21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गायब नक्शों का पता लगाने के लिए कमेटी पर गठित की कमेटी,खड़े हुए सवाल

सीएलआर की कमेटी से इतर आरआई की अलग कमेटी गठितएक बार फिर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की आशंका

3 min read
Google source verification
Question on formation of new committee to find missing maps

Question on formation of new committee to find missing maps

सतना. प्रदेश में सबसे ज्यादा नक्शा विहीन गांव सतना जिले में होने और उन गांवों के तीनों नक्शे गायब होने की गंभीरता को देखते हुए आयुक्त भू-अभिलेख ने उपायुक्त भू-अभिलेख रीवा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। साथ ही दल को जिम्मेदारी दी गई थी कि यह दल खोए हुए नक्शों एवं जीर्ण शीर्ण नक्शों का जिला अभिलेखागार में भौतिक सत्यापन करेगा एवं पटवारी के पास उपलब्ध चालू नक्शे की ग्रामवार स्थिति की सही स्थिति का पता लगाएगा। इसमें मैदानी स्तर के काम के लिये तीन राजस्व निरीक्षकों को भी दल में शामिल किया गया था, लेकिन इस मामले में कमेटी के अध्यक्ष अलग से समानान्तर एक कमेटी राजस्व निरीक्षकों की गठित कर दी। ये सभी राजस्व निरीक्षक सतना के ही हैं, जबकि आयुक्त भू-अभिलेख ने बाहर के आरआई को इन कामों के नियुक्त किया था। मजे की बात तो यह है कि इस मामले में सफाई यह आई है कि कटनी के आरआई और एसएलआर इस मामले में कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। इससे सवाल यह खड़ा हो गया है कि भू-अभिलेख के प्रदेश के सबसे बड़े अधिकारी के आदेश अगर आरआई और एएसएलआर नहीं मान रहे हैं तो फिर पूरी जांच की कटघरे में आ जाएगी।

सुनियोजित तरीके से नक्शे गायब
जानकारी के अनुसार सतना जिले में सुनियोजित तरीके से नक्शे गायब किये गए हैं। यही वजह है कि पटवारी के पास रहने वाले चालू नक्शे के साथ मिसिल बंदोबस्त और जिला रिकार्ड रूम के संदर्भ नक्शे तक गायब है। एक गांव के तीनों नक्शों का गायब होना सामान्य बात नहीं हो सकती है, लेकिन यहां 300 से ज्यादा नक्शे ऐसे हैं जिनकी तीनों प्रतियां गायब हैं। अगर गायब नक्शों के इलाकों को गौर करेंगे तो पाएंगे ये वे गांव होंगे जहां जमीनों के रेट ज्यादा होंगे या ज्यादा महत्व की होंगी। इसके पीछे तत्कालीन पटवारियों सहित एसएलआर की भूमिका सामने आई थी। तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल के वक्त वृहद अभियान चलाया गया था, लेकिन अभियान पूरा हो पाता इसके पहले उनका तबादला हो गया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

यह पहली बार नहीं
इसके पहले भी आयुक्त भू-अभिलेख ने इसी तरह का पत्र लिखा था। तब 19 आरआई अन्य जिलों के यहां तैनात किये गए थे, लेकिन भू-अभिलेख के विवादित एसएलआर गोविन्द सोनी ने यहां उनसे कोई काम नहीं लिया और एक साल रखने के बाद भी एक भी नक्शा नहीं बनवा सके। इससे इस बार की जांच पर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं।

यह जारी किया डीसीएलआर ने आदेश
सीएलआर के आदेश के ऊपर क्षेत्रीय उपायुक्त भू-अभिलेख ने एक आदेश जारी करते हुए इस जांच के लिये पटवारियों से नक्शों की जानकारी इक्कठा करने अतिरिक्त रूप से कमेटी गठित की है। जिसमें राजीव शुक्ला आरआई बरौंधा, हरिचरण शुक्ला आरआई, महेन्द्र श्रीवास्तव आरआई, जय सिंह भृत्य और सूर्य प्रताप सिंह भृत्य को शामिल किया गया है। इस आदेश पर सवाल यह खड़ा हो गया है कि जब सीएलआर ने राज्य स्तर से आदेश जारी करते हुए तीन आरआई पहले ही कमेटी में शामिल किये हैं तो सतना के आरआई अलग से क्यों शामिल किये जा रहे हैं, जबकि सीएलआर ने अन्य जिलों के आरआई की ड्यूटी लगाई थी।

6 मार्च को बुलाई गई बैठक
क्षेत्रीय उपायुक्त भू-अभिलेख ने अपने स्तर पर आरआई की कमेटी गठित करते हुए 6 मार्च को एक बैठक सतना भू-अभिलेख कार्यालय में बुलाई है। जिसमें कमेटी के कार्यकलाप की रूपरेखा बनाई जाएगी। हालांकि सीएलआर स्तर से गठित कमेटी में आरआई के संबंध में जब जिले के प्रभारी एसएलआर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी तक कटनी एएसएलआर और आरआई की ओर से कोई रिस्पांस नहीं मिला है।

जो नक्शाविहीन नहीं उन्हें नक्शा विहीन किया घोषित

जिले में तत्कालीन एसएलआर के खेल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस गांव का मूल नक्शा था उसे भी नक्शाविहीन घोषित करते हुए गलत नक्शा बना दिया था। जिसे लेकर भारी विवाद की स्थिति बन गई थी। इसी तरह से चित्रकूट के नक्शों में भी बड़ी छेड़छाड़ की गई थी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि नक्शे कब, कहां और किसके पजेशन से गायब हुए इस दिशा में कभी कोई इमानदार जांच के प्रयास नहीं हुए वरना अपने आप पूरा मामला सामने आ जाता। इन सबकी आड़ में करोड़ों की सरकारी जमीनों का खेल सतना जिले में खेला जाता रहा है और काफी सरकारी जमीन निजी भी घोषित कर दी गई हैं। जिनके मामले गाहे बगाहे सामने आते रहे हैं।