हाल की स्थिति में 2024 तक बनने की स्थिति में नहीं दिख रही है। इसको देखते हुए लिफ्ट कैनाल का वैकल्पिक प्लान बनाया गया है। जिसमें टनल के शेष हिस्से के पहले पानी को लिफ्ट करके पहाड़ी पर ओपन कैनाल में डाला जाएगा। यह पानी टनल के दूसरे छोर पर वापस बरगी दायीं तट नहर में गिराया जाएगा।
सफेद हाथी बनेगा यह प्रोजेक्ट
बताया गया कि पानी को लिफ्ट करने के लिए 58 मेगावाट बिजली लगेगी। इस बिजली का मिनिमम चार्ज 15 करोड़ रुपये लगभग होगा। इस तरह से इस नहर से आने वाला पानी सतना के किसानों को 5 हजार रुपये लगभग प्रति हैक्टेयर पड़ेगा। इसके बाद मशीनों के रख रखाव और यहां काम करने वाले लोगों के वेतन आदि का व्यय हमेशा बना रहेगा। जिससे यह प्रोजेक्ट सफेद हाथी बन जाएगा। उधर बाणसागर की नहर से आने वाले पानी की लागत 500 रुपये प्रति हैक्टेयर है। एक ही जिले में पानी की दो कीमतें कैसे संभव हो सकेंगे। लिहाजा इकलौता समाधान है कि पानी टनल से ही बहकर आए। लिफ्ट कैनाल का संघर्ष समिति विरोध करती है। दूसरी समस्या यह है कि अगर पावर हाउस में विद्युत अवरोध होता है तो नहर का पानी ओवर फ्लो होकर खेतों और गांवों में बड़ी समस्या पैदा करेगा। इतना ही नहीं लिफ्ट कैनाल के लिए जमीन अधिग्रहण करना पड़ेगा। किसानों की महंगी जमीनें जाएंगी, मुआवजे को लेकर विवाद होंगे मामले न्यायालय जाएंगे और समय सीमा में काम पूरा नहीं हो सकेगा।
जनप्रतिनिधि और सरकारें संकल्प पास करें
संघर्ष समिति ने केन्द्र और राज्य सरकार सहित जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि विधानसभा और लोकसभा में संकल्प लाया जाए। कोरोना लॉक़डाउन की वजह से कल कारखाने बंद हो गए। इस स्थिति में विदेशी मशीनों के कलपुर्जे और सामग्री नहीं आ सकी। काम रुका रहा। ऐसे में मध्यप्रदेश के हिस्से की समय सीमा बढ़ाकर 2028 की जाए।
बरगी प्रोजेक्ट के इस हिस्से पर किसी का ध्यान नहीं
महापंचायत में बताया गया कि बरगी दांयी तट नगर के पानी का एक हिस्सा अमरपाटन, रामपुर बाघेलान और रामनगर होते हुए रीवा जिले में भी जाना है। इसके लिए सरला नगर सीमेंट फैक्ट्री के नीचे से एक टनल बननी है। जिसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा टमस नदी पर एक्वाडक्ट बनना है। इस प्रोजेक्ट पर कोई काम ही शुरू नहीं है। इसके अलावा क्षतिग्रस्त हो चुकी नहर के रिपेयरिंग का काम भी होगा। इसके लिए बड़े बजट की जरूरत है। मशीनों और समान के लिए बजट नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सरकार को इस दिशा में ध्यान देना होगा। इसके लिए लडाई जारी रहेगी।
अन्य जिलों के जनप्रतिनिधियों ने बनाया दबाव
रामप्रताप सिंह ने कहा कि अन्य जिलों के सभी दलों के जनप्रतिनिधियों ने खजुराहो सांसद के साथ मिलकर दबाव बनाकर ढीमरखेड़ा और बड़वारा को पानी देने की घोषणा करवा ली। लिफ्ट कैनाल से पन्ना में पानी जाने की बात होने लगी। ऐसे में सतना के हिस्से का पानी घटेगा। जिससे यहां की स्थिति खराब होगी। लिहाजा अब नर्मदा की जल तरंगों को सतना लाने के लिए सबको लड़ना होगा और यह हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है इसे लेकर रहेंगे।
इन्होंने किया संबोधित
महापंचायत को पूर्व मंत्री सईद अहमद, अधिवक्ता मुरलीधर शर्मा, किसान नेता जगदीश सिंह, अधिवक्ता सुरेन्द्र शर्मा, संजय सिंह तोमर, हरिप्रकाश गोस्वामी, कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा, वीरेन्द्र सिंह, अतुल सिंह, इंद्रजीत पाठक, संजय सिंह मझगवां, आरसी त्रिपाठी, जीपी सिहं सेवानिवृत्त एडिशन कमिश्नर, अमृतलाल पटेल, उपेन्द्र सेन, पूर्व युकां लोस अध्यक्ष राजदीप सिंह मोनू, गजेन्द्र सिंह, राष्ट्रपति एवार्डी सदाचारी जी, उदयशरण चतुर्वेदी सहित अन्य ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सत्येन्द्र शर्मा ने किया। इस दौरान सुरेश प्रताप सिंह, परशुराम मिश्रा, प्रवीण सिह, शिवप्रसन्न सिंह, राजीव खरे, राजकिशोर त्रिपाठी, धर्मेन्द्र सिंह, मंटू सिंह, राजेन्द्र पटेल, अनिल पटेल, विक्रांत ताम्रकार सहित अन्य मौजूद रहे।
उमड़ा भारी जनसैलाब
एक लंबे समय बाद सतना शहर में गैर सरकारी कार्यक्रम ऐसा रहा जहां हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी। हालात यह रहे कि पूरे कलेक्ट्रेट परिसर सहित जवाहर नगर मैदान तक वाहन और ट्रैक्टर मौजूद रहे। भीड़ की स्थिति यह रही की घंटो तक यातायात सुचारू नहीं हो सका। कार्यक्रम की शुरुआत मां नर्मदा आरती से हुआ।